क्या है, भारत और दुनिया में जनसंख्या के आधार पर चिकित्सकों का अनुपात ?

रामपुर

 18-04-2020 10:20 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

स्वास्थ्य सेवायें किसी भी देश या स्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरूरत होती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं से ही किसी देश या राष्ट्र की पृष्ठिभूमि तैयार की जाती है। मनुष्य इन सभी तथ्यों को तब समझ पाता है, जब उसे कोई बड़ी समस्या घेर लेती है। वर्तमान समय वैसा ही है, आज का विश्व कोरोना (Corona) नामक महामारी से ग्रसित है और ऐसे में स्वास्थ सेवाओं के महत्व को लोग बड़े स्तर पर समझ रहे हैं। एक स्वस्थ देश एक स्वस्थ और मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण करता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है और यह विश्व पटल पर एक तेजी से विकसित होने की ओर अग्रसर भी है। ऐसे में यहाँ से स्वास्थ सम्बन्धी समस्याओं और मूल्यों का अवलोकन करना अत्यंत ही आवश्यक हो जाता है। स्वास्थ सेवाओं में चिकित्सकों (Doctor) का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में जनसँख्या के अनुपात में कितने चिकित्सक भारत में हैं उनका समीकरण तैयार करना एक आवश्यक बिंदु है। विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की माने तो प्रत्येक 1000 की जनसँख्या पर एक चिकित्सक होना आवश्यक है, वहीँ जब हम भारत की बात करते हैं तो यहाँ पर जनसँख्या के अनुपात में 1674 लोगों पर एक चिकित्सक की मौजूदगी है। वहीँ अगर हम ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो इन क्षेत्रों में चिकित्सकों की समस्या अत्यंत ही वृहत है।

भारत के संविधान की बात करें तो यह सभी को जीने की आजादी देता है और साथ ही साथ यह भारत के प्रत्येक नागरिक को चिकित्सा प्रदान करने की बात भी करता है। परन्तु आंकड़े वर्तमान समय में कुछ और ही प्रदर्शित करते हैं। हाल ही में 2015 में नेशनल हेल्थ पालिसी (National Health Policy) का निर्माण किया गया था जिसमे स्वास्थ सम्बन्धी सेवाओं को जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में रखा गया था। उसी के आधार पर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने विभिन्न स्वास्थ बिमाओं का भी आयोजन किया जिसमे देश भर के विभिन्न तबकों के लिए स्वास्थ सम्बन्धी सेवाओं को प्रदान किया जाना तयं हुआ। ऐसे योजनाओं का समाज पर एक अच्छा प्रभाव पड़ता है परन्तु चिकित्सकों की कमी इस प्रकार के योजनाओं पर पानी फेरने का कार्य करती हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति है ग्रामीण इलाकों की, इसी सिलसिले में यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा ग्रामीण जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश हिमांचल प्रदेश है जहाँ पर सबसे बेहतर स्वास्थ का बुनियादी ढांचा है, बाकी का देश भर में इसके उलट ही आंकड़े हैं। इसी आंकड़े के अनुसार भारत में विशेषज्ञ चिकित्सकों की लगभग 64 फीसद से ज्यादे की कमी है। भारत भर में करीब 1,100 ऐसे सामुदाइक स्वास्थ केंद्र (Primary Healthcare Centre) जहाँ पर एक भी चिकित्सक नहीं मौजूद हैं। जैसे की हमें पता है की भारत भर में नर्सों की भी बड़ी कमी है तो ऐसे में और भी बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। वर्तमान समय में भारत के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों में करीब 19,236 विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता है जो की एक वृहद् समस्या है। इन आंकड़ों का एक यह भी कारण है की भारत में स्वास्थ सेवाओं पर जीडीपी (GDP) का एक बहुत ही कम भाग खर्च किया जाता है जिसके कारण यहाँ की स्वास्थ सम्बन्धी बुनियादी सेवाओं की कमी देखि जा रही है। सरकारी व्यवस्था न होने के कारण यहाँ के लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है जहाँ पर उन्हें एक मोटी रकम चुकानी पड़ती है। भारत में वर्तमान काल में करीब 47 फीसद ऐसे लोग हैं जो की निजी अस्पताल में इलाज के लिए संपत्ति तक बेच देते हैं। वहीँ 30 फीसद ऐसे लोग हैं जो की आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाते। भारत में प्रत्येक साल 39 मिलियन (Million) ऐसे लोग हैं जो कि बीमार होने के कारण गरीबी की ओर अग्रसर हो जाते हैं। उपरोक्त दिए गए आंकड़ों को जब हम देखते हैं तब हमें यह पता चलता है कि हमारी स्वास्थ व्यवस्थाओं में कितनी खामियां हैं जो की हमारे स्वास्थ के साथ साथ हमारे देश के विकास में भी रोड़ा बनने का कार्य करती है।

चित्र (सन्दर्भ):
1.
मुख्य चित्र में दो भारतीय डॉक्टर्स (Doctors) को दर्शाया गया है।
2. आईसीयू में एक मरीज के मेडिकल चार्ट की समीक्षा करने वाले अस्पताल के कर्मचारियों में से एक। (Wikimedia Commons)
सन्दर्भ:
1. https://international.commonwealthfund.org/countries/india/
2. https://archive.indiaspend.com/sectors/rural-india-faces-60-shortage-of-doctors
3. https://bit.ly/3bkVzZZ



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