भारतीय राज्यों में कई शक्तिशाली साम्राज्यों ने शासन किया, जिनमें से एक रोहिलखंड का साम्राज्य भी था। रोहिलखंड को नवाब अली मुहम्मद खान द्वारा 1721 में पतन की ओर जाते मुगल साम्राज्य के तहत स्थापित किया गया था और ये 1774 तक अस्तित्व में रहा था। रोहिलखंड के पहले नवाब अली मुहम्मद खान को 14 वर्ष की आयु में विभिन्न अफगान प्रमुखों द्वारा अधिपति के रूप में चुना गया था। इन्हें अपनी राजनीतिक क्षमता के लिए जाना जाता था और इन्हें सम्राट मोहम्मद शाह द्वारा भारत के सर्वोच्च प्रतीक चिह्न ‘माहसीर’ का उपयोग करने का अधिकार भी दिया गया था।
अपनी राजधानी के रूप में आंवला (बरेली) के साथ, खान ने रोहिलखंड की सीमाओं का भी विस्तार किया था। 1746 में, अली मुहम्मद खान के वन रक्षकों और सफदरजंग के निर्माण श्रमिकों के बीच लकड़ी के संग्रह पर एक विवाद के कारण सफदरजंग ने उन्हें लुप्त करने का फैसला किया। इस कारण से सफदरजंग ने अली मुहम्मद खान के अपने सल्तनत बनाने के इरादे के बारे में क़मर-उद-दीन खान के माध्यम से भारत के मुगल सम्राट मुहम्मद शाह (1719-1748) को सूचित कर दिया।
मोहम्मद शाह ने उनके खिलाफ एक आक्रमण का आदेश भेजा, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कैद किया गया था। बाद में उन्हें क्षमा करते हुए सरहिंद का राज्यपाल बना दिया गया। ईरान के विजेता नादिर शाह ने बाद में काबुल पर अधिकार कर लिया और 1739 में दिल्ली को हासिल कर लिया, जिसके बाद अली मोहम्मद खान अपनी मातृभूमि लौट आए और 1748 में अपनी मृत्यु तक उन्होंने रोहिलखंड के स्वतंत्र राज्य पर शासन किया।
वहीं 1748 में अली मुहम्मद खान की मृत्यु के साथ, हाफ़िज़ रहमत ख़ान को नए स्थापित रोहिल्ला का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। लेकिन रोहिलखंड के पहले नवाब अली मोहम्मद खान का मकबरा न तो रामपुर में है और न ही बरेली में। बल्कि रामपुर से लगभग एक घंटे की दूरी पर यह मकबरा बरेली जिले के आंवला शहर में है। इसके अलावा आंवला में कई और महत्वपूर्ण रोहिला राजाओं की कब्रें भी मिलती हैं।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Ali_Mohammed_Khan
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Kingdom_of_Rohilkhand
3.https://www.livehistoryindia.com/cover-story/2019/01/27/pilibhit-a-forgotten-capital
4.https://peoplepill.com/people/ali-mohammed-khan/
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