पूरे विश्व में कमल को अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए जाना जाता है। कमल जहां अपनी सुंदरता के लिए विख्यात है तो वहीं अपने कई अन्य गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। कमल का वैज्ञानिक नाम नेलुम्बो न्यूसीफेरा (Nelumbo nucifera) है तथा इसकी गुलाबी फूलों वाली प्रजाति को भारत के राष्ट्रीय पुष्प के रूप में सुशोभित किया गया है। विभिन्न देशों में कमल को पवित्रता, सुंदरता, ऐश्वर्य, अनुग्रह, प्रजनन क्षमता, धन, समृद्धि, ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है। इसके कई अन्य नाम भी हैं जिनमें पवित्र कमल, भारतीय कमल और पवित्र जल-लिली इत्यादि शामिल हैं।
धरती पर सामान्य रूप से गुलाबी और सफेद रंग के कमल व्यापक रूप से पाये जाते हैं जोकि गहरे, उथले तथा गंदे पानी में उगते हैं। फूलों को गर्म धूप की आवश्यकता होती है और इसलिए फूल वाला भाग पानी से ऊपर उठा होता है। ठंड के मौसम में चूंकि गर्म धूप का अभाव होता है, इसलिए सर्दियों में कमल के फूलों को खिलते नहीं देखा जा सकता। अपने तैरते हुए पत्तों और लंबे तने के साथ यह स्थिर रूप से कीचड़ में पनपता है। कमल मुख्य रूप से एशिया का है जोकि भारत से लेकर चीन तक की एक विस्तृत श्रृंखला में पाया जाता है। इसके पौधे की जड़ें मज़बूती से कीचड़ में धंसी होती हैं और केवल लंबे तनों को ही कीचड़ से बाहर भेजा जाता है जिससे उनके पत्ते भी जुड़े होते हैं। पत्तियां कमल के फूल को हमेशा पानी की सतह से ऊपर उठाए रहती हैं।
विभिन्न धर्मों में कमल को विशेष मान्यता दी गयी है। बौद्ध धर्म में इसे एक पवित्र पुष्प की संज्ञा दी गयी है जिसका सम्बंध देवताओं से बताया गया है। कमल के फूल को पुराण और वैदिक साहित्य में बड़े पैमाने पर उद्धृत किया गया है। बौद्ध धर्म में आठ पंखुड़ियों वाले कमल को लौकिक सद्भाव का तथा एक हज़ार पंखुड़ियों वाले कमल को आध्यात्मिक रोशनी का प्रतीक माना जाता है। मिस्र की पौराणिक कथाओं की बात करें तो कमल के फूल को सूर्य के साथ जोड़ा गया है, क्योंकि यह दिन में खिलता है और रात में बंद हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य की उत्पत्ति कमल के फूल से ही हुई है। पूर्वी संस्कृतियों में इसकी विशिष्ट मान्यता रही है और इसी कारण से इस फूल को अक्सर दिव्य आंकड़ों के साथ देखा जाता है विशेष रूप से बौद्ध और मिस्र की संस्कृतियों में जहां यह पूरे ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी-देवता कमल के सिंहासन पर ही विराजमान होते हैं। बौद्ध मिथक के अनुसार, भगवान बुद्ध भी एक तैरते हुए कमल के ऊपर दिखाई दिए थे। प्राचीन मिस्रियों का मानना था कि कमल में मृतक को फिर से जीवित करने की क्षमता होती है। प्राचीन ग्रंथों में कमल को आध्यात्मिक ज्ञान और पुनर्जन्म का प्रतीक भी माना जाता है। कमल की मुख्य विशेषता यह है कि गंदे वातावरण अर्थात कीचड़ में रहते हुए भी यह इससे अप्रभावित रहता है। यह हर रात को कीचड़ के पानी में छिप जाता है किंतु अगली सुबह फिर से बिना किसी गंदगी के पानी के ऊपर आकर खिलता है तथा अपनी सुंदरता बिखेरता है। यह सीख देता है कि किस प्रकार से बुरे वातावरण में रहते हुए भी खुद को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
यदि इसके विभिन्न भागों की बात करें तो इसका हर भाग मानव जीवन के लिए उपयोगी है। कमल के फूल, बीज, पत्ते और प्रकंद को खाद्य सामग्री के रूप में उपयोग में लाया जाता है। एशिया में इसकी पंखुड़ियों का उपयोग व्यंजन को सजाने के लिए भी किया जाता है। बड़ी पत्तियों का उपयोग भोजन के लिए एक आवरण के रूप में भी किया जाता है। इसके अलावा पारंपरिक एशियाई हर्बल (Herbal) दवाओं में भी कमल के विभिन्न भागों का उपयोग किया जाता है। इसके तने को भारत के लगभग सभी हिस्सों में अचार और सब्ज़ी के रूप में खाया जाता है। पवित्र कमल 2.5 मीटर (8 फीट) तक पानी में बढ़ता है। पानी की न्यूनतम गहराई 30 सेमी (12 इंच) से कम नहीं होनी चाहिए। यह प्रायः 13 डिग्री सेल्सियस (55 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक तापमान पर अंकुरित होता है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Nelumbo_nucifera
2. https://www.townandcountrymag.com/leisure/arts-and-culture/a9550430/lotus-flower-meaning/
3. https://www.theflowerexpert.com/content/aboutflowers/exoticflowers/lotus
चित्र सन्दर्भ
1. https://pixnio.com/flora-plants/flowers/cactus-pictures/prickly-pear-cactus
2. https://www.peakpx.com/478876/lotus-flower
3. https://en.wikipedia.org/wiki/File:Lotus_Temple_at_Jambudweep.JPG
4. https://www.piqsels.com/en/search?q=costume&page=3
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