पहले प्रायः हम सुना करते थे कि कीड़े-मकोड़े मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढाने का काम करते हैं तथा फसलों की उत्पादन क्षमता को बढाते हैं। किंतु अब ये केवल इसी काम तक ही सीमित नहीं हैं। ऐसे कई कीड़े हैं जिन्हें अब आप अपने आहार में भी शामिल कर सकते हैं जैसे – झींगुर या (क्रिकेट्स-Crickets) या टिड्डा। जी हां अब आप इन्हें पोषक आहार के तौर पर विभिन्न रूपों में खा सकते हैं जिसका मुख्य कारण हैं इनमें पोषक तत्वों की प्रचुरता। इन जीवों में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक होती है जिस कारण वे पोषक तत्व हम इन्हें खाकर प्राप्त कर सकते हैं।
इस जीव का शरीर बेलनाकार तथा सिर गोल होता है जिस पर लंबे एंटीना लगे होते हैं। सिर के पीछे एक चिकनी और मजबूत प्रोनोटम नामक संरचना (pronotum) पायी जाती है। ये जीव उडने में सक्षम होते हैं हालांकि इसकी कई प्रजातियां उडान रहित भी हैं। अभी तक इसकी लगभग 900 प्रजातियों का वर्णन किया जा चुका है। अक्षांश 55 ° या उससे अधिक के स्थानों पर ये जीव जीवित नहीं रह सकते हैं। ये प्रायः घास के मैदानों, झाड़ियों और जंगलों से लेकर दलदल, समुद्र तटों और गुफाओं तक विभिन्न आवासों में पाए जाते हैं। झींगुर मुख्य रूप से निशाचर होते हैं तथा नर झींगुरों द्वारा मादा झींगुरों को आकर्षित करने के लिए एक विशिष्ट प्रकार की ध्वनि निकाली जाती है, जिस कारण इनकी ध्वनि को अक्सर अपने आस–पास सुना जा सकता है।
रामपुर में भी रात के समय इन कीड़ों की आवाज को आप अपने आस-पास सुन सकते हैं। जहां ये जीव अपनी विशिष्ट आवाज के लिए जाने जाते हैं तो वहीं पोषक तत्वों से भरपूर भी हैं, जिस कारण इनको खाद्य पदार्थों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन से यूरोप जैसे देशों में इन्हें घरेलू तौर पर पाला भी जाता है। दक्षिण-पूर्व एशिया में इन्हें तेल में तलकर स्नैक्स (Snacks) के रूप में बाजारों में बेचा जाता है। इनका उपयोग मांसाहारी पालतू जानवरों और चिड़ियाघर के जानवरों को खिलाने के लिए भी किया जाता है।
वर्तमान में झींगुरों से बनने वाला सबसे मुख्य उत्पाद इनका आटा है। जहां अन्य सामान्य आटा स्टार्च (Starch) और फाइबर (Fiber) से युक्त होता है तो वहीं झींगुरों से बनने वाला आटा इसके अतिरिक्त कई पोषक तत्वों से युक्त है। झींगुर प्रोटीन (Protein), असंतृप्त वसा (Unsaturated Fat), आहार फाइबर, विटामिन (Vitamin) और आवश्यक खनिजों का उच्च स्रोत है, जिससे आटे में भी यही पोषक तत्व शामिल हो जाते हैं। इसके अलावा इनमें अमीनो एसिड (amino acids) जैसे लाइसिन (Lysine), और ट्रिप्टोफैन (Tryptophan), कैल्शियम (calcium), आयरन (iron), पोटेशियम (potassium), विटामिन B12, B2, और फैटी एसिड (fatty acids) जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं।
हालांकि इनसे बनने वाले आटे से कई बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं नहीं हुई हैं, लेकिन ये कीड़े खाद और जैविक कचरे का सेवन करते हैं विषाक्तता सुरक्षा के लिए चिंता पैदा करता है। इसलिए कुछ कीड़े कीटनाशकों या संक्रमित कचरे से प्रभावित हो सकते हैं। इनके आटे से प्रायः बिस्किट, रोटी, नमकीन, चॉकलेट, प्रोटीन बार इत्यादि बनाये जाते हैं। इतालवी व्यंजनों में इसका बहुत अधिक प्रयोग किया जा रहा है। इनकी उपलब्धता सतत है जिस कारण इसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है। इन जीवों के पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान में इन जीवों का पालन किया जाने लगा है जिन्हें बाद में खाद्य उत्पाद बनाने में उपयोग में लाया जाता है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Cricket_(insect)
2. https://en।wikipedia।org/wiki/Cricket_flour
3. https://www।thehealthsite।com/fitness/cricket-flour-is-it-really-worth-the-hype-f0118-553520/
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2WFWw8J
2. https://bit.ly/33cQrmF
3. https://www.maxpixel.net/Nature-Insect-Green-Wildlife-Grasshopper-Cricket-2119636
4. https://www.maxpixel.net/Leaves-Bug-Cicadidae-Insect-Cicada-Fauna-Cricket-112088
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