हम अपने जीवन में ऐसी बहुत सी वस्तुएं प्रयोग में लाते हैं जो कि पृथ्वी के गर्भ से निकली हुयी होती हैं। ऐसी वस्तुओं को हम तत्व कहते हैं। सम्पूर्ण पृथ्वी पर लाखों तत्व पाए जाते हैं जो कि पृथ्वी के गर्भ में समाहित हैं। ये तत्त्व पृथ्वी पर करोड़ो वर्षों की लम्बी प्रक्रियाओं से बने हैं।
पृथ्वी शुरूआती दौर में एक आग का उफनता हुआ गोला थी। आज भी हम जब आसमान में देखते हैं तो कई टूटते तारे हमें दिखाई देते हैं। उसी प्रकार से जब पृथ्वी का निर्माण हो रहा था तब इसपर कई उल्कापिंडों (टूटते तारों) का टकराव हुआ। इस प्रक्रिया ने पृथ्वी पर कई विशाल गड्ढों का निर्माण कर दिया और साथ ही साथ यह अपने साथ तत्त्वों की एक लम्बी फेहरिस्त लायी। पृथ्वी के निर्माण के लिए बिग बैंग (Big Bang) सिद्धांत को पढ़ा जा सकता है जहाँ पर पृथ्वी के निर्माण की पूरी प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। तत्वों का पृथ्वी के वर्तमान स्वरूप में एक महत्वपूर्ण योगदान है तथा यदि आज के युग में रेल व्यवस्था यदि इस तेज़ी से चालू है तो इसमें लोहे का एक महत्वपूर्ण स्थान है (लोहा एक तत्त्व है)।
ऊपर दिया गया चित्र प्रथ्वी की ओर आते हुए एक उल्का पिंड को प्रदर्शित कर रहा है।अब यदि पूर्ण रूप से इस बिंदु पर नज़र फेरी जाए तो तत्त्वों का पृथ्वी पर पाया जाना और उनका निर्माण किस प्रकार से हुआ इस बात का पता चलता है। हमारा ब्रह्माण्ड विभिन्न तत्वों के मिलन से बना है जिसको हम यौगिक कहते हैं। एक शुद्ध तत्त्व पूर्ण रूप से मिलते-जुलते अणुओं से बनता है। वर्तमान काल में यदि तत्वों की श्रेणी देखें तो 116 प्रकार के तत्वों का लेखा जोखा प्राप्त होता है जिसमें से 90 ऐसे हैं जो की प्राकृतिक हैं बाकि के अन्य 26 प्रयोगशाला में तैयार किये गए तत्त्व हैं। बिग बैंग सिद्धांत की मानें तो यह प्रक्रिया करीब 1400 करोड़ साल पहले हुयी थी। उस समय अत्यंत ही हल्के तत्वों की संरचना हुयी थी, ये थे हाइड्रोजन (Hydrogen), हीलियम (Helium), लिथियम (Lithium) और बेरिलियम (Beryllium)। इन 4 तत्वों के अलावा बाकी के 86 तत्त्व प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं जो कि विभिन्न परमाणु विस्फोटों, उल्कापिंडों आदि के टक्कर से पैदा हुए हैं।
ब्रह्माण्ड में उपस्थित विभिन्न तारों में अलग-अलग तत्त्व पाए जाते हैं जो कि मृत होने के बाद अपनी कक्षा से हट जाते हैं और विभिन्न ग्रहों पर गिरते हैं। ऐसे ही तारों के गिरने से भी पृथ्वी पर विभिन्न तत्वों का पाया जाना संभव हो सका। तारों के मृत होने का सबसे मूल-भूत कारण है उनमें हाइड्रोजन का लोप हो जाना। हाइड्रोजन के ख़त्म हो जाने पर तारे मृत हो जाते हैं। जब तारे मृत होकर अपनी कक्षा से दूर जाते हैं तब वो एक लाल गोले का रूप ले लेते हैं और उनमें कई परमाणु प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं और ऐसे स्तर पर निर्मित होने वाले तत्व ऑक्सीजन (Oxygen) से लोहे तक हो सकते हैं। सुपरनोवा (Supernova) के दौरान तारा बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता है और साथ ही साथ न्यूट्रॉन (Neutron) भी उत्पादित करता है, जो कि लोहे से भी बड़े तत्वों को जन्म देता है जैसे कि यूरेनियम (Uranium) और सोना आदि। हमारी पृथ्वी के गर्भ में कई मृतक तारों के केंद्र उपस्थित हैं जो कि ऐसे तत्वों के भण्डार हैं।
ऊपर दिया गया चित्र दो उल्का पिंडो के टकराव का है।रामपुर उत्तर प्रदेश का एक जिला है जहाँ पर पृथ्वी के निर्माण के बाद हुए समुद्रों के निर्माण के समय पर टेथिस नामक महासागर हुआ करता था। यह सागर हिमालय के निर्माण और पृथ्वी के गर्भ में हुए टेक्टोनिक प्लेटों (Tectonic Plates) के खिसकने से समतल हो गया। वर्तमान काल में रामपुर में बालू और नमक पाया जाता है जो कि उन्हीं मृतक तारों से हुई प्रतिक्रियाओं का असर है। ये खनिज यहाँ की नदियों और तालाबों आदि के क्षेत्रों में पाए जाते हैं। प्रारंग के कुछ अन्य लेखों में इन पर पहले भी लिखा जा चुका है जिनको नीचे दिए गए लिंक में देखा जा सकता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2GhNb09
2. https://www.sciencelearn.org.nz/resources/1727-how-elements-are-formed
3. https://sciencing.com/elements-formed-stars-5057015.html
4. https://rampur.prarang.in/posts/632/When-Rampur-was-on-the-seashore
5. https://rampur.prarang.in/posts/847/postname
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/7/7c/EtaCarinae.jpg
2. https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/d/d8/HyperNova1_LG.jpg
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