प्राचीन काल में (600 BC-1200 CE) रामपुर का इलाक़ा पांचाल राज्य का एक हिस्सा था (बुद्ध के समय के प्रमुख 16 महाजनपद में से एक)।पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र बरेली ज़िले के आँवला तहसील में रामनगर गाँव के पास थी।भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में इस क्षेत्र का विशेष योगदान रहा।विभिन्न राजवंशों ने हज़ारों वर्ष यहाँ राज्य किया।महाभारत काल में इस क्षेत्र में राजा द्रुपद का शासन था।गुरु द्रोणाचार्य ने राजा द्रुपद को हराकर उनसे आधा राज्य जीत लिया।राजा द्रुपद के पास शेष बचे दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य और गुरु द्रोणाचार्य द्वारा विजित उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी।तपस्या करने गुरु द्रोणाचार्य द्रोण सरोवर से होकर जाते थे।यह काशीपुर क्षेत्र में पड़ता था।बाद में रामपुर का क्षेत्र अहिच्छत्र के शासकों द्वारा शासित रहा।राजा हर्षवर्धन के समय में यह कन्नौज राज्य का अंग बन गया।चीनी यात्री ह्वेनसांग 635-636 ई० में इस क्षेत्र के भ्रमण के दौरान काशीपुर (जनपद नैनीताल, जो उस समय शैवों का महत्वपूर्ण पूजास्थल था) होते हुए अहिच्छत्र पहुँचे।उस समय रामपुर के उत्तर-पूर्व भाग में घने जंगल थे।रामगंगा नदी के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के बाद के राजाओं ने इस वन प्रांत को अपना शिकारगाह बनाया।कन्नौज के राजपूत वंशों ने लगभग साढ़े पाँच वर्ष इस क्षेत्र पर राज्य किया।
मध्यकाल (1192-1526 ई०)
1192 ई० में गौर के सुल्तान मोहम्मद ग़ौरी ने दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान को हराकर मुस्लिम शासन की शुरुआत की।उसके सेनापति क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने इस क्षेत्र के बदायूँ पर आक्रमण कर उसे भी तुर्की राज्य में शामिल कर लिया।इस क्षेत्र में उस समय राजपूतों का बहुत प्रभाव था।क़रीब तीन सौ साल तक यहाँ विभिन्न वंशों के सुल्तानों का राज्य रहा और उनसे राजपूत अपनी आज़ादी के लिए लड़ते रहे।कठेरिया राजपूतों के प्रभाव के कारण यह क्षेत्र कठेर कहलाता था।उन्होंने कई क़िले स्थापित किए।रामपुर का क्षेत्र उनके प्रभुत्व में था।पन्द्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में राव हरसिंह देव ने और बाद में उनके बेटे रामसिंह ने इस क्षेत्र पर राज्य किया।राव रामसिंह के बारे में जनश्रुति है कि उन्होंने रामपुर की स्थापना की।यह भी कहा जाता है कि राजद्वारा मोहल्ला पुराना रामपुर था।
मुग़लकाल (1526-1555 ई०) में लखनौर (शाहबाद) का विकास
सोलहवीं शताब्दी की शुरुआत में कठेरिया राजा मित्रसेन ने अपनी शक्ति बहुत बढ़ा ली और लखनौर (जो बाद में शाहबाद कहलाया) में क़िला बनाया।शेरशाह सूरी, उसके उत्तराधिकारी इस्लामशाह तथा अकबर के शासन के आरम्भिक वर्षों में मित्रसेन संभल सूबे का सूबेदार बन गया।इतिहासकार अबुल फ़ज़ल के अनुसार अकबर के सिंहासन पर बैठने के पाँचवे वर्ष में सिकंदर खाँ के बेटे और ग़ाज़ी खां ने अकबर के विरुद्ध विद्रोह किया जिसमें राजा मित्रसेन भी विद्रोहियों के साथ सम्मिलित हुआ।सादिक़ खाँ ने विद्रोह दबा दिया।
अकबर कालीन वित्तीय व्यवस्था
बादशाह अकबर के काल में पूरे साम्राज्य की अर्थ एवं वित्त व्यवस्था सुचारु थी।संभल एक महत्वपूर्ण सूबा था जिसके अधीन 47 परगने आते थे जिनमें से रामपुर क्षेत्र में लखनौर महत्वपूर्ण था।’आइने अकबरी ‘ में अबुल फ़ज़ल के अनुसार लखनौर में 246440 बीघा ज़मीन खेती योग्य थी तथा 2499208 दाम लगान निश्चित किया गया था।यहाँ 1000 घोड़े तथा 500 पैदल सिपाही निश्चित किए गए थे।
अन्य मुग़ल बादशाह काल (1555-1707ई०)
बादशाह जहांगीर के काल में इस क्षेत्र के बारे में विशेष उल्लेख नहीं मिलता है।1627 में शाहजहाँ के गद्दी पर बैठते ही इस क्षेत्र की व्यवस्था में बदलाव किया गया।बदायूँ के स्थान पर बरेली सरकारी मुख्यालय बनाया गया।लखनौर का नाम शाहजहाँ के काल तक रहा।औरंगज़ेब के समय के विवरणों में लखनौर का ज़िक्र शाहबाद के नाम से किया गया है।ब्रिटिश म्यूज़ियम के रोटोग्राफ़ काग़ज़ात-ए-मुतफ़र्रिका फो. 86 के अनुसार औरंगज़ेब के समय में शाहबाद लखनौर महाल (परगने) से लगान की आमदनी 22466735 थी।
1707 से 1742 ई० तक की राजनैतिक स्थिति
18 वीं शताब्दी की शुरुआत में इस क्षेत्र की, जो बाद में रुहेलखंड कहलाया, राजनैतिक स्थिति बहुत अराजक थी।औरंगज़ेब के बाद यहाँ का मुग़ल शासन शिथिल हो गया।ज़मींदार स्वतंत्र होकर ख़ुद को राजा कहने लगे।यह सभी ज़मींदार प्रभुता एवं सत्ता के लिए आपस में लड़ते रहते थे जिसका लाभ रुहेलों ने उठाया और वह रुहेलखंड रियासत बनाने में सफल हो गए।
1742-1774 ई० तक बदलाव
रामपुर इस समय रामपुर नाम से प्रसिद्ध नहीं था लेकिन इसके अंतर्गत आने वाले सभी इलाक़ों पर नवाब अली मोहम्मद खाँ ने अपना अधिकार स्थापित किया और यह क्षेत्र रुहेलखंड रियासत का अंग बना।1752 ई० में इस रियासत का अंतिम रूप से बँटवारा हो गया।नवाब अली मोहम्मद खां के दो बेटों और अन्य रुहेला सरदारों में यह रियासत छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो गई जिसके वो शासक बन गए।इसमें रामपुर, शाहबाद तथा छांछट का क्षेत्र नवाब फ़ैज़ुल्लाह खाँ को प्राप्त हुआ।उन्होंने बाद में शाहबाद को अपनी रियासत की राजधानी बनाया।1752 से 1774 ई० तक नवाब फ़ैज़ुल्लाह खाँ रामपुर रियासत स्थापित होने से पहले भी यहाँ के नवाब थे।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में रामपुर कोट ऑफ़ आर्म्स का चिन्ह प्रदर्शित किया गया है। (Wikimedia)
2. महाजनपद पांचाल की मुहर का चित्र, (Twitter)
3. स्मॉल हाउस फोर्ट, जिसे अब रज़ा लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है।, Wikimedia
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2ygsUHn
2. https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/207746/5/05%20chapter%201.pdf
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.