नहरों द्वारा सिंचाई भारत में सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। यह सस्ता है। 2008-09 में 165.97 लाख हेक्टेयर जमीन की नहरों द्वारा सिंचाई में आधा हिस्सा उत्तर के मैदानी क्षेत्रों का था। अगर हम सीधा हिसाब लगाएं तो 91.72% सिंचित क्षेत्र जम्मू कश्मीर में,66.24 प्रतिशत छत्तीसगढ़,64.7 प्रतिशत उड़ीसा, 44.28 % हरियाणा और 34.63 प्रतिशत आंध्र प्रदेश में नहरों द्वारा खींचा जाता है। देश के नहरों द्वारा सीचे जा रहे कुल क्षेत्र का सबसे बड़ा भाग उत्तर प्रदेश में नेहरों द्वारा सींचा जाता है। दूसरे प्रमुख प्रदेश जहां यह प्रणाली चलन में है, वह है- मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार। यह दो प्रकार की नहरें हैं- सैलाब नहर और चिरस्थाई नहर।
रामपुर नहर प्रणाली
रामपुर का कुल भौगोलिक क्षेत्र 2 ,35 ,360 हेक्टेयर और कुल कृषि योग्य भूमि क्षेत्र 1,11 ,190 हेक्टेयर है।ppa खरीफ के लिए 37972 हेक्टेयर और रबी के लिए 29768 हेक्टेयर है। रामपुर की नहर प्रणाली राजशाही युग से ( प्रिंसली स्टेट्स era ) शुरू होकर आज शताब्दी पुरानी हो चुकी है। सारी नहर प्रणालियां नदियों पर नियामक (regulators),आड़ और मिट्टी के बांध के निर्माण करके बनाई गई हैं। रामपुर जिले में 18 नहर प्रणालियां हैं जो कोसी, पिलाखर,भाखड़ा,सैजनी, धीमरी, नहाल किचिया, डाकरा,कैयानी, कलाइया आदि नदियों से जल प्राप्त करती हैं।
उत्तर प्रदेश में नहर सिंचाई का प्रमुख साधन है। हिमालय की पहाड़ियों से जन्मी चिरस्थाई नदियों और उर्वर मिट्टी से समृद्ध होने के बावजूद अपर्याप्त बारिश के कारण यहां कृषि की टिकाऊ बढ़वार नहीं हो पाती । इसलिए बड़ी संख्या में नहरों का निर्माण कर फसलों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश की 3091 हजार हेक्टेयर जमीन कि नहरों द्वारा सिंचाई होती है जो देश की नहरों द्वारा सिंचित कुल भूमि का 30.91 प्रतिशत है। राज्य का एक चौथाई सिंचाई योग्य क्षेत्र नहरों द्वारा सींचा जाता है । उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरे हैं-
ऊपरी गंगा नहर
निचली गंगा नहर
शारदा नहर
पूर्वी यमुना नहर
आगरा नहर
बेतवा नहर
रामगंगा नहर प्रणाली
रामपुर की जलापूर्ति ग्राम गंगा नहर प्रणाली से होती है जो कि दो नहरों के समन्वय पर आधारित है। रामपुर बल्कि आसपास के जिलों में भी इसी प्रणाली से सुविधा मिलती है।
रामगंगा फीडर नहर:
रामगंगा फीडर नहर रामगंगा हरेवली बैराज के दाहिने किनारे पर बने मुख्य नियामक ( रेगुलेटर) से निकलती है। इसका अधिकृत पानी का बहाव 5350 कुसेक्स है। यह नहर 10.40 किलोमीटर लंबाई पार करने पर खो नदी में मिल जाती है। 2 किलोमीटर बहने के बाद, रामगंगा फीडर नहर 12.40 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद खो बैराज के दाहिने किनारे सर कोट बस्ती तक पहुंच जाती है।81.71 किलोमीटर के बाद यह फीडर नहर धनोरा ब्लॉक के बहा नाले से मिलती है, और उसके 20 किलोमीटर बहने के बाद डिग्री के नजदीक गंगा नदी में मिल जाती है।
उप फीडर नहर और रामगंगा नहर प्रणाली-
रामगंगा फीडर नहर और उप फीडर नहर, जिनकी क्षमता 250 क्यूसेक्स होती है, खो बैराज से बाहर निकलती है।21.60 किलोमीटर फीडर नहर की लंबाई के बाद,46.26 किलोमीटर लंबाई के बाद 231 कूसेक्स बहाव, और 2.81 किलोमीटर रामगंगा नहर के बाद 30.70 महमूदपुर राजबाहा की लंबाई से हेड डिस्चार्ज 90 कुसेक्स होता है। पहले रामगंगा नहर प्रणाली पंप नहर प्रणाली से संचालित होती थी जिसका निर्माण 1930 में हुआ था। 1972 में, यह सब फीडर प्रणाली से चलने लगी, खो बैराज के निर्माण के बाद। रामगंगा मुख्य नहर द्वारा 20.92 किलोमीटर की जरीब दूरी तय करने के बाद, उमरी जाबाहा, जिसकी लंबाई 19 . 12 किलोमीटर थी, हेड डिस्चार्ज 52
क्यूसेक्स के साथ बाहर आ गई। इस नहर प्रणाली से 9316 हेक्टेयर बिजनौर,12666 हेक्टेयर मुरादाबाद और 9907 हेक्टेयर अमरोहा की जमीनों की सिंचाई होती है। इसमें शामिल है 12118 हेक्टेयर रबी की फसल और 102014 हेक्टेयर खरीफ की फसल।
इस नहर प्रणाली में 32 नैहरे हैं जिनकी लंबाई 218 .90 किलोमीटर है। इसमें मुख्य नहर शामिल नहीं है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में सरदार सरोवर नहर को दिखाया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में नहर द्वारा सिचाई को दिखाया गया है। (Youtube)
तीसरे चित्र में नहर सिंचाई परियोजना के तहत बनायी गयी जल संचयन सुविधा को दिखाया गया है। (Freepik)
चौथे चित्र में नहर से नालियों के द्वारा संचयन के लिए खेतों में पहुँचाये जाने वाले पानी को दिखाया गया है। (Flickr)
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