इस विश्व में कई प्रकार की बीमारियों का जन्म हुआ है, इनमे से कई बीमारिया काफी नई हैं जो की पृथ्वी के बदलते हालातों की वजह से ही प्रकाश में आई। ये बीमारिया मानव के क्रमिक विकास के साथ ही प्रकाश में आई हैं। ऐसी ही एक बिमारी है जो की इस समय दुनिया भर में एक बड़ी समस्या के रूप में उभर के सामने आई है। इस बिमारी से आज तक दुनिया में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और करीब उतने ही इससे पीड़ित होंगे। वर्तमान विश्व में यह बिमारी दुनिया भर के लगभग तमाम देशों में फ़ैल चुकी है। इस बिमारी से तमाम महकमे चिंतित हैं और दुनिया भर की सरकारें इस बिमारी से लड़ने की योजनायें बना रही हैं। यह बिमारी एड्स के नाम से जानी जाती है आइये इस लेख के माध्यम से इस बिमारी के विभिन्न बिन्दुओं का अध्ययन करते हैं और विश्व एड्स दिवस के बारे में भी अध्ययन करते हैं।
विश्व एड्स दिवस 1988 से हर साल से मनाया जाना शुरू हुआ था। इस दिवस की शुरुआत एड्स और एच आई वी जैसी घातक बिमारी से बचने और उसके प्रति जागरूकता को लेकर किया गया था। यह दिवस उनके लिए भी शोक का दिवस है जो की इस बिमारी में अपनी जान खो चुके हैं। इस दिवस पर सरकार ही नहीं बल्कि गैर सरकारी संगठन भी इस दिवस के अवसर पर एड्स की रोकथाम, नियंत्रण और शिक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं। विश्व एड्स दिवस WHO द्वारा मनाये जाने वाले विश्व रक्तदान दिवस, विश्व टीकाकरण दिवस, विश्व छय रोग दिवस, विश्व तम्बाकू निषेध दिवस और विश्व मलेरिया दिवस जैसी आठ आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ अभियानों में से एक है। इनमे से एक विश्व हेपाटाईटीस दिवस भी है।
2017 तक के आंकड़ों को यदि देखें तो एड्स दुनिया भर में करीब 28.9 मिलियन से लेकर 41.5 मिलियन तक लोग मर चुके हैं और वहीँ करीब 36.7 मिलियन लोग इस बिमारी के साथ जी रहे हैं। यह मृत्यु का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है और यह एक इतिहास बन चुका है। दुनिया में इस बिमारी को लेकर कई प्रकार के इलाज हुए हैं जिनके कारण 2005 जब यह चरम पर था के बाद से इस महामारी से मरने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम हुयी है। 2016 में 1 मिलियन लोग और 2005 में 1.9 मिलियन लोग। अक्सर हम यह सुनते हैं की एच आई वी एड्स दोनों एक ही बिमारी के नाम है और इसके मध्य हम चक्रित हो जाते हैं परन्तु ऐसा नहीं है। एच आई वी कारक है और एड्स कारण है। इसको और सरल भाषा में कहें तो एच आई वी वाइरस है और एड्स बिमारी है। इसे त्रिचरणीय एच आई वी भी कहते हैं।
एक ऐसा समय था जब एच आई वी या एड्स से लोगों का मरना तय था लेकिन गहरे अनुसंधान के कारण अब इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति भी लम्बा जीवन जी सकने में सक्षम है। भारत में यदि एड्स के आंकड़े देखें तो वो निम्न प्रकार से हैं। 2017 के आंकड़े के अनुसार भारत में करीब 88000 एच आई वी संक्रमित लोग थे और अनुमानित 69000 मौतें हुयी थी। इस बिमारी की रोकथाम और इसके विषय में शिक्षा का तथा इसके खिलाफ लड़ाई का प्रतीक रेड रीबन या लाल फीता है। यह रेड रिबन फाउंडेशन और मदर्स अगस्त ड्रंक ड्राइविंग जैसे संस्थान रेड रिबन का प्रयोग करते हैं। रेड रिबन इंटरनेशनल 1993 में स्थापित हुआ था जिसका मुख्य उद्देश्य एच आई वी और एड्स के बारे में शिक्षा देना है।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Red_ribbon#AIDS_awareness_origin
2. https://en.wikipedia.org/wiki/World_AIDS_Day
3. https://en.wikipedia.org/wiki/HIV/AIDS_in_India
4. http://vikaspedia.in/health/health-campaigns/important-days/world-aids-day-1
5. https://www.healthline.com/health/hiv-aids/hiv-vs-aids
6. https://bit.ly/2OpCwop
7. https://www.hiv.gov/hiv-basics/hiv-testing/learn-about-hiv-testing/who-should-get-tested
8. https://bit.ly/2OQobk2
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.