अगर हम प्रारंग का संधि विच्छेद करते हैं तो हमें प्रा + रंग दो शब्द प्राप्त होते हैं, जहां प्रा का अर्थ प्राथमिक (प्रारंभिक/प्राचीन) से है और रंग का आशय वर्ण से हैं। प्रारंग भारत की एकता में अनेकता के रंग को उसी तरह संदर्भित करता है, जिस तरह प्राथमिक रंग बाकी सभी रंगों को करते हैं।
प्राथमिक रंग, रंगों के वो मान (Rate) होते हैं, जिनके मिश्रण से सभी रंग बनाये जा सकते हैं। मानव दृष्टि हेतु तीन प्राथमिक वर्ण ही प्रयोग किये जाते हैं, क्योंकि ये दृष्टि त्रिक्रोमैटिक (trichromatic) होती है। प्रारंग के लोगो में प्रयुक्त किये गए रंग प्राकृतिक रंग हैं।
पीटर कॉर्नेलिस मोंड्रियन (Pieter Cornelis Mondriaan), 1906 के बाद से पीट मोंड्रियन (Piet Mondrian) एक डच चित्रकार और सिद्धांतकार थे, जिन्हें 20 वीं शताब्दी के महानतम कलाकारों में से एक माना जाता है। इन्होने 20 वीं सदी के अमूर्त कला के अग्रदूतों में से एक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की, क्योंकि इन्होने आलंकारिक चित्रकला से अपनी कलात्मक दिशा को तेजी से एक अमूर्त शैली में बदल दिया, जब तक कि वह एक ऐसे बिंदु तक नहीं पहुंच गए, जहां उनकी कलात्मक शब्दावली सरल ज्यामितीय तत्वों तक कम हो गई थी। मोंड्रियन की प्राथमिक रंगों के साथ क्यूबिज़्म (Cubism) शैली की पेंटिंग्स के कारण भारी प्रसिद्धि मिली।
तो आइये आनंद लें मोंड्रियन की कला शैली का।
सन्दर्भ:
https://www.youtube.com/watch?v=zkhcWp9cPHg
https://www.youtube.com/watch?v=zKWOWDKILOE
https://www.youtube.com/watch?v=dNQd2aoeGRk
https://www.youtube.com/watch?v=1x8m-7N-Kjo
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