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नवाबों का शहर कहलाने वाला रामपुर ऐतिहासिक और शैक्षिक मूल्य से समृद्ध है, वहीं इसकी मिट्टी में प्राचीन भारतीय संस्कृति की सुगंध व्याप्त रूप से पाई जाती है। राम़पुर और इसके नवाबों ने देश की संस्कृति और विचारधारा पर एक लंबे समय तक चलने वाली धारणा को बनाया है।
चाहे बात करें रामपुर की रज़ा पुस्तकालय की जहां प्राचीन पांडुलिपियों और साहित्य के असंख्य संग्रह मौजूद हैं या वहाँ के रंग महल की जो कभी नवाबों का अतिथि गृह हुआ करता था, लेकिन इसे मूल रूप से काव्य और संगीत सभाओं के लिए बनाया गया था।
नवंबर 1911 में फेस्टिवल ऑफ़ एम्पायर द्वारा भारत कार्यालय को रामपुर की एक एल्बम से एक अज्ञात फोटोग्राफर द्वारा ली गई रंग महल की कुछ तस्वीरों को प्रस्तुत किया गया था। इनमें से एक तस्वीर रंग महल की है; दूसरी रंग महल के भीतर के एक कार्यालय की है और तीसरी रंग महल के द्वार की है। वहीं जॉर्ज पंचम की ताजपोशी को चिह्नित करने के लिए क्रिस्टल पैलेस में आयोजित कि गई इस प्रदर्शनी में रामपुर के नवाब, हामिद अली खान (1896-1930) भी प्रदर्शकों में से एक थे।
हामिद अली खान के निर्देशन में रंग महल को डब्ल्यू. सी. राइट (चीफ इंजीनियर) द्वारा किए गए व्यापक भवन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पूरी तरह से फिर से तैयार किया गया था। राइट की यह वास्तुकला ने इस्लामी, हिंदू और विक्टोरियन गोथिक के तत्वों को संश्लेषित किया, जिसे 'इंडो-सरैसेनिक (Indo-Saracenic)' के रूप में जाना जाता है।
संदर्भ:-
1. https://bit.ly/2WVPr4a
2. http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/r/019pho000000036u00014000.html
3. http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/r/019pho000000036u00009000.html
4. https://bit.ly/2JZ1ecC