शायरी जगत के शहंशाह मिर्जा ग़ालिब की शायरियों से शायद ही कोई अछूता रहा होगा। ग़ालिब आज से लगभग दो सदी पहले अपनी शायरियों में मानव जीवन की उन हकीकतों को बयां कर गए जो सौ सदी बाद भी एक समान रहने वाली हैं। अकबराबाद (अब आगरा) में जन्में मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” (1797-1869) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। उर्दू भाषा और फ़ारसी कविता को हिन्दुस्तानी ज़ुबां में लोकप्रिय बनाने का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है। विश्व भर में प्रसिद्ध शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का रामपुर शहर से गहरा नाता रहा है। उन्होंने रामपुर में काफी समय गुज़ारा और यहां के दो नबावों के उस्ताद भी रहे। ग़ालिब के साहित्यों को आज भी रज़ा पुस्तकालय में संजोकर रखा गया है। ग़ालिब के जीवन का संक्षिप्त परिचय हम अपने एक लेख में दे चुके हैं।
ग़ालिब की रचनाओं का अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया। अमेरिकी साहित्य जगत में भी इन्हें स्थान दिया गया। अंग्रेज़ी भाषा में इंडो-इस्लामिक कविताओं के अनुवाद की शुरूआत 19वीं शताब्दी में हुयी जब अंग्रेज़ी अनुवादक एडवर्ड फिट्ज़जेराल्ड ने पहली बार उमर खय्यम की रूबाइयों का अनुवाद किया। 20वीं शताब्दी तक ग़ालिब की गज़लों का अमेरिकी कविताओं में प्रवेश हो गया था। 1969 में ग़ालिब की शताब्दी वर्षगांठ पर, न्यूयॉर्क में रहने वाले पाकिस्तानी आलोचक, ऐजाज़ अहमद ने ग़ालिब की ग़ज़लें प्रकाशित कीं और अमेरिकी जनता को उनकी अतुलनीय कृति से परिचित कराया। ऐजाज़ अहमद का जन्म (1932 में) अविभाजित भारत (उत्तर प्रदेश) में हुआ जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। इन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से एक ‘ग़ालिब की गज़ल’ (Ghazals of Ghalib-2000) थी।
वे ग़ालिब को समय, स्थान और सभ्यताओं की सीमाओं से परे, सर्वत्र फैलाना चाहते थे। अहमद ने अमेरिकी अनुवादकों और कवियों जैसे एड्रिएन रिच, डब्लू.एस. मर्विन, डेविड रे, मार्क स्ट्रैंड और विलियम हंट को सम्मानित करने के लिए ग़ालिब की ग़ज़लों के शाब्दिक अनुवाद और नोट्स (Notes) दिए और कहा कि जो भी अनुवाद पद्धति उन्हें अच्छी लगे, वे उसे चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। अहमद का प्रमुख उद्देश्य सिर्फ ग़ालिब को पश्चिम में लोकप्रिय बनाना था, न कि ग़ज़ल के औपचारिक ढाँचे का पालन करना। इसलिए उन्होंने मुक्त छंद का प्रयोग किया। इस कारण पुस्तक में प्रतिक्रियाओं की बहुलता थी क्योंकि इसमें एक ही ग़ज़ल का अनुवाद कई कवियों ने किया था।
ग़ालिब की कुछ अनुवादित गज़लें इस प्रकार हैं जिन्हें अलग-अलग कवियों द्वारा अनुवादित किया गया है:
वहशत-ए-आतिश-ए-दिल से शब-ए-तनहायी में
सूरत-ए-दूद रहा साया गुरेज़ां मुझ से
In the lonely night because of the anguish
of the fire in my heart
the shadow slipped from me like smoke
(WS Merwin)
Through the bonfire my grief lit in that darkness
the shadow went past me like a wisp of smoke
(Adrienne Rich)
That lonely night fire inhabited my heart
And my shadow drifted from me in a thin cloud of smoke.
(Mark Strand)
अहमद के दृष्टिकोण पर कई सवाल उठाए गए किंतु फिर भी एड्रिएन रिच, फीलिस वेब और जॉन हॉलैंडर जैसे कवियों ने ग़ज़ल शैली को लेकर अंग्रेज़ी में गज़ल लिखना शुरू कर दिया और 1970 के दशक की नारीवादी विषय और युद्ध विरोधी भावनाओं को भी अपनी गज़ल में शामिल कर लिया। जब तक 1990 के दशक में, आगा शाहिद अली ने अमेरिका में, फिर से ग़ज़ल लेखन को न बदला तब तक अमेरिका में गज़ल, कविता का एक प्रमुख रूप बन गई थी। 50 साल पहले ग़ालिब की ग़ज़लों के प्रकाशन के बाद से, उनकी कविता के प्रति लोगों की रुचि तीव्रता से बढ़ी। गालिब के विचारों और उनके दु:ख को अभिव्यक्त करने की कला ने उनकी रचनाओं को आज भी लोगों के मध्य काफी लोकप्रिय बना रखा है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2N8bU97
2. https://www.hindi-kavita.com/HindiPoetryMirzaGhalib.php
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Aijaz_Ahmad
4. https://www.amazon.com/Ghazals-Ghalib-Aijaz-Ahmed/dp/B003FCVCFM
5. http://modampo.blogspot.com/2010/06/aijaz-ahmads-ghazals-of-ghalib.html
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