सामान्यत: कला को मनुष्य के मन की अभिव्यक्ति का एक माध्यम माना जाता है, और अभिव्यक्ति की इस प्रवत्ति के दर्शन भारत में प्रगेतिहासिक काल से ही होने लगते है, जो कि वर्तमान समय तक गतिमान है। वर्तमान में जो कला हम अपने आस पास देखते है, उसके विकास में समय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। समय के अलग-अलग कालों में कला के अलग-अलग आयामों का विकास हुआ है। भारतीय कला में मौर्य काल की अपनी विशेषता है, जहाँ से भारतीय कला को नया आयाम मिला, जहाँ से भारतीय कला को प्रस्तर का नया माध्यम मिला, कुछ विद्वानो का मानना है कि भारतीय लोगों को कला में प्रस्तर का प्रयोग करने का ज्ञान विदेशी लोगों के द्वारा प्राप्त हुआ और ऐसे तर्क विभिन्न कालों में दिए जाते है जो कि कुछ हद तक सही भी है और ग़लत भी।
मौर्य काल की कला में सबसे अनूठी कला अशोक स्तंभ है जो कि अद्वितीय है, यह दुनिया में अपने तरीक़े का पहला स्तंभ है जो एक ही स्तंभ खंड को तराश कर बनाया गया है और जिनके ऊपर पशु शीर्षक है और ज़्यादातर स्तंभों पर आदेशात्मक लेख लिखवाया गया है। इन स्तंभों के बारे में कुछ विद्वानो का मानना है कि यह कला ग्रीक (Greek) कलाकारों से सीखी या मिली है, दूसरी तरफ़ कुछ विद्वान एसे भी है जो कि इस कला को पूर्णता देशी मानते हैं,जिसके लिए विद्वान अपने-अपने विभिन्न तर्क प्रस्तुत करते हैं।
ग्रीकों से भारत का सम्बंध 327-326 ई. पू. में होता है, जब सिकंदर भारत पर आक्रमण कर भारत के कुछ हिस्सों पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है और नए नगरों को निर्माण कर अपने लोगों को भारत का शासन-भार सौंप कर वापस चला जाता है, जिसके बाद ग्रीक लोग शताब्दियों तक यहाँ पर निवास करते है जिनको भारतीय ग्रंथो में यवन या योणा की संज्ञा से सम्बोधित किया गया है। भारतीय लोगों के साथ रहने और उनके साथ व्यापार करने के कारण दोनो देशों के मध्य बहुत सी चीज़ों का आदान प्रदान होता है, जिनका प्रभाव विभिन्न चीज़ों पर देखने को मिलता है और कला उसमें से प्रमुख है।
ग्रीक कला का प्रभाव भारतीय कला के एक बड़े क्षेत्र पर देखने को मिलता है, गांधार कला शैली में लगभग पूर्ण रूप से ग्रीक कला का प्रभाव मिलता है, इसके अलावा आंशिक रूप से रोमन और चीनी कला के प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। इस कला शैली में विषय भारतीय है परंतु निर्माण शैली ग्रीक है। भारतीय देवताओं को ग्रीक देवताओं की तरह दिखाया गया है, स्थापत्य भी ग्रीक स्थापत्य के समान है, अलंकरण में ग्रीक पत्तियों पौधों और जानवरों को दिखाया गया है। मौर्य साम्राज्य भारत के पहले उन वंशों में से एक रहा है जिन्होंने ग्रीक आदि स्थानों तक अपना नाम रौशन किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ग्रीक कमांडर की बेटी से शादी कर ग्रीक और भारतीय रिश्ते को भी एक नया पैमाना प्रदान किया था। हेलिओडोरस स्तंभ (Heliodorus pillar) से भी एक प्रकार का संपर्क मिल जाता है, जो कि वर्तमान में विदिशा (Vidisha) में स्थित है। गुप्त कालीन कला के प्रमाणों में भी इस कला का प्रादुर्भाव हुआ था जिसका उदाहरण अहिछेत्र से मिली मृण्मूर्तियों में देखने को मिलता है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Hellenistic_influence_on_Indian_art
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Mauryan_art
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Greco-Buddhist_art#Southern_influences
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Volute
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Palmette
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.