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गणित की संख्याएँ और उससे जुड़े प्रश्न किसी पहेली से काम नहीं होते हैं, देखने पर तो बहुत रोचक दिखाई पड़ते हैं किन्तु हल करने पर उलझन में डाल देते हैं। गणित का एक अत्यंत विचित्र पद है सुनहरा अनुपात (The Golden Ratio)। सुनहरे अनुपात को स्वर्णिम माध्य या सुनहरा खंड, चरम और औसत अनुपात, दिव्य खंड, स्वर्ण अनुपात, गोल्डन कट और मध्यवर्ती खंड आदि नामों से भी जाना जाता है। गणित के सिद्धांत के अनुसार जब दो संख्याओं का अनुपात (Ratio) उन दोनों संख्याओं के योग और बड़ी संख्या (दोनों संख्याओं में से) के अनुपात के बराबर होता है तब वह संख्या सुनहरा अनुपात कहलाती है।
φ अथवा Φ ग्रीक अक्षर phi सुनहरे अनुपात को प्रदर्शित करता है। आमतौर पर, अंग्रेजी की छोटी वर्णमाला में φ लिखा जाता है। इसक मान लगभग 1.618033988749894848 संख्या के बराबर होता है ।
यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर में शामिल क्यारुआन, ट्यूनीशिया में स्थित ग्रेट मस्जिद ऑफ क्यारुआन (The Great Mosque of Kairouan) जो उत्तरी अफ्रीका में सबसे बड़े और प्रभावशाली इस्लामी स्मारकों में से एक है। वर्ष 2004 में पहले किये गए शोध के ज्यामितीय विश्लेषण से यह पता चला कि मस्जिद के बहुत से हिस्सों जैसे प्रार्थना स्थान, अदालत और मीनार के आयामों तथा वहां के समग्र लेआउट (Layout) में सुनहरे अनुपात का निरूपण है। हालाँकि यह बात भी सामने आई कि स्वर्ण अनुपात को मूल रूप से मस्जिद के डिज़ाइन में सम्मलित नहीं किया गया था बल्कि पुनर्निर्माण के समय संभवतः इसे शामिल किया होगा। एक अनुमान के अनुसार नक्श-ए-जहाँ स्क्वायर (Naqsh-e Jahan Square) (1629) के डिजाइनरों और निकटस्थ लोटफुल्ला मस्जिद द्वारा सुनहरे अनुपात का प्रयोग यहाँ की ईमारत में किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय शैली में अपने आधुनिक योगदान के लिए विख्यात, प्रसिद्ध स्विस वास्तुकार ले कोर्बुसियर (Le Corbusier) ने अपने वास्तुशिल्प के डिज़ाइन में अनुपात की प्रणालियों को स्थान दिया। वह सुनहरे अनुपात और फाइबोनैचि श्रृंखला (Fibonacci Sequence) को ब्रह्मांड के गणितीय क्रम से जुड़ा हुआ मानते थे, जिसका वर्णन उन्होंने इस प्रकार किया, "लय आँखों से स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है और एक दूसरे के साथ संबंधों को स्पष्ट करती है। और ये लय अलग-अलग मानवीय गतिविधियों में होते हैं। वे एक जैविक अपरिहार्यता द्वारा मनुष्य में सुनाई देतीं हैं, वही उत्कृष्ट अपरिहार्यता जिसके कारण सुनहरे खंड का पता चलता है, बच्चे, बूढ़े, बर्बर और विद्वान लोगों में प्रकट होती है।" उन्होंने इस प्रणाली को एक लंबी परंपरा की निरंतरता के रूप में देखते हुए अपने वास्तुशिल्प के अनुपात के लिए स्पष्ट रूप से अपने मॉड्यूलर सिस्टम (Modular System) में सुनहरे अनुपात का उपयोग किया।
ज्यामिति (Geometry) आकृतियों, आकारों, रेखाओं और उन्हें जोड़ने के माध्यम का विज्ञान है, जिसमें संख्याएं आकृति के साथ इस प्रकार जुड़ी होती हैं कि हमें उन दोनों की भिन्नता का एहसास नहीं होता। ज्यामिति का महत्व केवल गणित के एक प्रकार के रूप में ही नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के अनेक कणों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उदाहरण के लिए मनुष्य का चेहरा। चेहरे में भी ज्यामितीय संरचना को देखा जा सकता है। विश्व-प्रशिद्ध डॉ स्टीफन आर मार्क्वार्ड (Dr. Stephen R. Marquardt) जो चेहरे के विश्लेषण और सुंदरता के विशेषज्ञ हैं। कई डॉक्यूमेंट्री फिल्म (Documentary Films) में और साथ ही अनेक लेखों (Articles) में उनके विचारों को देखा जा सकता है। वह 2001 में आई बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री "द फेस" के ब्यूटी एपिसोड में नज़र आए थे। अपने कई वर्षों के अध्ययन और अभ्यास के परिणामस्वरूप उन्होंने कई रोगियों की सर्जरी में अपनी खोज के माध्यम से सिद्ध की गई अवधारणाओं का उपयोग किया। उनके द्वारा बनाए गए फेस मास्क (Face Masks) ज्यामितीय चित्रण के सुनहरे अनुपात का स्पष्ट उदाहरण है।
इस्लाम धर्म में भी ज्यामिति का विशेष स्थान है। धर्म किसी भौतिक वस्तु या किसी प्रतिमा की पूजा करने की अपेक्षा 'अल्लाह' की पूजा करने का ज्ञान देता है। पवित्र ज्यामिति एक अंतरिक्ष, लेखन या अन्य कलाकृति के माध्यम से अल्लाह की महानता की याद दिलाता है। क़ुरान के अनुसार ईश्वर ने संसार की हर एक वस्तु को उसके विशिष्ट भाग और अनुपात के साथ बनाया था। अनुपात एक विशिष्ट आस्था है और सुनहरा अनुपात सभी वस्तुओं व उनके संतुलन और सौंदर्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि इस धर्म में भी पवित्र ज्यामिति के विज्ञान को स्थान मिला।