कोरोना वायरस (coronavirus) का कहर विश्वभर में काफी बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए विश्वभर में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में भी इसका संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और ऐसे में सीमावर्ती कार्यकर्ताओं के समक्ष व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण की मांग में भी वृद्धि को देखा गया है। भारत में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणो में कोरोनावायरस से बचाव के लिए हज़मत सूट (Hazmat suits)(Hazardous Material Suit) का सहारा लिया जा रहा है। वहीं रामपुर से थोड़े ही दूर स्थित सहारनपुर में हजमत सूट के बड़े निर्माता मौजूद हैं। एक हजमत सूट व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का एक हिस्सा है, ये पूरे शरीर को ढक कर खतरनाक पदार्थों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस तरह के सूट में श्वास की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अक्सर स्व-निहित श्वास तंत्र जोड़ा जाता है। इस सूट का उपयोग अग्निशामकों, आपातकालीन चिकित्सा कार्यकर्ताओं, चिकित्सा-सहायक, शोधकर्ताओं, दूषित सामग्री की सफाई करने वाले विशेषज्ञों और विषैले वातावरण में काम करने वाले कर्मियों द्वारा किया जाता है।
हज़मत सूट मूल रूप से दो भिन्नताओं में आते हैं: छप सुरक्षा और वाष्प सुरक्षा सूट। जैसा कि नाम से पता चलता है कि छप सुरक्षा सूट एक व्यक्ति के शरीर को किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं ये सूट एक व्यक्ति की घातक गैसों या धूल से सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। दूसरी ओर वाष्प सुरक्षा सूट अतिरिक्त रूप से गैसों और धूल से बचाता है।
चार्ल्स डी लोर्मे (Charles de Lorme) ने 1619 में एक ऐसे सुरक्षात्मक परिधान के आविष्कार पर विचार किया था जो पूर्ण रूप से शरीर को सिर से लेकर पैर तक के लिए सुरक्षा प्रदान करे और उनके द्वारा "बीक डॉक्टर (beak doctor)" की पोशाक का आविष्कार किया गया। दरसल चिकित्सक 1600 के दशक में आई महामारी को वायुवाहित रोग मानते थे और सोचते थे कि ये बीमारी दुर्गंध या संक्रमित व्यक्ति की सांस से फैलती है। इसलिए उन्होंने खुद को इलाज करते समय संक्रमित न होने से बचाने के लिए एक विशिष्ट पोशाक का आविष्कार किया। ये पोशाक आमतौर पर एक व्यक्ति को पूरा ढक देती थी, इसमें चहरे को ढकने के लिए एक मास्क बनाया गया था, जिसमें देखने के लिए दो ग्लास (glass) के छेद थे और चिड़िया के समान एक चोंच थी, ऐसा कहा जाता है कि चिकित्सक इस चोंच में सुगंधित जड़ी-बूटियाँ रखते थे। ये संपूर्ण पोशाक चमड़े से बनी हुई थी और इसके साथ ही लेगिंग (legging), दस्ताने, जूते और एक टोपी भी चमड़े के बने थे।
आधुनिक तकनीकी में उन्नति के साथ ही सुरक्षा के इस विचार और इस पोशाक में भी काफी बदलाव आ गया है। वर्तमान समय में सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाने वाला हजमत सूट कोरोनावाइरस जैसी महामारी से लड़ने में जहां काफी उपयोगी माना जा रहा है वहीं प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इसका उपयोग किए जाने पर इसकी न केवल चिकित्सकों के पास कमी हो रही है बल्कि यह उन लोगों को भी सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहा है जिन्हें इनका सही तरह से उपयोग करना नहीं आता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि हजमत सूट कोरोनावायरस के खिलाफ एक प्रभावी बचाव की संभावना नहीं देता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन सूट को पहनने वाला व्यक्ति यदि इनका उपयोग सावधानी से नहीं करता है, तो वो स्वयं को तो कोरोनावायरस से संक्रमित करता है साथ ही अपने आस-पास के लोगों और परिवार के सदस्यों को भी संक्रमित करता है। इसको आप एक उदाहरण से अच्छी तरह समक्ष जाएंगे, मान लीजिए आपने हाथों में दस्ताने पहने हुए हैं और आप एक कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति या ऐसे किसी स्थान के संपर्क में आते हैं।
तो इससे आपके दस्ताने भी दूषित हो जाते हैं, अब यदि आप उन दस्तानों को अपने हाथ से सावधानीपूर्वक एवं सही तरीके से नहीं निकालते हैं तो आप अंत में अपने हाथों को ही दूषित कर लेंगे। इस तरह आप केवल स्वयं को ही नहीं बल्कि उन अन्य वस्तुओं (जैसे कि आपके खाद्य उत्पाद) को भी दूषित कर देते हैं जिन्हें आपने छुआ होता है, जिससे आपके द्वारा अपने घर और आस-पास में दूषण को फैला दिया जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को वर्तमान समय में स्वयं के और अपने आस-पास के बचाव के लिए अन्य लोगों से दूरी बनाए रखने और बार-बार हाथ धोने की सलाह का पालन करना चाहिए और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों को हमारे चिकित्सकों या कोरोनावायरस संक्रमित रोगियों की देखभाल करने वालों के लिए छोड़ देना चाहिए।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Hazmat_suit
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Plague_doctor_costume
3. https://bit.ly/2RbmMqe
4. https://futurism.com/neoscope/grocery-stores-hazmat-suits
चित्र सन्दर्भ:
1. pixabay.com - hazmat suit/india
2. publicdomainpictures.net - indian hazmat protector suits
3. pexels.com - hazardous protection suits
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