उच्च आय और रोज़गार सृजन के लिए लाभदायक है केले की खेती

रामपुर

 27-08-2020 06:59 AM
साग-सब्जियाँ

केला पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय फल है और इसका नाम अरबी शब्द 'बनान (Banan)’ से आया है, जिसका अर्थ है 'उंगली'। केले का वैज्ञानिक नाम मूसा एक्यूमिनाटा (Musa Acuminata) और मूसा बाल्बिसियाना (Musa Balbisiana) है तथा इनकी सभी किस्में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), पोटेशियम (Potassium), फास्फोरस (Phosphorus), कैल्शियम (Calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) आदि से समृद्ध हैं। अपनी उच्च ऊर्जा क्षमता के कारण यह एथलीटों (Athletes) की पहली पसंद है तथा व्यापार और आय का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है। केले का पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में घरेलूकरण किया गया था। इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी6 (Vitamin B6) संक्रमण से लड़ने में मदद करता है तथा यह हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के लोहा युक्त वर्णक के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। इतिहास में पहली बार 600 ईसा पूर्व के बौद्ध ग्रंथों ने केले को अत्यधिक पोषक भोजन के रूप में उल्लेखित किया है।

भारत में, केले की फसल कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 2.8% है तथा यह किसानों के निर्वाह के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है और भोजन या आय के लिए वर्षभर सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उत्पादन के सकल मूल्य के संदर्भ में चावल, गेहूं और मक्का के बाद केला विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। यह लाखों लोगों के लिए एक प्रमुख प्रधान खाद्य फसल है और साथ ही स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से आय प्रदान करता है। कम कीमत और उच्च पोषक मूल्य के कारण केला बहुत लोकप्रिय फल है, जिसे पका हुआ या कच्चा दोनों रूप में ग्रहण किया जाता है। केले को नियमित रूप से खाने पर हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गठिया, अल्सर, गुर्दे की बीमारियां आदि का जोखिम कम हो जाता है। फलों से चिप्स (Chips), केला प्यूरी (Banana Puree), जैम (Jam), जेली (Jelly), जूस (Juice), शराब और हलवा जैसे संसाधित उत्पाद, बनाए जा सकते हैं। केले के अपशिष्ट से रस्सी और अच्छी गुणवत्ता का कागज तैयार किया जा सकता है।

केले का उत्पादन 135 देशों और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में किया जाता है। 2017-18 के दौरान, केले का वैश्विक उत्पादन 1253.4 लाख टन (Tonnes) और उत्पादकता 20.8 टन/हेक्टेयर थी। भारत दुनिया में सबसे बड़ा केला उत्पादक है, जिसने 2017-18 के दौरान, 8.6 लाख हेक्टेयर में लगभग 304.7 लाख टन केले का उत्पादन किया। उत्तर प्रदेश में केले की खेती के लिए लगभग 67.4 हज़ार हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाता है, जिससे हर साल लगभग 30.8 लाख टन केले का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से उगाई जाने वाली केले की किस्म ग्रैंड नाइन (Grand Nine - G-9) है तथा यहां के विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, फैजाबाद, बाराबंकी, सुल्तानपुर, लखनऊ, सीतापुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद में केले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

केले की खेती को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए वर्तमान में कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (Sardar Vallabhbhai Patel University of Agriculture & Technology) मेरठ, उत्तर प्रदेश में अनुसंधान परियोजना शुरू की गयी है, जिसका उद्देश्य नर्सरी की स्थापना और किसानों के बीच कम लागत के पौधों के वितरण के लिए टिशू कल्चर (Tissue Culture) तकनीक के माध्यम से रोग रहित केले (मूसा सेपेंटियम - Musa Sapentium) के पौधों का उत्पादन करना है। इस अनुसंधान परियोजना की निरंतरता की मदद से, कई किसानों ने अपने खेतों में केले की खेती शुरू की है। इस शोध परियोजना के कार्यान्वयन से, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई किसान जागरूक हुए हैं और पत्रिकाओं और स्थानीय अखबारों में केले की खेती के बारे में पढ़कर और व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से या रोग-मुक्त केले के पौधों के उत्पादन पर प्रशिक्षण और प्रदर्शन के माध्यम से लाभान्वित हुए हैं। निकट भविष्य में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि अधिक से अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आय बढ़ाने और अपनी आजीविका को बनाए रखने के लिए केले की खेती को अपनाने में सक्षम होंगे।

दुनिया भर में केले की लगभग 1,000 से अधिक किस्में पायी जाती हैं, जिसमें से एक किस्म ‘लाल केले’ की भी है। केले की इस किस्म का रंग लाल-बैंगनी होता है। कुछ किस्में सामान्य केले से आकार में बड़ी हैं तो कुछ छोटी। यह किस्म पीले रंग की किस्मों की तुलना में अधिक मुलायम और मीठी होती है। मध्य अमेरिका में यह फल सबसे पसंदीदा फलों में से एक है, जिसे दुनिया भर में बेचा जाता है। कई लाल केले पूर्वी अफ्रीका (East Africa), एशिया (Asia), दक्षिण अमेरिका (South America) और संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) में उत्पादकों द्वारा निर्यात किए जाते हैं। केले की यह किस्म जब पक जाती है तो इसका रंग गहरा लाल हो जाता है। पीले रंग के केले की तुलना में इसमें अधिक बीटा कैरोटीन (Beta Carotene) और विटामिन C पाया जाता है। अक्सर कच्चे केले को मीठा और फलों का सलाद बनाने में उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा इसे सेका जा सकता है तथा तलकर या टोस्ट (Toast) बनाकर भी उपयोग में लाया जा सकता है। इस फल में शर्करा के तीन प्राकृतिक स्रोत सुक्रोज़ (Sucrose), फ्रुक्टोज़ (Fructose) और ग्लूकोज़ (Glucose) मुख्य रूप से पाये जाते हैं, जो उन्हें स्थायी ऊर्जा का स्रोत बनाते हैं।

1870-1880 में टोरंटो (Toronto) के बाज़ार में दिखाई देने वाली पहली केले की किस्म लाल केले की ही थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के मुख्य बाज़ारों और बड़े सुपरमार्केटों (Supermarkets) में यह किस्म साल भर उपलब्ध होती है। लाल केले, पीले कैवेंडिश (Cavendish) किस्मों की तुलना में नरम और मीठा है, कई लाल केले पूर्वी अफ्रीका, एशिया, दक्षिण अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात में उत्पादकों द्वारा निर्यात किए जाते हैं। एक मध्यम लाल केले में सिर्फ 110 कैलोरी (Calorie) होती है जबकि रेशे की मात्रा केवल 4 ग्राम होती है, जो वजन नियंत्रण में सहायक है। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से एकत्रित किए गए प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार केले की खेती की कुल लागत प्रति हेक्टेयर 1,65,515.00 रुपये थी, जिसमें मानव श्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। केले की खेती से सकल और शुद्ध लाभ क्रमशः प्रति हेक्टेयर 2,55,000.00 और 89,485.00 रुपये था, जिससे लाभ लागत अनुपात (Benefit Cost Ratio) 1.54 प्राप्त हुआ, जो यह दर्शाता है कि केले की खेती अत्यधिक लाभदायक फसल है तथा क्षेत्र में उच्च आय और रोज़गार सृजन के लिए लोकप्रिय बनायी जा सकती है।

संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/Red_banana
https://krishijagran.com/featured/banana-farming-for-enhancing-income-and-sustaining-livelihoods/
https://www.itfnet.org/v1/2016/02/india-red-bananas-rule-fruit-market-in-tamilnadu/
https://www.healthline.com/nutrition/red-bananas
http://soeagra.com/iaast/iaastsept2019/4.pdf
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में बहुत सारे केलों का चित्रण है। (Freepik)
दूसरे चित्र में अर्धपके केलों को दिखाया है। (Flickr)
तीसरे चित्र में केलों को दिखाया गया है।(Wallpaperfare)
चौथे चित्र में लाल केलों को दिखाया गया है। (wikimedia)
पांचवें चित्र में उन्नत नस्ल के चित्तीदार केले दिखाई दे रहे हैं। (Youtube)
अंतिम चित्र में लाल केलों को दिखाया गया है। (Wikimedia)



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id