कोरोना का परिक्षण महत्वपूर्ण क्यूँ ?

रामपुर

 06-04-2020 03:40 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

किसी भी रोग के प्रसार को रोकने में उसके परिक्षण की सबसे अहम् भूमिका होती है। बिना परिक्षण के किसी भी रोग का इलाज संभव नहीं है। वर्तमान समय में पूरी दुनिया एक बिमारी को लेकर ग्रसित है और यह है कोरोना (Corona)। परिक्षण एक ऐसा साधन है जिसके सहारे ही बीमार लोगों का सही आंकड़ा मिल सकता है और सही आंकड़ा जबतक नहीं मिल जाता तब तक किसी भी बिमारी का इलाज करना संभव नहीं है। दुनिया भर की स्वास्थ संस्थाएं इस बिंदु पर जोर दे रही हैं कि परिक्षण के आधार पर ही कोरोना (corona) पर विजय पायी जा सकती है। इस लेख में हम भारत में परिक्षण के बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे परिक्षण किसी भी बीमारी के इलाज़ में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है।

किसी भी प्रकार के नए वायरस (virus) के आगमन पर मुख्य रूप से दो प्रकार के परिक्षण किये जाते हैं -

पहला पीसीआर (PCR) या पोलीमरेज चेन रिएक्शन (Polymerase chain reaction)। यह एक डीएनए (DNA) प्रवर्धन तकनीक है, इसमें डीएनए (DNA) की छोटी-छोटी मात्राओं को बड़ी संख्या में लैब (Lab) में उपयोग किया जाता है। इस तकनिकी में डीएनए (DNA) के अन्दर फ्लोरोसेंट (Florocent) डाई (Die) का मिश्रण कराया जाता है और इससे यह पता चलता है कि डीएनए की संख्या कितनी है और यह भी पता लगाने में सक्षम हो सकता है कि उस शरीर के अन्दर रोगजनक या वायरस (virus) मौजूद है या नहीं।

दूसरी तकनिकी है आरएनए (RNA) और डीएनए (DNA) के जीनोम (Genome) में बदलाव कर के। यह पूरी प्रक्रिया रिवर्स-ट्रांसक्रिप्ट्स (reverse-transcript) के रूप में जानी जाती है। अब इन दोनों तकनीको को मिलाने से आरटी और पीसीआर (RT-PCR) मिल जाते हैं। वर्तमान समय में कोविड 19 (COVID-19) का परिक्षण करने का यह एकमात्र तरीका है। इस वायरस (virus) का परिक्षण करने का कोई और तरीका अभी तक नहीं बन सका है। अब इस प्रकार के परिक्षण में सबसे बड़ी कठिनाइयाँ यह है कि इस प्रकार के परिक्षण को प्रशिक्षित तकनिकी लोग ही कर सकते हैं और यह किसी के घर पर संभव नहीं है। यह एक ऐसी भी तकनिकी है जो कुछ धीमी भी है अतः ज्यादा परिक्षण करने के लिए ज्यादा लोगों की आवश्यकता पड़ सकती है और साथ ही साथ ज्यादा परिक्षण गृहों की भी। इस परिक्षण में एक नरम प्लास्टिक (Plastic) की छड़ी का प्रयोग किया जाता है जिसे रोगी के नाक या मुह के अन्दर डाला जाता है और फेफड़ों के अन्दर उपस्थित लार आदि को इकठ्ठा किया जाता है। अब उस इकट्ठे किये हुए छड़ी को प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है जहाँ पर इसकी जांच की जाती है। उपरोक्त दिए गए तरीके से कोरोना (Corona) का परिक्षण किया जाता है।

जब हम भारत की बात करते हैं तो यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला देश है और यदि यहाँ पर इस महामारी को शुरूआती चरण में नहीं रोका गया तो यह अत्यंत ही भयावह स्थिति उत्पन्न कर देगी । अब तक भारत में कुल करीब 3500 कोरोना (corona) पीड़ित लोगों की जांच हो पायी है। अब हम देखें तो भारत में इस रोग के परिक्षण के लिए अत्यंत ही लचर व्यवस्था है क्यूंकि भारत में सभी राज्यों में कुल 92 प्रयोगशालाएं हैं जहाँ पर इस रोग का परिक्षण किया जा सकता है। अभी तक भारत में परिक्षण की दर अत्यंत ही धीमी रही है जिसके कारण यहाँ पर आंकड़ों को साफ़ तौर पर नहीं देखा जा सका है। अतः इसी लिए किसी भी रोग के प्रसार और रोकथाम में परिक्षण की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है।

सन्दर्भ : 1. https://www.weforum.org/agenda/2020/03/coronavirus-covid-19-testing-disease/
2. https://bit.ly/2ULt5Tz
3. https://www.wired.com/story/everything-you-need-to-know-about-coronavirus-testing/
4. https://bit.ly/2JFkR96
5. https://bit.ly/34ePziN
चित्र सन्दर्भ:
1.
unsplash.com - Modified Image
2. Pexels.com - Modified Image



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