कैसा होता है पर्यावरण के अनुकूल फर्नीचर?

रामपुर

 28-10-2019 12:12 PM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

किसी भी घर की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु होती है, उस घर का फर्नीचर (Furniture)। कोई भी घर बिना फर्नीचर के पूर्ण नहीं हो सकता। यह एक घर को घर की संज्ञा देता है। अब फर्नीचर की महत्ता देख एक बात तो ज़रूर समझ में आती है और वह है इसके टिकाऊ होने की आवश्यकता। फर्नीचर का टिकाऊ होने के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि वह पर्यावरण से सम्बंधित भी हो। वर्तमान समय में ग्रीन फर्नीचर (Green Furniture) एक बड़े चलन के रूप में निखर कर सामने आ रहा है। यह एक ऐसा विकल्प है जिसमें कि कई कम्पनियाँ (Companies) पर्यावरण को ध्यान में रखकर टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विभिन्न फर्नीचर बना रही हैं।

ये सतत या टिकाऊ फर्नीचर मुख्य रूप से कई प्रकार के पदार्थों के पुनर्चक्रण से भी बनाए जाते हैं जो कि इस बात की गुंजाईश रखता है कि पर्यावरण पर कम से कम असर पड़े। जैसा कि हमें पता है कि दुनिया इस समय अनेकों पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में यह विकल्प कुछ बुरा नहीं है। पुनर्चक्रण और सतत फर्नीचर ऐसे होते हैं जिनका कई मर्तबा बदलाव कर के प्रयोग किया जा सकता है। हम कई बार फर्नीचर, जैसे कि सोफे (Sofa), बेड (Bed) और अन्य सामान खरीदते वक्त उसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को अनदेखा कर देते हैं। एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि ये आम फर्नीचर जो कि पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते उनका घर के अन्दर वायु गुणवत्ता पर भी फर्क होता है। इ पी ए (EPA) जो कि एक संस्था है, बताती है कि अक्सर घर के अन्दर की हवा बाहरी वायु की तुलना में 2-5 गुना अधिक प्रदूषित होती है। अतः यह तो सिद्ध हो गया है कि घरेलू फर्नीचर ऐसे होने चाहिए जो कि पर्यावरण के अनुकूल हों।

अब ये सतत फर्नीचर खोजना एक शोध का विषय है जिसमें यह पता लगाना होता है कि आखिर जो फ़र्निचर आप खरीदना चाहते हैं वह पर्यावरण के अनुकूल है या नहीं? कई कंपनियाँ यह कह सकती हैं कि उनके फ़र्निचर पर्यावरण के अनुकूल हैं परंतु एक कुशल ग्राहक होने के नाते आपको यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि आखिर वह बिंदु क्या है जिससे यह पता लगाया जा सके कि कौन से फ़र्निचर अनुकूल हैं।

जो फ़र्निचर आप खरीद रहे हैं उसमे कौन सी सामग्री लगाई गयी है यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण बिंदु है। इसमें लकड़ी से लेकर एलइडी बल्ब (LED Bulb) तक आते हैं। लकड़ी की गुणवत्ता और उसके लाये गए स्थान आदि के बारे में जानकारी जुटाना पहला कदम होता है। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि उस लकड़ी से पर्यावरण पर प्रभाव तो नहीं पड़ा था। पुनर्नवीनीकरण वस्तुओं का प्रयोग हुआ है या नहीं। इस तरह के फर्नीचर में पुरानी वस्तुओं को पुनः चक्रण कर तैयार किया जाता है। पुनर्चक्रण की वस्तु पर्यावरण में प्रदूषण को फैलने से रोकती हैं तथा वे ज्यादा समय तक प्रयोग में लाई जा सकती हैं। यह जानना भी आवश्यक होता है कि आखिर उन फर्नीचर में किस प्रकार का गोंद या रंग प्रयोग में लाया गया है। यदि वो गोंद या रंग ज़हरीला हुआ तो उसका आपके स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। प्रकाश के लिए किस प्रकार के बल्ब का प्रयोग किया जा रहा है इसे जानना भी आवश्यक है। एलइडी बल्ब ऊर्जा बचाने का एक सुलभ उपाय है जिनका प्रयोग हम कर सकता है। इन बल्बों का जीवनकाल लम्बा होता है और ये करीब पारंपरिक बल्बों से 90% कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

आइये अब जानते हैं इस प्रकार के फर्नीचरों के लाभ और हानि के बारे में।

ऐसे फर्नीचर स्वास्थ के लिए उत्तम होते हैं तथा इसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये ऐसी वस्तुओं के आधार या संयोग से बनते हैं जो कि आपके स्वास्थ्य और वायु पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ग्रीन फर्नीचर कई प्रकारों और रंगों में भी आते हैं जिसे कि एक व्यक्ति अलग अलग भागों में विभाजित कर सकता है और ये कहीं आसानी से भेजे जा सकते हैं। अब अगर हानियों की बात करें तो कई ग्राहक इस बात पर भरोसा नहीं कर सकते हैं कि ये फर्नीचर बहुत ही शानदार हो सकता है। ये फर्नीचर बहुत ही सीमित प्रकारों में आते हैं। ये फर्नीचर अलग-अलग हिस्सों में आता है जिसे बिठाना एक जिगसॉ पज़ल (Jigsaw Puzzle) की तरह होता है।

संदर्भ:
1. https://resourcefurniture.com/inspiration/how-to-find-eco-friendly-sustainable-furniture-in-the-modern-world/
2. https://www.custommade.com/blog/sustainable-furniture/
3. http://www.indiahandicraftstore.com/furniture/eco-friendly.html
4. https://www.greenbiz.com/news/1969/12/31/interest-sustainable-furniture-rise
5. https://freshome.com/green-furniture-choices/
6. https://www.sustainablebusinesstoolkit.com/flat-pack-furniture-sustainability/
7. https://www.elledecor.com/home-remodeling-renovating/home-renovation/advice/a3426/the-pros-cons-of-going-green-a-70750/


RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id