कर्बला एक मिसाल

रामपुर

 29-08-2020 10:35 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

संदर्भ: शिया समुदाय
मुहर्रम का महत्व मुस्लिम धर्म के सभी मतावलम्बियों के लिए एक सा है। इस्लामी दुनिया के अंदर आशूरा यानी मुहर्रम के 10वें दिन संपन्न होने वाले आयोजनों को मनाने की तीव्रता थोड़ी बहुत भिन्न होती है। मूसा का पुण्य स्मरण करने के लिए, पवित्र पैगंबर के समय में 2 दिन का उपवास रखा जाता था। कर्बला के युद्ध ने इसमें नया आयाम जोड़ा। दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में बसे शिया समुदाय के मुसलमानों के लिए आशूरा के दिन से संबंधित सांस्कृतिक आयोजन एकीकृत हो गए हैं। पूरे महीने और खासतौर से पहले 10 दिनों तक लोग रंगीन कपड़े नहीं पहनते, सादा खाना खाते हैं और सादा जीवन जीने का प्रयास करते हैं। कुछ शिया समुदाय सिर्फ काले रंग के कपड़े पहनते हैं। महिलाएं जेवर उतार देती हैं और प्रसाधनों का इस्तेमाल नहीं करती। कुछ वर्गों में घर में खाना कम से कम बनाते हैं। कुछ लोग स्थानीय इमामबाड़ा में अपना खाना ले जाते हैं। घरों की खूब सफाई की जाती है। अगरबत्ती जला कर घर के माहौल को पवित्र किया जाता है। तेज संगीत और आकस्मिक गतिविधियों पर रोक लगा देते हैं, घर की महिलाओं की रोज शाम को मजलिस होती है। पैगंबर साहब और हुसैन के परिवार की शहीद हुई महिलाओं की इन मजलिसों में याद की जाती है। पवित्र स्थान और मस्जिद जाया जाता है। हुसैन और उनके परिवार ने प्यास से बेहाल होकर कर्बला के मैदान में जिस तरह तड़प-तड़प कर दर्दनाक ढंग से जीवन का अंत लगभग 1400 साल पहले सहा, उसकी स्मृति में यह आयोजन होते हैं। आशूरा के दिन और कुछ लोग उससे 1 दिन पहले भी फाका रखते हैं। कुछ क्षेत्रों में यह भी रिवाज है कि भारी मात्रा में खिचड़ी पका कर उसे सब में बाँट कर खाया जाता है। यह दुख को बांटने का प्रतीक है और इसे 'नियाज' कहा जाता है। ज्यादातर मुस्लिम मुहर्रम के पूरे महीने किसी उत्सव या समारोह में शामिल नहीं होते हैं।

सन्दर्भ:
https://www.thedailystar.net/lifestyle/event/the-household-traditions-muharram-1297096
https://bit.ly/2m2rABm
https://publishing.cdlib.org/ucpressebooks/view?docId=ft0f59n6r9&chunk.id=d0e6610&toc.depth=1&toc.id=d0e6610&brand=ucpress
https://www.amarujala.com/photo-gallery/uttar-pradesh/meerut/muharram-tazia-jaloos-in-meerut-see-photos?pageId=2

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में मोहर्रम के जुलूस में ताज़ियों का एक दृश्य दिखाया है। (Wikimedia)
दूसरे चित्र में लखनऊ के विक्टोरिया चौक पर ताज़ियों का दृश्य दिखाया गया है। (Youtube)



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