जब कैमरों (Cameras) का आविष्कार नहीं हुआ था तब भी लोगों द्वारा अपने खूबसूरत पलों को चित्रकारी की सहायता से हमेशा के लिए जीवंत बना दिया जाता था और वो चित्र इतने सजीव जान पड़ते थे मानो किसी कैमरे में ही कैद किये गए हों। इसका उदाहरण हम रामपुर के सीताराम द्वारा चित्रित तस्वीरों में देख सकते हैं जिन्होंने भारत में हेस्टिंग्स की यात्राओं को अपने बनाये हुए दस एल्बम में सँजोया है। उनके चित्रों में छोटी से छोटी बारीकियों को आसानी से देखा जा सकता है जैसे किसी कैमरे के द्वारा ली गयी तस्वीर हो। मगर बदलते वक्त के साथ घटनाओं को जल्दी-जल्दी कैद करने की ज़रूरत पड़ी तो कैमरे नामक यंत्र का आविष्कार हुआ। आज के वर्तमान परिदृश्य में कैमरे की क्या महत्ता है उससे कोई भी सख्स अछूता नहीं है।
कैमरे का प्रयोग मानव के दैनिक क्रियाकलापों में शामिल हो चुका है। आज जिस फिल्मी दुनिया को हम देखते हैं या देश दुनिया में घटित हो रही तमाम हलचलों को जितनी आसानी से हम देख पा रहे हैं इसमें कोई शक नहीं है कि कैसे कैमरे ने संचार और मनोरंजन के क्षेत्र में एक क्रांति का काम किया है। 17वीं सदी की शुरुवात में johann zahn द्वारा जब पहले कैमरे का खाका तैयार किया गया तब किसी ने नही सोचा था कि आगे चलकर यह यंत्र सबसे क्रांतिकारी बनेगा। वक्त के साथ कैमरे में बदलाव होते रहे और कैमरे ब्लैक एंड वाइट (Black & White) से रंगीन बनने की ओर चल पड़े। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि वक्त के साथ लोग खुद को सादे में देख कर ऊब चुके थे। उनकी बाहर की दुनिया तो रंगीन थी मगर फ़ोटो वाली दुनिया अब भी काले-सफेद पर टिकी हुई थी।
मगर सर्गेई प्रोकोडिन गोर्स्की, एक रुसी व्यक्ति जो पेशे से केमिस्ट (Chemist) और फोटोग्राफर (Photographer) थे, उन्हें फ़ोटोग्राफ़ी के क्षेत्र को रंगीन बनाने के लिए विशेष तौर पर याद किया जाता है।
एक ओर 20वीं शताब्दी की शुरुआत में जहाँ नए-नए आविष्कारों को ढूंढा जा रहा था उन्हीं में गोर्स्की ने भी एक नई खोज को जन्म देकर फोटोग्राफी की ब्लैक एंड वाइट दुनिया को रंगीन में तब्दील कर दिया। गोर्स्की को लियो टॉलस्टॉय की एक उम्दा रंगीन फोटो खींचने के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। यही नहीं, उन्होंने अपने जीवन काल में 10,000 से भी अधिक चित्रों को एकत्रित किया। साथ में उन्होंने अंग्रेज़ी समाचार व चित्रित जर्नल्स (Journals) भी प्रकशित किये।
साधन / इक्विपमेंट (Equipment)
प्रोकुडिन-गोर्स्की ने 1906 में फोटोग्राफ-लिबिटेल में इससे एक चित्र प्रकाशित किया। जिसमें उन्होंने सबसे आम मॉडल ने एक एकल आयताकार प्लेट का इस्तेमाल किया। जो 24 सेमी ऊंचा 9 सेमी चौड़ा, प्रोकुडिन-गोर्स्की नीले-हरे-लाल अनुक्रम में छवियों को खींचा। गोर्स्की ने एक्सपोज़र (Exposure) प्रकार के कैमरों के लिए एक ऑप्टिकल (Optical) प्रणाली का पेटेंट कराया और यह अक्सर दावा किया जाता है कि उन्होंने अपने रूसी एम्पायर प्रोजेक्ट (Empire Project) में इस्तेमाल किये गए कैमरे का आविष्कार किया था।
गोर्स्की ने अलीम खान नामक व्यक्ति के इस चित्र को रंगीन बनाने के लिए 3 तरह के फिल्टरों (Filters) का प्रयोग किया जिनमें नीला, लाल और हरा शामिल था और तीनों के मिश्रण ने एक नए रंगीन चित्र को रूप दिया। इसके अलावां गोर्स्की ने कैमरे की शटर स्पीड के समय और एक्सपोज़र के भी समय पर विशेष ध्यान दिया।
इस चित्र में टॉल्स्टोय के साथ बिताए हुए एक पल को दिखाया गया है। जिसमें धूप की उपलब्धता की वजह से इसे गोर्स्की की तस्वीरों में सबसे उम्दा माना गया है।
आज वर्तमान परिदृश्य में डिजिटल (Digital) कैमरे का प्रयोग बदलाव की सबसे बड़ी उपलब्धि है जिसमें हम बिना रील (Reel) के ही सेकण्डों में फ़ोटो प्राप्त कर लेते हैं। सन 2000 में जापान ने जब पहला कैमरा फ़ोन बनाया तब कैमरे की उपलब्धता हाथों हाथ होने लगी।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Sergey_Prokudin-Gorsky
2. https://bit.ly/2m49Vt1
3. https://bit.ly/2t6Lk79
4. https://rampur.prarang.in/posts/1812/postname
5. https://www.gktoyou.com/camera-ki-khoj-kisne-ki/
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