उपनिषद, ग्रंथों इत्यादि से हमे शिक्षक की महत्ता का ज्ञान प्राप्त होता है| भारत में कई गुरुओं, दार्शनिकों, शिक्षाशास्त्रियों, धर्मशिक्षकों ने शिक्षा व दर्शन में योगदान दिया है – व्यास, विश्वामित्र, वशिष्ठ, आदिशंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, रविंद्रनाथ टैगोर, पण्डित मदन मोहन मालवीय, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद इत्यादि जैसे लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया तथा हमे शैक्षिकता के पथ पर अग्रसर रहने के लिए प्रेरित किया| परन्तु आज के दौर में शिक्षा, शिक्षक एवं विद्यालयों का स्तर गिरता जा रहा है| अगर हम रामपुर जिले की बात करें तो यहाँ ना ही बहुधंधी तकनिकी संस्थाएँ है ना ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था है| गौरतलब है की यहाँ के विद्यालयों में भी उचत्तम शिक्षा बच्चों को प्राप्त नहीं होती – अगर हम विभिन्न शैक्षिक स्तर पर अध्यापक-छात्र संख्या पर नज़र डालें तो 2014-2015 में जूनियर बेसिक विद्यालय में प्रति अध्यापक 129 बच्चें (प्रति लाख जनसंख्या पर 88 विद्यालय), सीनिअर बेसिक विद्यालय में प्रति अध्यापक 68 बच्चें(प्रति लाख जनसंख्या पर 42 विद्यालय) तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रति अध्यापक 62 विद्यार्थी (प्रति लाख जनसंख्या पर केवल 6 विद्यालय) हैं|
1. जिलेवार विकास संकेतक, उत्तर प्रदेश 2015 - अर्थ एवं संख्या प्रभाग, राज्य नियोजन संस्थान नियोजक विभाग, उत्तर प्रदेश .
2.http://www.censusindia.gov.in/2011census/dchb/0905_PART_B_DCHB_RAMPUR.pdf