खाजा रामपुर की एक स्वादिष्ट मिठाई है जो आपको यहां मिठाई की हर दुकान में उपलब्ध हो जायेगी। इसे खजजका भी कहते हैं जिसका ज़िक्र मानसोल्लासा (अभिलाशितार्थ चिंतामणि) में भी किया गया है। ऐसा माना जाता है कि खाजा की उत्पत्ति अवध तथा संयुक्त प्रान्त अवध-आगरा (आज के उत्तरप्रदेश के पूर्वी जिले तथा बिहार के पश्चिमी जिले) में हुई। इसका निर्माण गेंहू के आटे या मैदे और मावे से किया जाता है जिसे कढ़ाई में तल के चीनी की चाशनी में डुबाया जाता है। यह मिठाई बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा आंध्रप्रदेश इत्यादि क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय है।
बिहार की सिलाव खाजा पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है जो पेटीज़ (Patties) की तरह दिखती है किन्तु स्वाद में मीठी होती है। यह काफी हद तक ‘बकलावा’ से मिलती जुलती है जो एक प्रकार की मीठी पेस्ट्री (Pastry) है जिसे आटे या मैदे की कई परतों से मिलकर बनाया जाता है। सिलाव खाजा को अपने स्वाद, कुरकुरेपन, और बहुपरतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। किवदंतियों के अनुसार जब भगवान गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ इस क्षेत्र से गुज़र रहे थे तो उन्होंने इस मिठाई का सेवन किया था। भक्तों की मानें तो इसका नाम भगवान बुद्ध ने ही खाजा रखा।
सिलाव जो कि बिहार के नालंदा का एक क्षेत्र है, की खाजा मिठाई को भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री ने दिसम्बर 2018 में भौगोलिक संकेत टैग (Tag) जिसे जी. आई (G.I.) टैग कहा जाता है, दिया। भौगोलिक संकेत मुख्य रूप से किसी विशिष्ट उत्पाद को दिया जाता है जो किसी भौगोलिक क्षेत्र में कई वर्षों से बन रहा हो। सिलाव में 60 से भी अधिक दुकानें सिलाव खाजा का कई वर्षों से निर्माण कर रही हैं।
नेपाल में खाजा मिठाई मैथिली और भोजपुरी समुदाय में बहुत लोकप्रिय है जिसे छठ पूजा में प्रसाद के रूप में शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त जगन्नाथ पुरी में भी इस मिठाई को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस मिठाई को बनाने के लिए गेंहू का आटा या मैदा, चीनी, इलायची, घी आदि का उपयोग किया जाता है। सिलाव खाजा की प्रत्येक 28 ग्राम में 158 कैलोरी, 11 ग्राम वसा, 13 ग्राम कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), 2 ग्राम प्रोटीन (Protein) आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Khaja
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Baklava
3. https://www.quora.com/Was-Khaja-originated-from-Bihar
4. https://bit.ly/2mlck2N
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