‘हिम तेंदुआ’ शब्द सुनते ही शायद बहुतों के मन में ये विचार आएगा कि ये सोशल मीडिया (Social Media) की कोई फेक न्यूज़ (Fake News) या टी.आर.पी. (TRP) बटोरने के लिए कोई फर्जी खबर फैलाई जा रही है और यदि आप भी ऐसा कुछ सोच रहे हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं और ये लेख आपके लिए किसी चौकाने वाली खबर से कम नहीं होगा। जी हां, भारत समेत 12 मुल्कों में बसने वाली इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के लिए अमेरिका समेत कई ऐसे देश पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से एड़ी चोटी का ज़ोर लगाए हुए हैं जिनकी ज़मीन पर ये जानवर पाया भी नहीं जाता।
कम ही लोग जानते होंगे कि 23 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस मनाया जाता है। साथ ही हिम तेंदुआ हिमाचल प्रदेश का राजकीय पशु भी है। इसे पाकिस्तान में नैशनल प्रिडेटर ऑफ पाकिस्तान (National Predator of Pakistan) के खिताब से नवाज़ा गया है। हिम तेंदुआ कज़ाकिस्तान के अलमेटी (अलमेटी, कज़ाकिस्तान देश की भूतपूर्व राजधानी और उस देश का सबसे बड़ा शहर है।) की सरकारी मुहर पर प्रतीक चिह्न के रूप में इस्तेमाल होता है। यही नहीं कज़ाकिस्तान के पुराने करंसी नोट (Currency Note) पर भी हिम तेंदुए की तस्वीर छपती थी। किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक के आधुनिक चिह्न पर भी इसकी तस्वीर है।
दुनिया भर में ऐसे बहुत से उदाहरण और भी हैं जहां हिम तेंदुए को इज्ज़त और सम्मान दिया जाता है। और इनके रहस्यमयी स्वभाव के कारण इन्हें गोस्ट ऑफ़ द माउंटेन (Ghost Of The Mountain) अर्थात पहाड़ी भूत भी कहा जाता है। हाल ही में भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर इस प्रजाति की आबादी के आकलन के लिए पहला रॉष्ट्रीय प्रोटोकॉल (Protocol) प्रक्षेपित किया है। साथ ही भारत का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र रामपुर से कुछ ही दूर उत्तराखंड के गंगोत्री इलाके में स्थापित किया जा रहा है।
हिम तेंदुए से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
सारी दुनिया में अपने खूबसूरत फर (Fur) और इसके पलक झपकते बदलते ठिकानों से ऐसा लगता है मानो ये लुकाछुपी का कोई मायावी खेल खेलता है। ये दुर्लभ हिम तेंदुआ मध्य एशिया के बीहड़ पहाड़ों में पाया जाता है।
बीहड़ पहाड़ी ऊंचाई के ठंडे और बर्फीले बंजर परिदृश्य में रहने के लिए पूरी तरह अनुकूल शरीर होने के बावजूद भी मानवीय खतरों ने इनके अस्तित्व के लिए खतरे खड़े कर दिए हैं।
हिम तेंदुए की खासियत
एकल यात्री- हिम तेंदुए जंगल में एक समूह बनाकर शिकार करने के बजाय अकेले ही शिकार करते हैं।
सांध्यकालीन- तड़के सुबह और शाम के धुंधलके में ये सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं।
शान की ज़िन्दगी- कई हिम तेंदुओं का इलाका 1000 स्क्वायर किलो मीटर तक हो सकता है।
अकेली माँ- 18 महीने तक मादा हिम तेंदुआ अकेले दम पर बच्चे पालती है।
सर्द और शुष्क- ज्यादातर ये ठंडी ऊबड़ खाबड़ और बंजर पहाड़ियों में रहते हैं।
मांसाहारी- हिम तेंदुए का मुख्य आहार जंगली बकरा, बड़ी भेड़ इत्यादि हैं।
सौम्य- स्वभाव से हिम तेंदुए इंसानों के प्रति आक्रामक नहीं होते।
वैज्ञानिक नाम- पैंथेरा अनकिया (Panthera Uncia)
शारीरिक बनावट- कद 55-65 से.मी. (22-26 इंच)
लंबाई-90-115 से.मी. (36-44 इंच)
दुम की लंबाई 100 से.मी.(40 इंच)
हिम तेंदुए के पंजे काफी बड़े होते हैं जो उन्हें बर्फ में धसने से बचाते हैं।
हिम तेंदुए के ये पंजे प्राकृतिक जूतों का काम करते हैं।
हिम तेंदुए के गोल और छोटे कान शरीर में गर्मी बनाए रखने का काम करते हैं, वहीं इनकी छोटी नासिका इनके फेफड़ों में जाने वाली हवा को पहले ही गर्म कर देती है। इनके आगे के दोनों पैर पीछे के पैरों की तुलना में छोटे होते हैं, जिसकी मदद से हिम तेंदुआ एक बार में 30 फीट यानि 10 मीटर की छलांग लगा लेता है। हिम तेंदुए के सिलेटी–सफेद फर और उस पर गाढ़े रंग की चित्तियों के कारण उसे छुपने में आसानी होती है। इसकी दुम लंबी होने के कारण शरीर का नियंत्रण बनाये रखने में तो काम आती ही है, साथ ही शरीर के चारों तरफ लपेटे जाने पर यह हिम तेंदुए को अतिरिक्त गर्माहट भी देने का काम करती है।
हिम तेंदुए का स्वभाव
हिम तेंदुए स्वभाव से शर्मीले और एकांतप्रिय होते हैं। 2 साल की आयु में ये हिम तेंदुए अपनी मां का सहारा छोड़कर आत्मनिर्भर हो जाते हैं। एक रोचक तथ्य ये भी है कि ये प्रजाति अपने इलाके को चिह्नित करने के लिए अपने पिछले पैरों से ज़मीन को खरोंचकर और अपने मूत्र से निशानदेही कर देते हैं। अचरज की बात यह भी है कि हिम तेंदुए बाकी बड़ी बिल्लियों की तरह दहाड़ते नहीं हैं। बल्कि बिल्ली की तरह म्याऊ की आवाज़ निकालते हैं। इनके ना दहाड़ने की वजह भी उनके गले की आंतरिक बनावट में छुपी है।
समागम का समय
हिम तेंदुओं का समागम समय जनवरी से मध्य मार्च तक होता है। आमतौर पर मादा हिम तेंदुआ 93 से 110 दिनों यानि 3-4 महीने तक गर्भवती रहती हैं। इसके बाद वह अपनी गुफा में चली जाती हैं और जून-जुलाई के महीने में बच्चों को जन्म देती हैं। वह अकेले ही अपने बच्चों का भरण पोषण करती है। हिम तेंदुओं की बढ़वार बहुत तेज़ी से होती है। पैदा होने के बाद ये शावक छोटे और असहाय होते हैं और जन्म से 7 दिनों के होने के बाद ही ये देखना शुरू कर पाते हैं। 2 महीने के हो जाने के बाद ही ये ठोस आहार खाने योग्य हो जाते हैं। 3 महीने के होने पर वे अपनी मां के पीछे-पीछे जाकर शिकार करने की बारीकियां सीखते हैं। 18-22 महीने के होने पर ये शावक अपनी मां का सहारा छोड़कर स्वतंत्र जीवन जीने लगते हैं। सीमित जानकारी के अनुसार मादा हिम तेंदुआ तीन साल की होने पर मां बनने के लिए परिपक्व हो जाती है, वहीं नर हिम तेंदुआ 4 साल की उम्र के बाद ही वयस्क होता है। चिड़ियाघर या वन्यजीव अभ्यारण्य में संरक्षित जीवन जीने वाले हिम तेंदुए 22 साल की उम्र तक भी जीवित रह सकते हैं, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक वातावरण में हिम तेंदुए 10 से 12 साल की उम्र तक जीवित रह सकते हैं।
हिम तेंदुए के शिकार करने की बारीकियां
हिम तेंदुए धीरे-धीरे खाते हैं, अमूमन 3 से 4 दिन में वे अपने शिकार का पूरा भक्षण करते हैं। इस दौरान वे अपने द्वारा शिकार किए जानवर के शरीर की गिद्ध, कौए और अन्य दूसरे मांसाहारी पशुओं से रक्षा करने के लिए के लिए शिकार के आस-पास ही रहते हैं जब तक कि वे खुद इस शिकार को पूरा ना खा लें। ये प्रजाति औसतन 8-10 दिन में एक बड़े जानवर का शिकार करती है। नर-मादा तेंदुओं की खुराक और शिकार करने के तरीकों में बहुत अंतर होता है। शिकार का चयन करने के मामले में हिम तेंदुए स्वभाव से ही बड़े शातिर होते हैं। शिकार के वक्त वे झुंड में पिछड़े या कमज़ोर जानवर पर ही अपना निशाना साधते हैं। कड़ाके की ठंड में जब जंगल में शिकार करना मुश्किल हो जाता है, तब मजबूरी में हिम तेंदुए आबादी वाले इलाकों में पल रहे पालतू पशुओं के बाड़े में घुसकर शिकार करने पर मजबूर हो जाते हैं।
प्राकृतिक आवास
ये हिम तेंदुए भारत, नेपाल, भूटान, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान और रूस समेत 12 देशों में पाए जाते हैं। क्योंकि चीन के पास 60 प्रतिशत से ज्यादा हिम तेंदुए की आबादी है, इसलिए इस प्रजाति के संरक्षण में सबसे बड़ी भूमिका चीन के कंधों पर है। हिमालय में समुद्र से 3000-5400 मीटर की उंचाई पर तेंदुए पाए जाते हैं। मंगोलिया और रूस में यह प्रजाति समुद्र से 1000 मीटर की ऊंचाई पर भी पाई जाती है।
हिम तेंदुए के अस्तित्व पर मंडराते खतरे
तस्करी- हिम तेंदुओं के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है शिकार और तस्करी। आंकड़ों की मानें तो 2008 से 2016 के बीच प्रतिदिन एक हिम तेंदुए को मारकर उसकी अवैध तस्करी की गयी है यानि कि 220-450 हिम तेंदुए प्रतिवर्ष तस्करी का शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आंकड़ों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है। ये अवैध तस्कर हिम तेंदुए की खाल और हड्डियों को हज़ारों डॉलर (Dollar) में चीन के बाज़ारों में बेच देते हैं। इसका कारण है पारंपरिक चीनी दवाइयों में इस्तेमाल होने वाली मंहगी शेर की हड्डियों की जगह हिम तेंदुए की हड्डियों का प्रयोग सस्ता होने के कारण ये तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। हड्डियों के अलावा हिम तेंदुओं के पंजे आदि भी चीनी दवाइयां बनाने में इस्तेमाल होते हैं, इसलिए उनकी भी मुंह मांगी कीमत मिल जाती है। इसके अलावा ज़िन्दा हिम तेंदुओं के बच्चों को पकड़कर सर्कस (Circus) और चिड़ियाघरों में बेच दिया जाता है जिसकी अनुमानित कीमत 20,000 डॉलर प्रति शावक होती है।
पेल्ट्स (Pelts) वस्त्र
हिम तेंदुओं की खाल से पेल्ट्स नाम की एक बेहद लोकप्रिय पोशाक बनायी जाती है जिसकी मांग रूस,पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के इलाकों में सबसे अधिक है।
खनन कार्य-
सोने और कोयले की खदानों के खनन कार्य की वैश्विक मांग के चलते इन पर्वत श्रृंखलाओं पर रहने वाले हिम तेंदुओं की जनसंख्या खतरे में है। इन खनन कार्यों में नुकसानदेह रसायन जैसे कि साइनाइड (Cyanide) और आरसेनिक (Arsenic) का खुलकर इस्तेमाल होता है। जब ये रसायन पानी में घुल जाते हैं तो इनको पीने वाले हिम तेंदुए के लिए यही ज़हरीला पानी जानलेवा साबित होता है।
जलवायु परिवर्तन / ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)
हिम तेंदुओं की आबादी पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि मध्य एशिया की पहाड़ियों और तिब्बती पठार का तापमान पिछले 20 सालों में 3 डिग्री बढ़ गया है। ऐसे में अगर कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए तो हिम तेंदुओं की प्रजाति विलुप्त हो जाएगी।
बहुत से लोगों के लिए ये अचरज की बात होगी कि जहां भारत में हिम तेंदुए के प्रति जागरूकता और संरक्षण का काम शुरुआती दौर में है, अमेरिका जैसे देशों के निजी चिड़ियाघरों और संरक्षण केन्द्रों ने लगभग एक दशक पहले ही इस प्रजाति के संरक्षण पर पुरज़ोर काम किया है। अगर आप यूट्यूब (Youtube) पर खोजेंगे तो आपको आसानी से डेविड लेटरमैन (David Letterman) जैसे शो (Show) पर अपने संरक्षकों के साथ आए हिम तेंदुओं की क्लिप (Clip) मिल जाएगी।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Snow_leopard
2. https://bit.ly/2VgcQ1j
3. https://www.snowleopard.org/snow-leopard-facts/
4. https://bit.ly/38XPiCk
5. https://www.youtube.com/watch?v=IsacZ9eK_DQ
6. https://www.youtube.com/watch?v=02OOFYHGGVI
7. https://www.youtube.com/watch?v=JTlveCrymV8
8. https://www.youtube.com/watch?v=NLdjw3-w9pI
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.publicdomainpictures.net/en/view-image.php?image=168785&picture=snow-leopard
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