23 सितम्बर को सूर्य के पृथ्वी की भूमध्य रेखा पर लम्बवत होने के कारण दिन और रात बराबर अर्थात 12-12 घंटे के होंगे। इस प्रक्रिया को ‘विषुव’ कहा जाता है। विषुव का अंग्रेज़ी शब्द ‘इक्वीनोक्स’ (Equinox) मूल रूप से लैटिन से जुड़ा है, और इसका अर्थ है “बराबर रात”। उत्तरी गोलार्ध में, मार्च के विषुव को बसंत विषुव के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह बसंत की शुरुआत का प्रतीक है। वहीं सितम्बर के विषुव को उत्तरी गोलार्ध में शरद विषुव के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। दक्षिणी गोलार्ध में ये दोनों विषुव उत्तरी गोलार्ध के बिलकुल विपरीत होते हैं।
विषुव को लेकर विभिन्न मान्यता हैं, तो चलिए जानते हैं इन मान्यताओं के बारे में:
बाइबल के अनुसार यीशु का जन्म साल के अंत में हुआ था। वहीं उस समय ईसाइयों ने क्रिसमस (Christmas) को सर्दियों की संक्रांति के उपयुक्त समय पर मौजूदा पगान समारोहों से मिलान करने के लिए निर्धारित किया था। यह यीशु के गर्भाधान को नौ महीने पहले के समय को बसंत विषुव बताता है।
बसंत विषुव नव और शिंटो-बुतपरस्ती और बौद्ध धर्म दोनों में एक महत्वपूर्ण दिन है। जापानियों में भी बसंत के आने के लिए एक दिन निर्धारित किया जाता है और उनके लिए, यह दिन एक नए जीवन के उत्सव का प्रतीक है। जापानी इस दिन को ओस्टारा (Ostara) कहते हैं। वहीं नव-बुतपरस्त का मानना है कि यह दिन मौत के बारे में सोचने का समय है। जापानी और नव-बुतपरस्त दोनों ही इस दिन को प्रजनन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करने के लिए उपयोग करते हैं। बसंत विषुव किसानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण समय होता है।
चूंकि विषुव संतुलन का एक समय है तो बहुत से लोगों का मानना है कि इस दिन एक अंडे को उसके सिरे के बल संतुलित किया जा सकता है। ये लोग मानते हैं कि विषुव के सटीक समय से पहले या बाद में केवल कुछ घंटों के भीतर ही एक अंडे को संतुलित किया जा सकता है। लेकिन वास्तव में अंडे को संतुलित करने में सक्षम होने का कारण, अंडे की आंतरिक संरचना, गुरुत्वाकर्षण, अंडे की सतह की स्थिति, आदि पर निर्भर करता है। इसका किसी भी प्रकार की ऋतुओं से कोई लेना देना नहीं होता है।
वसंत विषुव का पर्व विशु, 10 और 14 अप्रैल के बीच मालाबार महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। तमिल लोगों के लिए यह नए साल का दिन है, लेकिन मालाबार के लोगों के लिए यह नए कृषि वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। वहीं विशुव के दिन की सुबह देखी जाने वाली पहली चीज़ को पूरे वर्ष के लिए शगुन माना जाता है। मालाबार के लोग इस दिन कुछ शुभ वस्तु को देखने के लिए सतर्क रहते हैं। तदनुसार, नए कृषि वर्ष की पूर्व संध्या पर, प्रत्येक हिंदू घर में संबंधित ‘देसम’ के कानिसन द्वारा दौरा किया जाता है, तथा थोड़े से चावल, सब्ज़ी और तेल के उपहार के बदले ये लोग आने वाले समय के बारे में कुछ पूर्वानुमान करते हैं जिसे एक ताड़ के पत्ते पर लिखा जाता है। इसे ‘विशु फलम’ कहा जाता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2m111N9
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Equinox
3. http://www.religioustolerance.org/spequi3.htm
4. https://www.gutenberg.org/files/35690/35690-h/35690-h.htm
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.