क्या आधुनिक पक्षी हैं डायनासोर के वंशज

रामपुर

 14-01-2020 10:00 AM
पंछीयाँ

हम सभी ये जानते हैं कि डायनासोर (Dinosaur) काफी समय पहले विलुप्त हो चुके हैं, लेकिन आधुनिक पक्षियों को देख कर लगता है कि डायनासोर की कुछ प्रजातियाँ आज भी हमारे समक्ष मौजूद हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आधुनिक युग में देखे जाने वाले पक्षी मूल रूप से दो पैर थेरोपोड्स (Theropods) नाम के डायनासोर की प्रजाति के वंशज हैं।

एवियन (Avian) से संबंधित थेरोपोड का वज़न आधुनिक पक्षी की तुलना में 100 से 500 पाउंड के बीच होता था और उनमें बड़े थूथन, बड़े दांत और कान भी मौजूद होते थे। उदाहरण के लिए, एक वेलोसिरैप्टर (Velociraptor) में कायोटी (Coyote) की तरह खोपड़ी थी और मस्तिष्क लगभग कबूतर के आकार का था। इस चमत्कारी रूपांतर की व्याख्या करने के लिए, वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को "आशावादी राक्षसों" के रूप में संदर्भित किया। कुछ खोजों से यह पता चला है कि पक्षियों के विकास से बहुत पहले ही पक्षियों में विशिष्ट विशेषताएं उभरने लगी थीं। यह दर्शाता है कि पक्षी पहले से मौजूद कई सुविधाओं को एक नए उपयोग के लिए अनुकूलित कर चुके हैं।

हाल के शोध से पता चलता है कि वयस्कता में मस्तक का आकार छोटा होने ने पक्षी के रूप में बदलने में आवश्यक भूमिका निभाई। न केवल पक्षी अपने डायनासोर पूर्वजों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं, बल्कि वे बारीकी से डायनासोर भ्रूण के समान हैं। इस तरह के अनुकूलन ने आधुनिक पक्षियों की विशिष्ट विशेषताओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जैसे उनकी उड़ान भरने की क्षमता और उनकी तेज़ चोंच।

वहीं इन पक्षियों ने रात भर में ही टिरानोसोरस (Tyrannosaurus) से पक्षी का रूप धारण नहीं किया होगा, बल्कि पक्षियों की ये उत्कृष्ट विशेषताएं धीमे-धीमे विकसित हुई। अंतिम परिणाम डायनासोर और पक्षियों के बीच एक अपेक्षाकृत अखंड पारगमन है। लेकिन यदि एवियन लक्षण की बात की जाए तो पक्षियों ने अपना स्थान बना लिया है।

आधुनिक पक्षियों में, प्रीमैक्सिलरी (Premaxillary) हड्डियों के रूप में जानी जाने वाली दो हड्डियां, चोंच का निर्माण करती हैं। यह संरचना डायनासोर, मगरमच्छ, प्राचीन पक्षियों और अन्य हड्डीवले जानवरों से बिल्कुल अलग है, जिसमें ये दो हड्डियां अलग-अलग रहती हैं और थूथन को आकार देती हैं। इस चीज़ का पता लगाने के लिए कि ये परिवर्तन कैसे उत्पन्न हो सकता है, शोधकर्ताओं ने दो जीनों (Genes) की गतिविधि का मापन किया है, जो कई जानवरों की इन हड्डियों में व्यक्त किए जाते हैं: मगरमच्छ, मुर्गियां, चूहे, छिपकली, कछुए और इमु।

वहीं यदि किसी व्यक्ति को पक्षियों में दिलचस्पी है तो विभिन्न प्रकार के महाविद्यालय हैं, जो ऑरिनाथोलॉजी (Ornithology) में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। इसके अलावा, इन विभिन्न कार्यक्रमों में से प्रत्येक संरक्षण, पारिस्थितिकी और पक्षी जीव विज्ञान पर एक अलग दृष्टिकोण देते हैं। ऑरिनाथोलॉजी में विषय चुनना सबसे महत्वपूर्ण है।

निम्न कुछ विषय इसमें उपलब्ध हैं:
• जीवविज्ञान :- जीव विज्ञान यह उत्तर देने का प्रयास करता है कि जानवर (और पौधे, आदि) क्या और क्यों करते हैं। कई बड़े स्कूल जीव विज्ञान के भीतर क्षेत्र विशेषज्ञता भी प्रदान करते हैं।
• वन्यजीव जीव विज्ञान, वन्यजीव पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधन :- इन कार्यक्रमों में अनुसंधान अक्सर क्षेत्र-आधारित होता है। इस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कि जानवर संरक्षण और प्रबंधन के लिए अपने आवास और निहितार्थ का उपयोग कैसे करते हैं।
• पर्यावरण विज्ञान :- पर्यावरण विज्ञान कार्यक्रम जीव विज्ञान पर कम और प्रकृति के साथ नीति और लोगों से बातचीत पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
• ज़ूलॉजी :- ज़ूलॉजी (Zoology) जानवरों के अध्ययन पर केंद्रित है और विशेष रूप से उनके प्राकृतिक इतिहास के जातिवृत्तीय, कार्य, व्यवहार और अन्य पहलुओं की जांच करता है।
• कला और फिल्म का अध्ययन :- पक्षियों के सौंदर्य, शैक्षिक और वैज्ञानिक चित्रण, फोटोग्राफी (Photography) और वीडियोग्राफी (Videography) के लिए कई अवसर मौजूद हैं। यदि आप कला की ओर काफी आकर्षित हैं, तो ये कार्यक्रम ओर्निथोलोजी की दुनिया में एक गैर-विज्ञान-उन्मुख दृष्टिकोण की अनुमति देते हैं।

संदर्भ:
1.
https://www.scientificamerican.com/article/how-dinosaurs-shrank-and-became-birds/
2. https://www.nationalgeographic.com/magazine/2018/05/dinosaurs-survivors-birds-fossils/
3. https://ebird.org/india/about/colleges-careers
चित्र सन्दर्भ:
1.
https://www.youtube.com/watch?v=XAzGC89n0S4
2. https://pmdvod.nationalgeographic.com/NG_Video/127/743/lgpost_1529679168854.jpg



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id