विश्व के इतिहास में भाप चालित इंजन का अविष्कार एक सबसे बड़ी उपलब्धि थी। जिसने वर्तमान समय में बनाए जाने वाले विभिन्न इंजनों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। भारत में एक विशाल रेलवे संजाल है, जहां रोज लाखों यात्री यात्रा करते हैं। भारतीय रेलवे अभी मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों का परिचालन करता है। भारत में पहला भाप इंजन या लोकोमोटिव (locomotive) रेड हिल्स रेलवे (Red Hill Railway) (आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित सड़क निर्माण के लिए ग्रेनाइट का परिवहन करने हेतु) 1837 में मद्रास के चिन्टद्रिपेट पुल से लाल पहाड़ी तक चला।
उन्नीसवीं शताब्दी की भारतीय रेलवे कंपनियों ने आमतौर पर ब्रिटिश निर्माताओं से कस्टम-निर्मित लोकोमोटिव बनाने का आदेश दिया। 1890 के दशक के दौरान, ब्रिटिश निर्माता अन्यत्र व्यस्त थे, जिसके चलते भारतीय रेलवे ने जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका को लोकोमोटिव के निर्माण हेतु एक विकल्प के रूप में चुना। द टाइम्स एंड पार्लियामेंट के कटाक्ष के बाद, ब्रिटिश इंजीनियरिंग स्टैंडर्ड्स कमेटी (British Engineering Standards Committee) (बाद में ब्रिटिश इंजीनियरिंग स्टैंडर्ड्स एसोसिएशन (British Engineering Standards Association)) ने भारतीय रेलवे के लिए लोकोमोटिव की एक श्रृंखला डिजाइन करना शुरू किया। पहले दो डिजाइन (4-4-0 यात्री और 0-6-0 माल) 1903 में आये। उन्हें 1905 और 1906 में अतिरिक्त भारी, अधिक शक्तिशाली इंजनों के साथ संशोधित किया गया था। आगे चलकर संपूर्ण भारत के लिए विभिन्न लोकोमोटिव इंजन तैयार किए गए, जिन्हें भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रयोग में लाया गया। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. 6 ट्न स्टीम क्रेन टैंक लोकोमोटिव (6 Ton Steam crane tank Locomotive) – अवध और रोहेलखण्ड रेलवे
2. पैसेंजर इंजन एंड टेंडर (Passenger Engine and tender)- ग्रेट इंडियन पेनेन्स्यूला रेलवे (great Indian peninsula railway)
3. स्टैंडरड पैसेंजर इंजन एंड टेंडर (Standard Passenger Engine and tender)- उत्तरी पश्चिमी रेलवे रेलवे (North western railway)
4. स्टैंडरड गुड्स इंजन एंड टेंडर (Standard Goods Engine and tender)-(अवध और रोहेलखण्ड रेलवे)
5. बोगी पैसेंजर इंजन एंड टेंडर (Bogie Passenger Engine and tender)- ग्रेट इंडियन पेनेन्स्यूला रेलवे(great Indian peninsula railway)
6. स्टैंडरड टैंक इंजन (Standard Tank engine)- ईस्ट इंडिया रेलवे (East India railway)
7. गुड्स इंजन एंड टेंडर (Goods Engine and Tender)-ग्रेट इंडियन पेनेन्स्यूला रेलवे(great Indian peninsula railway)
8. ऑयल फायर्ड पास पैसेंजर इंजन एंड टेंडर (Oil Fired Pass Passenger Engine and tender)- ग्रेट इंडियन पेनेन्स्यूला रेलवे(great Indian peninsula railway)
अवध और रोहिलखंड रेलवे उत्तर भारत में एक व्यापक रेलवे संजाल है। इसकी स्थापना 1872 में भारतीय शाखा रेलवे कंपनी की संपत्ति और सरकार की गारंटी के साथ हुई, जिसका मुख्यालय लखनऊ में स्थित है। इस कंपनी ने उत्तर रेलवे का व्यापक विस्तार किया किया। अवध और रोहिलखंड रेलवे के लिए एक विशेष इंजन बनवाए गए। अवध और रोहेलखण्ड रेलवे के विषय में हम अपनी पिछली लेख में लिख चुके हैं, जिसे पढने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें - अवध और रोहिलखंड रेलवे का इतिहास। अवध और रोहेलखण्ड रेलवे के लिए शीघ्रचालित लोकोमोटिव क्रेन टैंक का निर्माण वल्कन लोकोमोटिव वर्क्स (VALCAN LOCOMOTIVE WORKS) द्वारा किया गया था।
वल्कन फाउंड्री को 1832 में चार्ल्स टेलेर एंड कंपनी (Charles Tayleur and Company) के रूप में खोला गया, जिसका उद्देश्य लीवरपूल और मैनचेस्टर रेलवे (Liverpool and Manchester Railway) के उद्घाटन के बाद पुल, स्विच (switches) और क्रॉसिंग (crossings) और अन्य लोहे के काम के लिए गर्डर्स (girders) बनाना था। 1847 में यह कंपनी द वल्कन फाउंड्री कंपनी (The Vulcan Foundry Company) बन गयी थी। आगे चलकर इसने विश्व के अधिकांश रेलवे के लिए लोकोमोटिव इंजन बनाए, जिसमें भारतीय रेलवे भी शामिल था। 1852 में इसने ग्रेट इंडियन पेनेन्स्यूला रेलवे में चलने वाले पहले लोकोमोटिव इंजनों की आपूर्ति की। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तथा उसके बाद भी इसने भारत के लिए इंजन आपूर्ति को सुचारू रखा। किंतु द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद तक इसके लिए अंतराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी, अब तक भारत ने भी अपने इंजनों के निर्माण की क्षमता विकसित कर ली थी।
कंपनी के पास डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन दोनों को बनाने का अनुभव था, इसने 1929 में भारत के लिए इकतीस तथाकथित "क्रोकोडाइल" (Crocodile) 2600 hp 1,500 V DC इलेक्ट्रिक बैंकिंग लोकोमोटिव (electric banking locomotive) बनाए। वल्कन फाउंड्री से एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन को भारत के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली में रखा गया है। भारत के प्रारंभिक भापचालित लोकोमोटिव को अब कुछ विश्व धरोहर स्थलों पर संचालित किया जाता है या कभी-कभी इन्हें विरासत ट्रेनों के रूप में भी चलाया जाता है।
संदर्भ:
1. https://www.flickr.com/photos/124446949@N06/40033372743/in/album-72157706557732174/
2. http://enuii.com/vulcan_foundry/page73s.jpg
3. https://www.wikiwand.com/en/Locomotives_of_India
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Vulcan_Foundry
5. https://rampur.prarang.in/posts/1739/history-of-awadh-and-rohilkhand-railway
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