क्रिश्चियन धर्म (Christian) के नए आदेश पत्र (New Testament) में यह अंकित है कि ईसा मसीह का जनता के बीच पहला चमत्कार एक शादी में पानी को वाइन (Wine) में बदलना था। क्रिश्चन समन्वय के धार्मिक अनुष्ठान में यह स्थापित करने का प्रयास है कि कैसे वाइन पीने का आनंद ईश्वर और समाज के स्नेहिल आपसी-संबंध के गठजोड़ से जुड़ जाता है। सदियों से क्रिश्चियन पादरी वाइन बनाने के कौशल को संरक्षित और प्रचारित करने में लगे रहे और वह इस संस्कारित वाइन को नई और पुरानी दुनिया के धर्मावलंबियों में बांटते रहे। रामपुर का चर्च शहर की धरोहर में से एक है। क्रिश्चियन समुदाय के लोग यहां अपने धार्मिक संस्कार जैसे बपतिस्म (Baptism) और रात्रि भोज ( ईसा के अंतिम भोज की स्मृति में) संपन्न करते हैं।
शराब और धर्म का आपसी संबंध
1779 में बेंजामिन फ्रैंकलिन (Benjamin Franklin) ने एबे आंद्रे मोर्लेट (Abbé André Morellet) को पत्र लिखा कि "कोहनी की सामरिक बनावट इसका सबूत है कि ईश्वर की इच्छा है कि हम वाइन पियें। आखिरकार अगर ईश्वर ने कोहनी को हाथ के नीचे बनाया होता तो वाइन का गिलास हमारे मुंह तक पहुंच ही ना पाता। अगर कोहनी ऊपर होती तो शराब का गिलास हमारे होठों से कहीं ऊपर निकल जाता। उसकी वास्तविक बनावट से यह व्यवस्था है कि हम अपनी सहूलियत से वाइन पी सकते हैं। इसी खुशी में एक जाम हो जाए!" फ्रैंकलिन की इस विनोदी टिप्पणी से यह तो जाहिर ही है कि वाइन का संबंध मौज और पूजा दोनों से है।
शराब और धर्म-पुराने साथी
4000 BC में मिस्र में कुछ देवताओं को शराब से जोड़ा गया। मिस्र के वाइन के देवता हाथोर (Hathor) की याद में मासिक स्तर पर डे ऑफ़ इंटोक्सिकेशन (Day of Intoxication ( नशे का दिन)) मनाते थे। इसी संदर्भ में ग्रीक लोग डायोनिसस (Dionysus) को पूजते थे। रोमन इसे बृहस्पति की कृपा मानते थे, जो हवा, प्रकाश और ऊर्जा के देवता थे। एशिया की संस्कृति भी शराब को आध्यात्मिकता से जोड़ती है। चीन और जापान में समृद्धि के देवताओं को शराब का प्रसाद लगाया जाता है। अमेरिकी उपनिवेश में भी वाइन और धर्म के इस अटूट रिश्ते को निभाया जाता है।
ईश्वर का प्रसाद या शैतान का प्याला?
वाइन के सेवन और मद्यनिषेध की बहस के कई प्रसंग बहुत दिलचस्प है। मद्यनिषेध के पक्ष में कई कारण थे- आर्थिक सुरक्षा, शराबियों से बच्चों-महिलाओं की सुरक्षा आदि। 1920 से 1933 में मद्यनिषेध तभी लागू हो सका, जब कानून में क्रिस्चियन और यहूदी दोनों समुदायों के लिए शराब के निर्माण का विकल्प रखा गया। मद्यनिषेध के कट्टर समर्थकों ने यह पक्ष रखा कि शास्त्रों में जिस वाइन के सेवन की बात की गई है वह साधारण, बिना किष्वत /खमीरीकृत (non-fermented) अंगूरों का रस है। वैसे किसी ने भी इस तर्क को गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि एक मेथोडिस्ट (Methodist) मंत्री से दंत विशेषज्ञ बन गए थॉमस वेल्च (Thomas Welch) ने अपने शराब से विरोध को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रक्रिया इजाद की, जिससे वाइन बनाने वाला खमीर (Yeast) अंगूर से हटा दिया जाता है।
कोरोना का प्रकोप और क्रिश्चियन मातावलंबी
कोरोनावायरस सामाजिक दूरी के निर्देश को क्रिश्चन अनुयायियों ने पूरा सम्मान और सहयोग दिया है। इस संकट की घड़ी में लोगों का धर्म में विश्वास बढ़ा है।
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