जयपुर के जंतर मंतर का तारेक्ष कैसे भिन्न है, रामपुर रजा पुस्तकालय में मौजूद तारेक्ष से

रामपुर

 28-08-2019 03:03 PM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

रज़ा लाइब्रेरी रामपुर की वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। हामिद मंजिल के रूप में जाना जाने वाला यह पुस्तकालय अपने विभिन्न पांडुलिपियों, ऐतिहासिक दस्तावेजों, इस्लामी सुलेख नमूनों, लघुचित्रों, मुद्रित पुस्तकों और खगोलीय उपकरणों के दुर्लभ और मूल्यवान संग्रह के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां संग्रहित सबसे पुराना खगोलीय उपकरण तारेक्ष (Astrolabe) है, जिसे सिराज दमशकी ने बनाया था।

लेकिन जयपुर के जंतर मंतर पर एक बेहतर तारेक्ष (यन्त्र राज) है। जयपुर के जंतर मंतर में यह यंत्र राज वहां मौजूद कई यंत्रों में से एक है। यंत्र राज नाम का शाब्दिक अर्थ है, यंत्रों का राजा। यह एक प्राचीन प्रकार का तारेक्ष है जो, खगोलशास्त्र में रूचि रखने वाले महाराजा सवाई जयसिंह का एक बहुत ही पसंदीदा साधन था।

राजा सवाई जय सिंह ने इस पर संस्कृत में एक विस्तृत पुस्तक लिखी, जिसे यंत्र राज कारिका कहा जाता है। यह पुस्तक वर्तमान में जयपुर के सिटी पैलेस (City Palace) के पुस्तकालय में रखी है। आज भी यह उपकरण भारतीय ज्योतिषियों और खगोलविदों के लिए बहुत महत्व रखता है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की टिप्पणियों और गणनाओं के लिए किया जाता है।

माना जाता है कि यन्त्र राज अरब मूल का है। अरब तारेक्ष, टॉलेमी (Ptolemy) के सिद्धांतों पर आधारित था। यह मुस्लिम खगोलविदों के लिए एक बहुत लोकप्रिय उपकरण था, जिन्होंने इसे डिजाइन करने और इसे बेहतर बनाने में काफी सरलता का प्रयोग किया था। गुज़रते समय के साथ यह कला का एक बेजोड़ नमूना माना जाने लगा और उस समय खगोल विज्ञान की समझ और ज्ञान रखने वालों के लिए एक अनुपम विरासत।

भारत में तारेक्ष पर सबसे पहला काम 1370 ईस्वी में महेंद्र सूरी ने किया था। इसमें प्रयुक्त सिद्धांत हिंदू खगोलविदों के लिए नए नहीं थे। तारेक्ष प्राचीन हिंदू ग्रंथों में स्पष्ट रूप से एक खगोलीय मानचित्र के रूप में मौजूद था। ऐसे उपकरण का एक उदाहरण भास्कराचार्य का फलक यंत्र था, जिसमें एक धरातल (पटल) को क्षैतिज रूप से 90 बराबर भागों में विभाजित किया गया था और विभिन्न खगोलीय मंडलियों को दर्शाने वाली कुछ अन्य रेखाएँ खींची गईं थी। खगोलीय टिप्पणियों के उद्देश्य से इसे एक कुर्सी पर लंबवत रूप से लटका दिया गया। उस पटल को धूप में इस तरह रखा गया कि सूरज की रोशनी उसकी दोनों सतहों पर गिरे। पटल पर बनी रेखाओं पर गिरने वाली शंकु की छाया की ऊंचाई गणनाएं देगी। खगोलीय पिंडों को छड़ी के बाहरी छोर से देखा जाता था, जिसे खगोलीय मानचित्र पर विस्थापित किया जा सकता था।

अब जयपुर के जंतर मंतर में मौजूद तारेक्ष पर वापस आते हैं, इस उपकरण का कार्य इतना जटिल है कि इस उपकरण के मूल काम को समझाते हुए पुस्तकों के पूरे संस्करणों को लिखा जा सकता है। यंत्र 7 फीट व्यास के साथ एक बड़े धातु की तश्तरी के आकार में है। लेकिन निकट आने पर यह स्पष्ट रूप से सीधी और गोलाकार खगोलीय रेखाओं से बने मकड़ी के जाले के रूप में प्रतीत होता है। इस विशाल डायल (Dial) के केंद्र में एक छेद है, जो ध्रुव तारे का प्रतिनिधित्व करता है। इस बिंदु से 27 डिग्री नीचे एक घुमावदार रेखा पूर्व से पश्चिम की ओर खींची गई है, जो जयपुर के क्षितिज का प्रतिनिधित्व करती है। आंचलिकता, ऊँचाई और व्युत्पन्न मात्राओं की एक बड़ी संख्या के विभिन्न उपाय हैं। इसकी स्थापना के बाद से यह तरेक्सा काफी महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग साल में एक बार हिन्दू कैलेंडर की गणना के लिए किया जाता है।

सन्दर्भ:-
1.
https://www.flickr.com/photos/achintyas_eye_view/4426046457
2. https://insa.nic.in/writereaddata/UpLoadedFiles/IJHS/Vol32_3_3_YOhashi.pdf
3. https://bit.ly/2HsOeux



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id