दुनिया में ऐसा कोई स्थान, वस्तु, या प्राणी नहीं है, जिसे पहचानने, या जानने के लिए कोई नाम न दिया गया हो। किसी भी वस्तु, स्थान, या प्राणी को संबोधित करने के लिए एक नाम की आवश्यकता होती है। ये नाम स्थान, स्थिति, किसी ऐतिहासिक घटना आदि के नाम पर भी आधारित हो सकते हैं। एस.एस. रोहिल्ला (SS Rohilla), भी एक ऐसा ही नाम है। इंग्लैंड (England) में रोहिल्ला नाम तब प्रसिद्ध हुआ जब कलकत्ता की ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company - EIC) ने अवध नवाब की सहायता की तथा 1850 से पहले रोहिल्लों को हराने के लिए रोहिलखंड राज्य के साथ कठिन युद्ध लड़े। अधिकांश इन्हें भारत के शक्तिशाली सेनानियों के रूप में याद करते हैं, जो कि मूल रूप से अफगानिस्तान के थे। रोहिल्ला इतने शक्तिशाली थे कि शायद 1904 में, इंग्लैंड ने लंदन (London) और कलकत्ता के बीच लोगों को स्थानांतरित करने के लिए बनाए गये एक नए जहाज़ का नाम भी एस.एस. रोहिल्ला रखा।
रोहिल्ला ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेविगेशन कंपनी (British India Steam Navigation Company) का वाष्प से चलने वाला यात्री जहाज़ था जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच सेवा प्रदान करने के लिए एक सैनिक पोत का रूप दिया गया था। प्रथम विश्व युद्ध में इस जहाज़ का उपयोग अस्पताल संबंधित सेवाओं को देने के लिए किया गया। इसका निर्माण बेलफास्ट (Belfast - उत्तरी आयरलैंड (Ireland) का सबसे बड़ा शहर और राजधानी) के हारलैंड एंड वोल्फ लिमिटेड (Harland & Wolff Ltd.) द्वारा 1906 में किया गया था। रोहिल्ला के पास चतुष्क विस्तार भाप इंजन (Quadruple Expansion Steam Engines) का एक जोड़ा था। इसके इंजनों की कुल 8,000 संकेतित हॉर्सपावर (Indicated horsepower - 6,000 kW) थी, जो समुद्री परीक्षणों पर 16.6 नॉट्स (knots - 30.7 किमी/घंटा; 19.1 मीटर/घंटा) का उत्पादन करता था। हालांकि फिर इसे लंदन से कलकत्ता के बीच सेवा देने के लिए तैयार किया गया।
भाप से चलने वाले जहाज़ का नाम रोहिल्ला के सम्मान में रखा गया था। रोहिल्ला को प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत में बुलाया गया था और एक नौसैनिक अस्पताल के जहाज़ में बदल दिया गया था। इस भूमिका में रोहिल्ला ने बहुत कम समय के लिए ही अपना योगदान दिया। 30 अक्टूबर 1914 को एस.एस. रोहिल्ला एक समुद्री तूफान में चट्टानों से जा टकराया तथा व्हिटबी (Whitby), उत्तरी यॉर्कशायर (North Yorkshire) से सिर्फ एक मील की दूरी पर डूब गया। जहाज़ चिकित्सा कर्मचारियों को लेकर स्कॉटलैंड (Scotland) से बेल्जियम (Belgium) के डनकिर्क (Dunkirk) जा रहा था, लेकिन शुरुआती घंटों में, हिंसक तूफान के कारण यह उत्तरी यॉर्कशायर के एक मील पूर्व में स्थित 400 गज लंबी सॉल्ट्विक नैब (Saltwick Nab) चट्टान से जा टकराया। युद्ध के कारण तट पर अंधेरा था जिससे इस समय जहाज़ का कप्तान यह नहीं जानता था कि वे तट से सिर्फ एक मील की दूरी पर हैं। इस दुर्घटना से बचाये गए लोगों में कुछ ऐसे भी थे जो टाइटेनिक (Titanic) के समय हुई दुर्घटना से भी बचा लिए गए थे। उनके अनुसार टाइटेनिक एक बर्फ की चट्टान से टकराया तथा शांत समुद्र में डूब गया, किन्तु रोहिल्ला की परिस्थितियां और भी खतरनाक थी जिसका प्रमुख कारण हिंसक तूफ़ान था, जिससे जहाज़ चट्टान से टकराकर टूट गया।
तीन दिन के बचाव मिशन के बाद बहुत अत्यधिक प्रयासों के बावजूद भी यह नहीं बच सका। इसमें सवार लगभग 83 लोग इस दुर्घटना में मारे गये थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में इस जहाज़ को आज भी याद किया जाता है, यहां तक कि इसके लिए एक फेसबुक पेज (Facebook page) भी बनाया गया है, जिसमें इससे संबंधित वीडियो (Video) और चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। भारत में एस.एस. रोहिल्ला के नाम से जुड़ी एक अन्य रोमांचक बात यह है कि, एसएस रोहिल्ला आज दिल्ली में एक दर्जी का भी नाम है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/SS_Rohilla
2.https://www.bbc.com/news/uk-england-york-north-yorkshire-29807414
3.https://www.facebook.com/HMHS-Rohilla-136097329831444/?tn-str=k*F
4.https://ss-rohilla-tailors.business.site/
5.https://wrecksite.eu/wreck.aspx?1813
चित्र सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/File:SS_Rohilla,_Port-Said.jpg
2. https://en.wikipedia.org/wiki/SS_Rohilla#/media/File:Rohilla_(steamship)_grounded_1914.JPG
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