भारत का त्योहारों से एक बड़ा ही गहरा रिश्ता है यह देश बड़ी लम्बी अवधि तक विभिन्न त्योहारों में संलिप्त रहता है जो की भारत की एक विशेषता है। रामपुर भारत के उत्तरप्रदेश का एक अभिन्न जिला है जो की अपने नवाबी रहन सहन के लिए जाना जाता है। पैगम्बर मुहम्मद की जयंती पर रामपुर में विभिन्न त्योहारों का आयोजन किया जाता है। आइये पढ़ते हैं रामपुर के त्यौहार और उसके संक्षिप्त इतिहास के बारे में।
रामपुर में पैगम्बर मुहम्मद की जयंती को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, इस पर्व को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है की इसी दिन पैगम्बर मुहोम्मद का जन्म हुआ था। पैगम्बर मुहोम्मद को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है और यदि ऐतिहासिकता में देखें तो इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारिख 571 इस्वी में हजरत मुहोम्मद का जन्म हुआ था। यह जुलूस रामपुर में नवाबों के समय से होता आ रहा है और इसकी महत्ता रामपुर के इतिहास में एक अलग ही महत्व रखती है।
इस्लाम में मिराज नामक किंवदंती है जिसमे पैगम्बर मुहम्मद का स्वर्ग में पहुँचने का जिक्र हुआ है। इस कथानक के अनुसार पैगम्बर मुहोम्मद को जिब्राइल स्वर्ग में ले जाता है जहाँ पर उनकी मुलाक़ात इश्वर से होती है। इश्वर या अल्लाह, काबा में सोये रहते हैं और उसी समय तमाम बुत परस्ती आदि के निशाँ वहां से मिटाए जाते हैं और वहां पर ज्ञान और मान्यता रुपी विचारों को फैलाया जाता है। मिराज के मूल लेख के अनुसार पैगम्बर को जिब्राइल द्वारा सबसे निचले स्वर्ग में ले जाया गया था। कालांतर में मुस्लिम इतिहास में पैगम्बर के स्वर्ग जाने का इतिहास इसरा से सम्बंधित हुआ जहां पर मक्का और जेरुसलम को दर्शाया गया है।
इस दिए गए कथन को एक सही सांचे में बैठाया गया है जिसमे उनके समय काल के विषय में कोई भी विभिन्नता न दिखाई दे। पैगम्बर को फिर पंख वाले जीव बुराक द्वारा एक ही रात में मक्का से जेरुसलम ले जाया गया था। और जेरुसलम से ही वे जिब्राइल के साथ मिराज नामक सीढ़ी के सहारे स्वर्ग पहुचते हैं और वहां से वे स्वर्ग के सातों चरणों को देखते हुए इश्वर के तख़्त तक पहुचे। स्वर्ग की तरफ जाते हुए पैगम्बर मुहम्मद अन्य पैगम्बरों से भी मिलते हुए गए जैसे की आदम, याह्या, ईसा, युसूफ, इदरिस, हारून आदि। यहीं पर पैगम्बर मुहम्मद की मुलाकात हुयी और यहीं से दिन में 5 बार की नमाज का जिक्र होता है।शुरुवात में यह जिक्र 50 बार का होता है परन्तु श्रद्धालुओं के बारे में विचार करने के बाद उसे 5 बार तक सीमित कर दिया गया। मुहमम्द पैगम्बर के स्वर्ग के इस यात्रा में विभिन्न चरणों का और उनसे जुडी शिक्षाओं का वर्णन किया गया है। इन दी गयीं शिक्षाओं और कहानियों के आधार पर ही इस्लाम के स्तंभों को बाँध कर रखा गया है।
सन्दर्भ:
1. https://www.britannica.com/event/Miraj-Islam
2. https://www.islamicity.org/5843/isra-and-miraj-the-miraculous-night-journey/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Mawlid
4. https://www.youtube.com/watch?v=d8W_P7o01cY
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