मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 19 फरवरी 2015 में भारत सरकार द्वारा जारी की गई योजना है। इसमें किसानों को एक कार्ड दिया जाता है, जिससे वह अपनी मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करा कर फसल के अनुरूप पोषक तत्व और उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल करके अच्छी उपज प्राप्त कर सकें। सभी मिट्टी के नमूनों की जांच देश की किसी भी मृदा जांच प्रयोगशाला में हो सकती है। इसके बाद विशेषज्ञ मिट्टी की जांच करके उसकी क्षमता और कमी(सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी) की समीक्षा करके उसके उपाय बताएंगे। जांच का नतीजा और उपचार के तरीके किसान के मृदा कार्ड पर लिख दिए जाते हैं। सरकार ने 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड बांटने की योजना तैयार की है। कृषि विभाग की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना एक बहुत उपयोगी कदम है। इससे लाभ उठाकर किसान खुद अपनी फसल और आमदनी सुधार सकते हैं, उन्हें भाग्य भरोसे नहीं बैठना होगा।
बजट
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लिए सरकार ने 568 करोड़ का बजट आवंटित किया है । 2016 में केंद्रीय बजट में से 100 करोड रुपए राज्य सरकारों को दिए गए ताकि वहां भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाये और मृदा जांच के लिए प्रयोगशाला स्थापित हो।
प्रदर्शन
जुलाई 2015 में, 34,00,000 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को जारी किए गए। 2016 में इनके आवंटन का लक्ष्य 84 लाख निश्चित हुआ था। अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, केरल, मिजोरम, सिक्किम, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल उन राज्यों के नाम है, जहां एक भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण तब तक नहीं हुआ था। यह संख्या फरवरी 2016 में बढ़कर 1.12 करोड हुई। 2016 का एक और लक्ष्य 104 लाख मृदा नमूने के संग्रह का था, जिसमें राज्यों ने 81 लाख मृदा नमूने एकत्र किए और 52 लाख की जांच हुई। 16 मई 2017 तक 725 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों में वितरित किए गए।
लक्ष्य
2015-16 में 100 लाख मृदा नमूने इकट्ठे करके उनकी जांच करा कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने का लक्ष्य था। मार्च 2016 से पहले दो करोड़ कार्ड्स वितरित करने थे। 2017 के लिए सरकार ने 12 करोड कार्ड बांटने का लक्ष्य तय किया।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड: दिशा निर्देश
1. हर तीसरे साल मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण देश के सभी किसानों को किया जाए ताकि वह अपनी भूमि की पोषकता कि स्थिति जांच एवं सुधार सकें।
2. मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना और इसके लिए कृषि संबंधी अन्य मंत्रालयों का सहयोग लेना शामिल है।
3. मृदा परीक्षण के मानक स्टैंडर्ड होने चाहिए। देश के हर कोने में जांच का स्तर एक होना चाहिए।
4. मृदा परीक्षण आधारित पोषण प्रबंधन को जिला स्तर पर प्रभावी बनाना ताकि भूमि के पोषक तत्वों को बढ़ाने की जागरूकता सभी किसानों तक पहुंच सके।
5. पोषण प्रबंधन कार्यकलाप के विकास के लिए जिला और राज्य स्तर पर कर्मचारियों और प्रगतिशील किसानों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
यह दिशानिर्देश कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी किए गए। विकासपीडिया पोर्टल (vikaspedia Portal) के माध्यम से भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) ने कृषि से संबंधित आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराई है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में स्वस्थ्य मृदा का चित्रण है। (Prarang)
दूसरे चित्र में रामपुर की मृदा को दिखाया गया है। (Prarang)
अंतिम चित्र में मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिखाया गए है। (Prarang)
सन्दर्भ:
http://vikaspedia.in/agriculture/policies-and-schemes/crops-related/krishi-unnati-yojana/scheme-on-soil-health#section-3
https://en.wikipedia.org/wiki/Soil_Health_Card_Scheme
http://agricoop.gov.in/ministry-major-schemes/soil-health-card
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