उत्तर प्रदेश में बिजली की स्थिति क्यों है इतनी दुर्बल?

रामपुर

 26-10-2019 12:59 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

उत्तर प्रदेश के लोग नियमित रूप से बिजली के अभाव का अनुभव करते आ रहे हैं क्योंकि यहाँ बिजली की मांग अक्सर आपूर्ति से अधिक होती है। पिछले 20 वर्षों में बिजली की कमी 10-15% के दायरे में बनी हुई है, वहीं गर्मी के मौसम में जब अधिक बिजली की मांग होती है तब यह दायरे और अधिक बढ़ जाते हैं। 2013 में, राज्य की मांग और बिजली की आपूर्ति के बीच 43% तक का अंतर देखा गया है। विद्युत मंत्रालय की समीक्षा बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 की गर्मियों में राज्य में बिजली की अनुमानित मांग 15,839 मेगावाट थी जिसमें 6,832 मेगावाट का अंतर रहा था।

उत्तरप्रदेश में अनियमित बिजली के कारण औद्योगिक निवेश पर भी काफी असर पड़ रहा है। साथ ही इस स्थिति ने यूपी सरकार को करीब के अन्य राज्यों से उच्च कीमतों में बिजली खरीदने के लिए मजबूर कर दिया है। उदाहरण के लिए 2011 में यूपी सरकार ने राज्य में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय निकाय से 17 रुपये प्रति यूनिट (Unit) की दर से बिजली खरीदी थी। यह अभ्यास नियमित रूप से राज्य विद्युत बोर्ड को काफी वित्तीय नुकसान पहुंचाता है और साथ ही शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे सामाजिक विकास के क्षेत्रों में राज्य के व्यय को बाधित करता है।

वहीं राज्य विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत, विभिन्न राज्य-स्तरीय बिजली नियामकों ने नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद का दायित्व निर्दिष्ट किया है। तदनुसार, ऊर्जा का एक निश्चित प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से आना चाहिए। यूपी के मामले में यह लक्ष्य यहां केवल 5% ही निर्धारित किया गया है, जिसमें से 0.5% सौर ऊर्जा का हिस्सा है। हालांकि, लगभग 50% की कमी से यूपी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहा है। उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली के उत्पादन में देश के अन्य राज्यों से पीछे है। जबकि गुजरात सौर ऊर्जा के माध्यम से 850 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है, इसके बाद राजस्थान में 201 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।

निम्न प्रति-व्यक्ति ऊर्जा की खपत और ऊर्जा की तीव्रता है:
1)
कोयले और लिग्नाइट (Lignite) के रूप में पीटाजूल्स (Petajoules) में ऊर्जा की खपत सबसे अधिक थी, 2017-18 के दौरान यह कुल खपत का लगभग 44.1% थी। वहीं दूसरे स्थान पर कच्चे तेल (34.32%), जबकि तीसरे स्थान पर बिजली (13.24%) की खपत थी।
2) एक वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत की गणना उस वर्ष की आबादी द्वारा कुल ऊर्जा खपत के अनुमान के अनुपात के रूप में की जाती है।
3) प्रति व्यक्ति ऊर्जा का उपभोग 2011-12 में 19,599 मेगाजूल्स (Megajoules) से बढ़कर 2017-18 में 23,355 मेगाजूल्स हो गया। 2016-17 के मुकाबले 2017-18 के लिए प्रति व्यक्ति ऊर्जा में वार्षिक वृद्धि 3.87% थी।

वहीं उत्तर प्रदेश में, गैर-परंपरागत ऊर्जा विकास एजेंसी (Agency) की स्थापना 1983 में उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के अंतर्गत एक पंजीकृत संस्था के रूप में की गयी थी। इस एजेंसी के निम्न कार्य हैं :-
• ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों और ऊर्जा संरक्षण की अवधारणा को प्रसारित करना।
• विभिन्न क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा प्रणालियों और ऊर्जा की बचत के साधनों के उपयोग को बढ़ावा देना।
• मुख्यतः अनुप्रयोग प्रकृति के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास।

जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि सूर्य हमारे सौर मंडल में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है, और हज़ारों सालों से, मानव द्वारा अपने घरों को गर्म करने, अपने भोजन पकाने और गर्म पानी का उत्पादन करने के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग किया जाता आ रहा है। 19वीं शताब्दी तक हमारे द्वारा भरपूर मात्रा में सूर्य की ऊर्जा का उपयोग किया गया है, लेकिन वर्तमान समय में विश्व को सौर ऊर्जा का लगभग 1% ही मिलता है; हालाँकि, यह पूरी तरह से संभव है कि अगले 30 वर्षों में यह प्रतिशत 27% तक बढ़ सकता है।

सौर ऊर्जा भंडारण भविष्य की ऊर्जा प्रणालियों की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इसके बिना, दिन भर में उत्पन्न होने वाली किसी भी अतिरिक्त बिजली का उपयोग बाद के समय में नहीं किया जा सकता है, विशेषकर जब सूर्य नहीं निकलता है। ऊर्जा भंडारण सौर ऊर्जा संयंत्रों को अतिरिक्त ऊर्जा के भंडार करने की अनुमति देता है ताकि आपातकालीन तैयारी और ग्रिड (Grid) स्थिरीकरण सहित कई कारणों में इसे बाद में बेचा और उपयोग किया जा सके। हालांकि ये सोलर बैटरी स्टोरेज सिस्टम (Solar battery storage system) भविष्य के लिए काफी लाभदायक हैं लेकिन इन सिस्टमों की लागत काफी उच्च है क्योंकि इनमें मुख्य रूप से महंगी लिथियम आयन बैटरी (Lithium Ion Battery) का उपयोग किया जाता है। यदि इन सिस्टम की लागत कम की जाए तो यह प्रत्येक स्थान में अधिक सामान्य रूप से देखे जाने लगेंगे।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2JiRklV
2. https://energypedia.info/wiki/Uttar_Pradesh_Energy_Situation
3. http://upneda.org.in/objective-and-establishment.aspx
4. http://www.altenergy.org/renewables/renewables.html
5. https://www.landmarkdividend.com/the-future-of-solar-energy/



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id