प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम अपनी वार्षिक रिपोर्ट (Report) में जारी मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट के आधार पर देशों को पंक्तिबद्ध करता है। मानव विकास सूचकांक एक देश के विकास के स्तर पर नज़र रखने के लिए सबसे अच्छे उपकरणों में से एक है, क्योंकि यह सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को जोड़ता है जो आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी हैं।
मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय उपकरण है जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक और आर्थिक आयामों में समग्र उपलब्धि को मापने के लिए किया जाता है। किसी देश के सामाजिक और आर्थिक आयाम लोगों के स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा के स्तर और उनके जीवन स्तर पर आधारित होते हैं। 1990 में मानव विकास सूचकांक का निर्माण पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा किया गया जो आगे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा देश के विकास को मापने के लिए उपयोग किया गया था। अनुक्रमणिका की गणना चार प्रमुख सूचकांको को जोड़ती है: स्वास्थ्य के लिए जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के लिए प्रत्याशित वर्ष, स्कूली शिक्षा के लिए औसत वर्ष और प्रति व्यक्ति आय।
सितम्बर 2018 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी की गयी मानव विकास सूचकांक में भारत 189 देशों में से 130 के स्थान पर आया था। दक्षिण एशिया के भीतर, भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य इस क्षेत्र के लिए औसत 0.638 से ऊपर रहा था, बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ, समान जनसंख्या आकार वाले देश, क्रमशः 136 और 150वें स्थान पर थे। 2016 में, भारत के 0.624 के मानव विकास सूचकांक मूल्य ने भारत को 131वे स्थान पर लाया था।
1990 से पहले, किसी देश के विकास का स्तर केवल उसकी आर्थिक वृद्धि से मापा जाता था। वहीं इसने विकास प्रक्रिया के बारे में लोगों के सोचने के तरीके को बदलने में काफी सफलता प्राप्त करी है। हालांकि, यह अभी भी कई समस्याओं से ग्रस्त है, जैसे इसे मापना काफी मुश्किल होता है। यदि देखा जाए तो मानव विकास सूचकांक में तीन मुख्य समस्याएं हैं। सबसे पहले, यह अपने घटकों के बीच समझौताकारी तालमेल का अनुमान लगाता है। उदाहरण के लिए, मानव विकास सूचकांक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा का उपयोग करके स्वास्थ्य को मापता है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू मूल्य का उपयोग करके आर्थिक स्थितियों को मापता है। तो एक ही मानव विकास सूचकांक गणना दोनों के विभिन्न संयोजनों के साथ प्राप्त किया जाता है।
नतीजतन, मानव विकास सूचकांक का अर्थ है कि जीवन का एक अतिरिक्त वर्ष आर्थिक उत्पादन के संदर्भ में है। यह मूल्य देश के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के स्तर के अनुसार भिन्न होता है। मानव विकास सूचकांक अंतर्निहित विवरण की सटीकता और अर्थपूर्णता से भी जूझता है। मानव विकास सूचकांक समान सकल घरेलू उत्पाद वाले देशों के बीच अंतर नहीं करता है, लेकिन देशों के बीच आय असमानता के विभिन्न स्तरों या शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर अंतर करता है। किसी अनुक्रमणिका में गलत या अधूरे विवरण को शामिल करने से इसकी उपयोगिता कम हो जाती है।
संदर्भ:
1. https://economictimes.indiatimes.com/definition/human-development-index
2. https://bit.ly/2NMYHok
3. https://qz.com/1456012/the-3-key-problems-with-the-uns-human-development-index/
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