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हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसी वस्तुओं का उपयोग करते हैं जो कांच की बनी हुई होती हैं। इसका चमकता हुआ रूप जहां देखने में सुंदर लगता है वहीं अन्य कामों में भी उपयोग में लाया जाता है। कांच से बनी इन वस्तुओं का निर्माण तरल रेत से किया जाता है जिसे प्रायः ग्लास रेत (Glass sand) कहा जाता है। ग्लास रेत एक विशेष प्रकार की रेत है जिसमें सिलिका (Silica) की उच्च सांद्रता पायी जाती है। यह क्वाटर्ज (Quartz) के रूप में रेत में उपस्थित होता है तथा कांच को प्राप्त करने के लिए क्वाटर्ज की मोटी परतों को ही इकट्ठा किया जाता है। इस रेत में आयरन ऑक्साइड (Iron Oxide), क्रोमियम (Chromium), कोबाल्ट (Cobalt) आदि की सांद्रता बहुत कम होती है जिस कारण यह कांच बनाने के लिए उपयुक्त होती है।
पाकिस्तान के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार 1960 में बांग्लादेश स्थित शेरपुर जिले में श्रीबरदी उपज़िला के बलिजुरी मौज़ा में कांच की रेत पायी थी। यहां पायी जाने वाली रेत में लगभग 88% से 99% सिलिका होता है जिसमें कुछ प्रतिशत लोहा, टाइटेनियम (Titanium), कोबाल्ट आदि भी होता है। कांच बनाने के लिए रेत को प्रायः 1700°C पर पिघलाया जाता है। पिघलाने के बाद रेत तरल रूप ले लेती है। यह पिघली हुई रेत अपनी पूर्वावस्था में नहीं आती जिस कारण पिघली हुई रेत की संरचना और प्रकृति पूर्णतः बदल जाती है। चाहे रेत को कितना ही पिघलाया क्यों न गया हो लेकिन यह कभी भी अपनी पूर्व ठोस अवस्था को धारण नहीं कर सकती है।
इसकी संरचना जमे हुए तरल के समान हो जाती है। जिसे वैज्ञानिक रूप से अनाकार ठोस (Amorphous solid) कहा जाता है। वास्तव में यह ठोस और द्रव के बीच की अवस्था होती है जिसमें कुछ गुण ठोस पदार्थों के तथा कुछ द्रव पदार्थों के होते हैं। जब कांच पिघल जाता है तो पिघले हुए कांच को खांचों में बूंद-बूंद करके उड़ेला जाता है तथा इसे मनचाही आकृति प्रदान की जाती है। कांच हमारे घरों में बहुत ही लोकप्रिय होता है क्योंकि यह पारदर्शी होने के साथ-साथ बनाने में आसान है, किसी भी आकार में ढाला जा सकता है तथा उष्मा प्रतिरोधी है। क्योंकि यह रासायनिक रूप से निष्क्रिय है इसलिए इसके अंदर रखे गये किसी भी पदार्थ से यह कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। विशेष बात यह है कि इसका कितनी बार भी पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है।
एक वाणिज्यिक कांच कारखाने में, कांच को बनाने के लिए रेत को अपशिष्ट ग्लास, सोडियम कार्बोनेट (Sodium carbonate), और चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट- Calcium carbonate) के साथ मिश्रित किया जाता है और फिर एक भट्टी में गरम किया जाता है। कैल्शियम कार्बोनेट रेत के गलनांक को कम करता है जिससे निर्माण के दौरान ऊर्जा की बचत होती है। किंतु इसके प्रभाव से एक ऐसे कांच का निर्माण होता है जो पानी के सम्पर्क में आने पर पिघल जाता है। इस परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए कांच में सोडियम कार्बोनेट के साथ चूना पत्थर भी मिलाया जाता है। बनने वाले अंत-उत्पाद को सोडा-लाइम-सिलिका ग्लास (Soda-lime-silica glass) कहा जाता है। इस कांच का उपयोग फिर दर्पण, घड़ी, लैम्प (Lamp), सौर पैनल (Solar Panel) की सतह, मेज़, बर्तन, सजावटी वस्तुओं, कप्यूटर (Computer) और मोबाईल (Mobile) के स्क्रीन (Screen) आदि बनाने के लिए किया जाता है।
भारत में कांच उद्योग को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। एक कुटीर उद्योग और दूसरा कारखाना उद्योग। कुटीर उद्योग के तहत, कांच की चूड़ियाँ या तो कारखानों में उत्पादित कांच या फिर नदियों के अशुद्ध रेत से निर्मित हल्के कांच से छोटी-मोटी भट्टियों में बनाई जाती हैं। कुटीर उद्योग के तहत गमले, सजावटी कांच के बने पदार्थ, टेबलवेयर (Tableware), लैंप आदि का निर्माण किया जाता है। हालांकि यह पूरे देश में फैला हुआ है किंतु इन उद्योगों के मुख्य केंद्र फिरोज़ाबाद (उत्तर प्रदेश) और बेलगाम (कर्नाटक) हैं। कारखाना उद्योग ज्यादातर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और पंजाब तक ही सीमित है। उत्तर प्रदेश में सिरेमिक (Ceramic) उद्योग मुख्य रूप से शीट ग्लास (Sheet glass) का निर्माण करते हैं जबकि बंगाल और महाराष्ट्र में ग्लास ट्यूब (Glass tube), टेस्ट-ट्यूब (Test-tube), बीकर (Beaker) और फ्लैट ग्लास (Flat glass) का निर्माण किया जाता है। उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद शहर को मुख्य रूप से कांच उद्योग के लिए ही जाना जाता है।
रामपुर शहर रेत भंडार वाले ऐसे क्षेत्रों के बहुत करीब है जहां की रेत में कांच उपलब्ध होता है। यह कांच उद्योग का केंद्र कहे जाने वाले फिरोज़ाबाद से कुछ दूरी पर स्थित है। फिरोज़ाबाद मुख्यतः अपने चूड़ी कारोबार के लिए प्रसिद्ध है। शहर के अधिकतर लोग कांच उद्योग या कांच निर्माण से जुड़े हुए हैं तथा घरों पर भी कांच से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करते हैं। यहां चूड़ी बनाना एक घरेलू व्यवसाय है जिसमें पारंपरिक तकनीकों को पीढ़ियों से पारित किया जा रहा है। लगभग 200 से भी अधिक वर्षों से यहां कांच की चूड़ियों का उत्पादन किया जा रहा है जिस कारण यह दुनिया में कांच की चूड़ियों का सबसे बड़ा निर्माता है। किंतु अफसोस की बात यह है कि बाल श्रम और जनशक्ति शोषण यहां की एक दुखद वास्तविकता है।
संदर्भ:
1. http://en.banglapedia.org/index.php?title=Glass_Sand
2. https://www.explainthatstuff.com/glass.html
3. https://firozabad.nic.in/gallery/glass-industry/
4. http://www.yourarticlelibrary.com/essay/the-glass-industry-in-india/42362
5. https://bit.ly/2m5o7C2
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://pixabay.com/photos/beach-glass-sand-landscape-2069104/
2. https://bit.ly/36406xF
3. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:GlassBeach.jpg