इस्लामी वास्तुकला का महत्वपूर्ण नमूना पेश करती हैं मीनारें

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
21-10-2020 01:07 AM
Post Viewership from Post Date to 09- Nov-2020
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2465 276 0 2741
* Please see metrics definition on bottom of this page.
इस्लामी वास्तुकला का महत्वपूर्ण नमूना पेश करती हैं मीनारें

रामपुर में इस्लामी वास्तुकला के महत्वपूर्ण उदाहरण देखे जा सकते हैं। इस्लामी वास्तुकला की झलक रामपुर की जामा मस्जिद में भी देखी जा सकती है, जो तीन बड़े गुंबदों और ऊंचे स्तम्भों के साथ सोने की मीनारों के रूप में दिखायी देती हैं। ये मीनारें रोहिल्ला नवाबों की भव्यता का प्रतीक हैं। जामा मस्जिद में कई मीनारों का निर्माण किया गया है जो कि इस्लामी कला का एक अभिन्न अंग है। मीनार का प्रयोग प्रार्थना के लिए आवाज लगाने हेतु किया जाता है जिसे आधान भी कहा जाता है। अरबी भाषा में इसे मनारा भी कहते हैं। मीनार शब्द आरमेइक भाषा से आया है जिसका अर्थ है, मोमबत्ती। मीनार के चार भाग होते हैं, आधार, शाफ्ट (Shaft), टोपी नुमा आकृति और शीर्ष। ये सभी भाग आम तौर पर एक शंक्वाकार या प्याज के आकार के मुकुट के साथ एक लंबे शिखर जुडे होते हैं। इस्लामी धार्मिक वास्तुकला में, मीनार वह स्तम्भ या बुर्ज है, जिससे श्रद्धालुओं को मुअज़्ज़िन द्वारा प्रत्येक दिन में पांच बार प्रार्थना के लिए बुलाया जाता है। इस तरह के टॉवर (Tower) हमेशा मस्जिद से जुडे होते हैं, और इसमें एक या एक से अधिक छज्जे या खुली गैलरियां (Galleries) होती हैं। पैगंबर मुहम्मद के समय, प्रार्थना के लिए आवाज मस्जिद के आसपास की उच्चतम छत से लगायी जाती थी। सबसे प्राचीन मीनारें पूर्व ग्रीक पहरे की मीनारें और ईसाई चर्चों की मीनारें थीं। उत्तरी अफ्रीका का सबसे पुराना मीनार क्यारुआन, ट्यूनीशिया (Kairouan, Tunisia।) में है, जिसे आज भी देखा जा सकता है। यह 724 और 727 के बीच बनाया गया था जिसका आकार विशाल वर्गाकार है। मीनारों के कई रूप होते हैं, जैसे गोलाकार, हेक्सागोनल (Hexagonal) या अष्टकोणीय आदि। मीनारों में अन्दर सीढ़ियां होती हैं, जो कि ऊपर जाकर खुल जाती हैं। कई मीनारें ऐसी भी हैं जिनमें सीढियां बाहर से बनायी गयी हैं तथा इनकी आकृति कुंडलीनुमा है। इतिहास के अनुसार मीनार 9 वीं शताब्दी में अब्बासिदों के कार्यकाल में निर्मित हुई थी।
मीनारें कई उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं। वे एक दृश्य केंद्र बिंदु प्रदान करते हैं, तथा प्रार्थना हेतु लोगों को बुलाने या आधान के लिए उपयोग किये जाते हैं। मीनार को देखते ही लोग समझ सकते थे कि यह एक इस्लामिक क्षेत्र है। इस प्रकार मीनार मस्जिदों को आसपास की वास्तुकला से अलग करने में मदद करती थी। आधुनिक अनेकों मस्जिदों में आधान माइक्रोफोन (Microphone) के माध्यम से प्रार्थना हॉल (Hall) या मुसल्लाह से किया जाता है जो कि मीनार पर लगाये गये स्पीकर सिस्टम (Speaker system) से जुडा होता है। स्पीकर से आवाज सुनते ही लोग प्रार्थना के लिए एकत्रित होने लगते हैं। मीनार के शीर्ष पर एक बल्बनुमा गुंबद, एक खुला मंडप, या एक धातु से ढका शंकु होता है। मीनार के ऊपरी हिस्सों को आमतौर पर नक्काशी से सजाया जाता है। प्रत्येक मस्जिद में मीनारों की संख्या एक से लेकर छह तक भिन्न-भिन्न होती है। इन मीनारों का निर्माण इस्लामी स्थल के रूप में किया गया था, जो दूर से ही दिखाई देते हैं।
विद्वानों का मानना है कि मीनारों की उत्पत्ति उमय्यद युग में हुई, वे इस बात की भी व्याख्या करते हैं कि ये मीनारें उस समय में सीरिया में पाए जाने वाले चर्च की एक प्रति थीं। अन्य संदर्भों के अनुसार सीरिया में इन मीनारों की उत्पत्ति मेसोपोटामिया के बेबीलोनियन (Babylonian) और असीरियन (Assyrian) धार्मिक स्थलों के झीगुरेट्स (Ziggurats) से हुई थी। एक अन्य विवरण बताता है कि इनका उपयोग यात्रियों के लिए एक 'लाइट हाउस (Light House)' के रूप में किया गया जिसने यात्रियों का मार्गदर्शन किया।

संदर्भ:
http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/i/019pho000000036u00018000.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Minaret
https://www.britannica.com/art/minaret-architecture
https://www.ancient.eu/Minaret/
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि में रामपुर की जामा मस्जिद को दिखाया गया है, जिसमें तीन बड़े गुंबद और ऊंची मीनारें सोने की चिड़ियों में हैं।(Prarang)
दूसरी छवि में रामपुर की जामा मस्जिद को दिखाया गया है, जिसमें तीन बड़े गुंबद और ऊंची मीनारें सोने की चिड़ियों में हैं।(Prarang)
तीसरी छवि में रामपुर की जामा मस्जिद को दिखाया गया है, जिसमें तीन बड़े गुंबद और ऊंची मीनारें हैं।(Prarang)