पानी एक अनमोल वस्तु है, जिसके बिना जीवन कभी संभव ही नहीं हो सकता। जब हम एक नल को चालू करते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि पानी स्वतंत्र रूप से बाहर निकलेगा और अधिकांश समय ऐसा होता भी है। हालाँकि, जब पानी नल से बूँद-बूँद कर या बहुत तेजी से बाहर आये तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि पानी का दबाव ठीक नहीं है। पानी का दबाव हमारे घरों, व्यवसायों और सार्वजनिक स्थानों में पाइप (Pipe) के माध्यम से पानी को स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले बल की माप है। इसका मतलब यह है कि जिस दर पर एक नल से पानी बहता है वह उस दबाव पर निर्भर करता है जिस पर पानी चल रहा है। इसे तीन अलग-अलग इकाइयों, बार (bars), पीएसआई (pounds per square inch-PSI), हेड (मीटर) का उपयोग करके मापा जाता है। एक बार (या 14.5 PSI) वह बल है जो पानी को दस मीटर की ऊंचाई तक उठाने के लिए आवश्यक है। जल उद्योग के नियामक (Ofwat - Office of Water Services) ने सात मीटर (0.7 बार या 10.15 PSI) पर पानी का न्यूनतम दबाव निर्धारित किया है। जल प्राधिकरण द्वारा निर्धारित जल दबाव स्तर के अलावा, पानी के दबाव को प्रभावित करने वाले कई अन्य कारक हैं, जैसे इमारतों का उन्न्यन, दिन का समय और आसपास के क्षेत्र के अन्य लोगों द्वारा कितने पानी का उपयोग किया जा रहा है आदि।
कम पानी का दबाव पानी के प्रवाह को कम कर सकता है, जिसका मतलब है कि किसी बर्तन को भरने में समय अधिक लगेगा या पानी से संचालित होने वाले कार्य अधिक समय लेंगे। जब दो नल एक साथ चलाए जाते हैं तब कम पानी का दबाव अधिक स्पष्ट हो जाता है। जब पानी का दबाव बहुत अधिक होता है तो यह लीकेज (Leakage), पाइप, पानी आदि के नुकसान का कारण बनता है जिससे पाइपलाइनों (Pipelines) और नलों की मरम्मत करना अधिक महंगा हो सकता है। इसलिए अत्यधिक उच्च और अत्यधिक निम्न दोनों ही जल दाब नुकसान का कारण बनते हैं और इसलिए पानी के दबाव का संतुलन में रहना आवश्यक है। आंतरिक पाइपलाइनों की जांच करके पानी के दबाव के कई मुद्दों को हल किया जा सकता है। यदि समस्या बनी रहती है तो यह हो सकता है कि पानी आपूर्तिकर्ता ने दबाव बहुत अधिक या बहुत कम सेट (set) किया हो। 2005 में आमतौर पर पर्याप्त बुनियादी ढांचे के बावजूद भी, एक मिलियन (10 लाख) से अधिक की आबादी वाले 35 भारतीय शहरों में से किसी को भी प्रति दिन कुछ घंटों से अधिक पानी वितरित नहीं किया गया।
पानी का दबाव बहुत कम होने की वजह से व्यक्तिगत घरों में पानी के टैंक भरे नहीं जा रहे हैं जोकि दैनिक आधार पर संकट पैदा कर रहा है। परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को निजी टैंकर आपूर्तिकर्ताओं से पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अपर्याप्त दबाव के कारण लोग पानी की उपलब्धता होने के बावजूद भी पानी इकट्ठा करने के लिए संघर्ष करते हैं। गगनचुंबी इमारतों में पानी की पहुँच ने इस समस्या को और भी अधिक उजागर किया गया है जो आज भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों में पानी की उपलब्धता या वितरण के परिदृश्य को दर्शा रहे हैं। नीती आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने इतिहास के सबसे खराब जल संकट से पीड़ित है, जिसमें लगभग 600 मिलियन (60 करोड) लोग गंभीर रूप से पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। अगर यह कमी ऐसे ही जारी रहती है, तो 2050 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में 6% की कमी होगी। ऐसे देश में जहां पानी सबसे सस्ती वस्तु है, चरम जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या, प्रदूषण आदि इस प्राकृतिक धन को प्रभावित कर रहे हैं।
स्थानों की कमी और उच्च भूमि लागत ने अधिक से अधिक ऊँची इमारतों वाले शहरों के निर्माण का नेतृत्व किया है। यह कुशल जल वितरण और प्रबंधन प्रणालियों को सुनिश्चित करने के लिए समग्र डिजाइन (design) संरचना को एक बड़ी चुनौती देता है। भारत के विभिन्न बड़े शहरों में हजारों संख्या में इस प्रकार की इमारतें बनायी गयी हैं तथा बनायी जा रही हैं। किन्तु इन इमारतों के प्रत्येक स्तर या क्षेत्र तक पानी का समुचित वितरण एक बड़ा प्रश्न है। जल आपूर्ति प्रणाली को विभाजित करना यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि पानी का दबाव एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक अत्यधिक भिन्न न हो। प्रत्येक क्षेत्र में ऊपरी मंजिल पर न्यूनतम दबाव 1.5 – 2 बार से नीचे नहीं गिरता है, और प्रत्येक क्षेत्र में सबसे निचली मंजिल पर अधिकतम दबाव 4 – 4.5 बार से अधिक नहीं होता है। गगनचुम्बी इमारतों के हर स्तर पर पानी की आपूर्ति पंप (pump) के द्वारा होती है। बड़ी इमारतों के कुछ स्तरों में होल्डिंग टैंक (holding tanks) लगे होते हैं। इसलिए पंपों को केवल अगले उच्चतम टैंक तक पानी को पहुंचाना होता है।
एक गगनचुंबी इमारत के शीर्ष पर जल की आपूर्ति करने के लिए हेड दबाव (head pressure) की मात्रा अक्षम्य और बहुत खतरनाक हो सकती है। ऊंची इमारतों के लिए पानी के पर्याप्त दबाव को सुनिश्चित करने के लिए छत की टंकियों (roof tanks) का उपयोग, सबसे आम समाधान हो सकता है। इसका विकल्प दबाव वाली प्रणालियों (pressurised systems) का उपयोग है, जहां कई बूस्टर पंप (booster pumps) आवश्यक दबाव प्रदान करते हैं। रूफ टैंक हालांकि तकनीकी रूप से उन्नत नहीं हैं, किन्तु बिजली की अनुपस्थिति में पानी के दबाव और आपूर्ति दोनों को अनुमति देते हैं। रूफ टैंक की संरचनात्मक आवश्यकताएं और रखरखाव अधिक है। बहु-मंजिला इमारतों को आमतौर पर पानी के दबाव नियंत्रण के स्तर में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक स्तर तक पानी की आपूर्ति दबाव-बूस्टर (pressure-boosters) के माध्यम से की जा सकती है। बेहतर और ऊर्जा-कुशल दबाव बूस्टर (energy-efficient pressure booster technology,) प्रौद्योगिकी के साथ आज कहीं अधिक उन्नत विकल्प हैं, जो पानी के दबाव की समस्या को हल कर सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.dutypoint.com/news/2016/06/32-why-is-water-pressure-important
2. https://bit.ly/2RJZXtX
3. https://bit.ly/2KeIo0Z
4. https://bit.ly/2VGPsZI
चित्र सन्दर्भ:
1. Prarang Archive - मुख्य चित्र पानी और उसके दवाब के लिए लगायी जाने वाली विद्युत् पंप को दिखाया गया है।
2. Youtube.com - Water दूसरे चित्र में पानी की किल्लत को दिखाया है।
3. Prarang Archive - तीसरा चित्र पार्श्व में एक बड़ी ईमारत और उससे बाहर आते हुए पानी के टैंकर (Tanker) का कलात्मक चित्र प्रस्तुत है।
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