आड़ू की खेती हो सकती है रामपुर के किसानों के लिए लाभदायक

रामपुर

 08-07-2019 11:42 AM
साग-सब्जियाँ

गर्मियों का मौसम अधिकांश फलों जैसे-आम, लीची, अंगूर, तरबूज, खरबूज, आड़ू इत्‍यादि के लिए आदर्श माना जाता है। प्रत्‍येक फल का अपना एक विशेष म‍हत्‍व होता है, इनकी उत्‍पादन प्रक्रिया और व्‍यवसायिक लाभ का स्‍तर भी भिन्‍न-भिन्‍न होता है। कुछ क्षेत्रों का अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण किसी फल विशेष के उत्‍पादन में महत्‍वपूर्ण स्‍थान होता है। हमारा रामपुर शहर भी अपने आड़ू उत्‍पान के लिए पूरे उत्‍तर भारत जाना जाता है। फाइबर (Fibre), विटामिन ए (Vitamin A), विटामिन सी (Vitamin C) और प्रोटीन (Protein) का प्रमुख स्‍त्रोत आड़ू मुख्‍यतः वृक्षों में लगने वाला फल है। चेरी, पूलम, खुबानी की ही भांति आड़ू एक बीजपत्री फल है, जिसका रंग प्रायः लाल, सफेद और बैंगनी होता है।

आड़ू का वैज्ञानिक नाम प्रूनस पर्सिका (Prunus persica) है, जो फारस (वर्तमान ईरान) को इंगित करता है, जहां से इसे यूरोप (300 ईसा पूर्व) ले जाया गया था। किंतु यह मूलतः चीन और दक्षिण भारत से संबंधित है, 140-88 ईसा पूर्व में, इसे रेशम मार्ग के माध्यम से फारस ले जाया गया। चीन में जहां यह 6000 ईसा पूर्व से वर्चस्व में था, वहीं भारत में भी हड़प्‍पा सभ्‍यता से इसके साक्ष्‍य प्राप्‍त हुए हैं। इसे प्रायः भगवान के फल के रूप में भी जाना जाता है।

आड़ू की खेती की प्रक्रिया एवं इससे संबंधित कुछ आवश्‍यक बिंदु:
1. आड़ू की खेती के लिए जैविक रूप से समृद्ध गहरी रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्‍यकता होती है। इसकी फसल के लिए एक अच्छी आंतरिक जल निकासी की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए, क्योंकि पानी का ठहराव इसकी फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

2. आड़ू के प्रकंद (Rootstock) को विकसित करने के लिए बीजों का उपयोग किया जाता है। बीजों को स्‍तरीकरण के लिए 3 महीने तक रेत (नम स्थिति) में रखा जाना चाहिए। इसके पौधों की रूपाई के लिए उपयुक्‍त समय जून से अगस्त के मध्‍य होता है। रूपाई के बाद इसमें तुरंत पानी की आवश्‍यकता होती है, जिसके लिए ड्र‍िप सिंचाई प्रणाली एक अच्‍छा विकल्‍प है। इसके साथ ही पौधों को पर्याप्‍त सूर्य के प्रकाश की आवश्‍यकता भी होती है।

3. एक आड़ू के वृक्ष में पर्याप्‍त कटाई छंटाई करना अनिवार्य है, ताकि वे आने वाली फसल में अच्‍छी उपज दें। नए लगाए गए आड़ू के पेड़ों को लगभग 35 इंच की ऊँचाई तक काट देना चाहिए। अक्टूबर महीने का अंतिम सप्ताह में इनकी छंटाई की जानी चाहिए।

4. आड़ू की खेती में खाद के साथ पोटाश की म्‍यूरिएट (Muriate Of Potash) और सिंगल सूपर फॉस्‍फेड (Single super Phosphate) का उपयोग लाभदायक होता है। आड़ू की कोंपल आ जाने के 2 सप्‍ताह के भीतर इसमें यूरिया का छिड़काव कर देना चाहिए।

5. पर्ण कुंचन आड़ू के वृक्ष में होने वाली प्रमुख बिमारी है, यह बिमारी सीधे फसल में प्रभाव नहीं डालती किंतु उपज को कम कर देती है।

6. आड़ू के लिए उप उष्णकटिबंधीय मौसम की आवश्‍यकता होती है, इसलिए इसका उत्‍पादन मुख्‍यतः भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में किया जाता है। जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश भारत के प्रमुख आड़ू उत्‍पादक राज्‍य हैं। इसके साथ कुछ दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्रों में भी आड़ू का उत्‍पादन किया जाता है। भारत में बागवानी विभाग द्वारा 1955 में पहला प्रायोगिक आड़ू बाग लगाया गया था। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में हर साल 5 करोड़ रुपये के आड़ू का उत्पादन किया जाता है।

7. एक आड़ू का वृक्ष लगभग 12 वर्ष तक फल देता है तथा फसल देने के दौरान इसे गर्म तापमान की आवश्‍यकता होती है। आड़ू की फसल को मई से सितंबर माह के मध्‍य में निकाला जाता है। एक दो से तीन वर्ष पुराना वृक्ष लगभग 20 से 25 किग्रा फल दे देता है।

विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के कारण आज बाजार में आड़ू की मांग बढ़ती जा रही है :
• आड़ू आंखों और त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने में सहायता करता है।
• आड़ू में उपस्थित उच्च फाइबर (fiber) सामग्री वजन कम करने में सहायता करता है।
• आड़ू कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है।
• आड़ू उच्च कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को नियंत्रित कर सकता है।
• आड़ू हृदय को स्‍वस्‍थ रखने में भी सहायता करता है।

रामपुर के किसान भी एक आड़ू की खेती में कुशल प्रबंधन के माध्‍यम से अपनी उपज में वृद्धि कर आवश्‍यक लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। भारत अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण विभिन्‍न फल सब्जियों के उत्‍पादन हेतु एक अनुकूलित वातावरण उपलब्ध कराता है। हालांकि, यह फलों और सब्जियों की खेती में होने वाले लाभ का पूरी तरह से फायदा नहीं उठा सका है। किंतु वर्तमान में विभिन्‍न तकनीकी परिवर्तन के माध्‍यम से कृषि प्रणाली में सुधार किए जा रहे हैं।

संदर्भ :
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Peach
2. https://www.asiafarming.com/peach-fruit-cultivation-india-growing
3. https://www.agrifarming.in/peach-fruit-farming
4. https://www.commodityonline.com/market-place/reports/peach/114
5. http://www.evetconnect.org/upload/uploadfiles/files/peach.pdf
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pixabay.com/photos/peach-fruit-fruits-peach-tree-bio-2632182/
2. https://pixabay.com/photos/apricots-sugar-apricots-peach-fruit-2527193/



RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id