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मोर पृथ्वी पर सबसे सुंदर पक्षियों में से एक है जिसे अपने रंगीन पंखों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यह दिखने में बहुत आकर्षक लगता है तथा भारत के राष्ट्रीय पक्षी के रूप में भी सुशोभित है। इसके कई संदर्भ भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास में देखने और सुनने को मिलते हैं। मोर के पंख धात्विक नीले-हरे रंग के होते हैं जो बहुत चमकदार दिखाई देते हैं।
यह पक्षी पावो (Pavo) और एफ्रोपावो (Afropavo) वंश की प्रजातियां हैं जो फेसिअनीडे (Phasianidae) परिवार से सम्बंधित हैं। मुख्य रूप से मोर की तीन प्रजातियाँ हैं जिनमें भारतीय मोर (भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले), ग्रीन पीकॉक (Green Peacock –दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाने वाले) और कोंगो मोर (Congo peacock - अफ्रीका में पाए जाने वाले) शामिल हैं। ये तीनों प्रजातियां एशिया की मूल निवासी हैं, लेकिन इन्हें अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में भी पाया जा सकता है। इनके धात्विक नीले-हरे रंग के शानदार पंखों का उपयोग विभिन्न शिल्प कलाओं और ज्योतिषियों द्वारा किया जाता है। मोर बड़े और रंगीन (आमतौर पर नीले और हरे) होते हैं जिन्हें विशेष रूप से अपनी इंद्रधनुषी पूंछ के लिए जाना जाता है। इनके पंखों का प्रयोग विभिन्न प्रयोजनों विशेष रूप से सजावट के लिए किया जाता है।
हालांकि मोर के पंखों का रंग उज्ज्वल दिखाई देता है किन्तु यह इतना उज्ज्वल होता नहीं है जितना दिखाई देता है। वास्तव में, मोर भूरे रंग के होते हैं, और उनका रंग अक्सर प्रकाश के प्रतिबिंब के कारण बदल जाता है, जो कि उनके शानदार रंगीन पंखों का रहस्य है। मोर के पंख का हर भाग अलग-अलग कोणों से प्रकाश पड़ने पर अपना रंग बदलता है।
पंखों द्वारा प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का अवशोषण और प्रकीर्णन ही इनके इंद्रधनुषी रंग के लिए उत्तरदायी है अर्थात इनके आश्चर्यजनक सुंदर आकार के पीछे एक जटिल संरचना निहित है। इनके इंद्रधनुषी रंग की पहचान 1634 में चार्ल्स प्रथम के चिकित्सक सर थिओडोर डी मायर्न ने की थी। उन्होंने देखा कि मोर के पंखों में आँख रुपी संरचना इंद्रधनुष के समान चमकती है। प्रत्येक पंख में हज़ारों समतल शाखाएँ होती हैं। जब पंख पर प्रकाश चमकता है, तो हज़ारों झिलमिलाते रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
आपके लिए यह जानना रोचक होगा कि मोर के इन पंखों का इस्तेमाल लेडी कर्ज़न की एक पोशाक में भी किया गया था। उनकी यह पोशाक सुनहरे और चांदी के धागे से बनी हुई थी जिसे 1903 में जीन-फिलिप वर्थ द्वारा दूसरे दिल्ली दरबार में राजा एडवर्ड VII और रानी एलेक्जेंड्रा के राज्याभिषेक का जश्न मनाने के लिए डिज़ाइन (Design) किया गया था।
यह एक प्रकार का गाउन (Gown) था जिसे ज़र्दोज़ी (सोने के तार की बुनाई) विधि का उपयोग करके दिल्ली और आगरा के कारीगरों द्वारा अलंकृत किया गया था जिसे बाद में पेरिस भेज दिया गया। समय के साथ, पोशाक में धातु के धागे धूमिल हो गए हैं लेकिन इसके मोर पंखों ने अपनी चमक नहीं खोई है।

सन्दर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Peafowl
2.http://www.webexhibits.org/causesofcolor/15C.html
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Lady_Curzon%27s_peacock_dress