प्रकृति ने हमें वरदान के रूप में कई ऐसे पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां दी हैं जो हमारी कई स्वास्थ्य समस्याएं को दूर कर सकती हैं। ऐसा ही एक पौधा ‘जंगल जलेबी’ (वानस्पतिक नाम “पिथेसेल्लोबियम डुल्स”/Pithecellobium dulce) का है, जो रामपुर में भी पाया जाता है। इसको क्षेत्र के आधार पर विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे इसे मैक्सिको में हुआमुश, गुआमुश; कोलम्बिया में चिमिनांगो; गुजराती में गोरस अंबली; और अन्य स्थानों पर जलेबी या गंगा इमली कहा जाता है। मूल रूप से जंगल जलेबी मैक्सिको में उत्पन्न हुई थी और वहाँ से अमेरिका, मध्य एशिया और फिर भारत में फैल गई। हालांकि, इन पेड़ों को भारत में राजमार्गों पर सभी जगह देखा गया है, लेकिन इसके पाक उपयोग के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
जंगल जलेबी वैसे तो इमली जैसा दिखता है और इसे व्यापक रूप से मनीला इमली भी कहा जाता है। यह एक तीखा खाने योग्य जैविक फल है, जिसमें उच्च पौष्टिक सामग्री और शरीर के लिए विभिन्न चिकित्सा लाभ शामिल हैं। यह पेड़ लगभग 10 से 15 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचता है। इसके तने चमकदार होते हैं और इसकी पत्तियाँ द्विपक्षिका होती हैं। प्रत्येक पिन्ना में अंडाकार आकृति की पत्ती की एक जोड़ी होती है जो लगभग 2 से 4 सेंटीमीटर लंबी होती है। फूल हरे-सफेद, और सुगंधित होते हैं तथा लंबाई में लगभग 12 सेमी तक पहुंचते हैं, हालांकि जमाव के कारण कम दिखाई देते हैं।
इसका उपयोग विभिन्न रूपों से किया जा सकता है। सर्वप्रथम इसका खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। जैसे, इसके बीज की फली में एक मीठा और खट्टा गूदा होता है जिसे मैक्सिको और भारत में विभिन्न मांस के व्यंजनों के साथ कच्चा खाया जाता है और चीनी और पानी के साथ पेय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं 1980 के दशक से कई अध्ययनों ने इन बीजों की संरचना और संभावित उपयोग की जांच की और यह पाया गया कि बीजों को एक हरे रंग का तेल निकालने के लिए संसाधित किया जा सकता है।
इसके स्वस्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं :-
• यह रोगाणुरोधक के रूप में काम करता है।
• त्वचा को गोरा करता है।
• बाल झड़ने से बचाता है।
• वज़न कम करने में सहायक है।
• गर्भवती महिलाओं के लिए भी अच्छा है।
• पीलिया, मलेरिया, बुखार आदि का इलाज करता है।
• रक्त परिसंचरण को नियंत्रित करता है।
• ब्लड शुगर (Blood Sugar) स्तर और प्रतिरक्षित प्रणाली को नियंत्रित करता है।
• मनीला इमली मधुमेह रोगियों के लिए भी काफी फलदायक है।
इस फल में प्रोटीन (Protein), वसा, कार्बोहैड्रेट (Carbohydrate), केल्शियम (Calcium), फास्फोरस (Phosphorous), लौह, थायामिन (Thiamin), रिबोफ्लेविन (Riboflavin), विटामिन E, B1, B2, B3 आदि तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके पेड़ की छाल के काढ़े से पेचिश का इलाज किया जाता है। त्वचा रोगों, मधुमेह और आँख के जलन में भी इसका इस्तेमाल होता है। पत्तियों का रस दर्द निवारक का काम भी करता है और यौन संचारित रोगों में भी कारगर है। इसके पेड़ की लकड़ी का उपयोग इमारती लकड़ी की तरह भी किया जा सकता है।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Pithecellobium_dulce
2. http://www.phytojournal.com/archives/2018/vol7issue2/PartJ/7-1-390-353.pdf
3. https://www.cabi.org/isc/datasheet/41187
4. https://bit.ly/35wkzua
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/361oPlG
2. https://pxhere.com/en/photo/1108694
3. https://www.flickr.com/photos/dinesh_valke/2427134603
4. https://www.flickr.com/photos/dinesh_valke/581504044
5. https://www.flickr.com/photos/starr-environmental/24881348445/
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