भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 17% भाग उत्तर प्रदेश में ही निवास करता है, जो भारत का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य भी है। यह औद्योगिक दृष्टि से भी एक प्रबल राज्य है, यहां उद्योगों की संख्या लगभग 10,600 है, जो कुल भारतीय उद्योगों का 7% है। पर्याप्त औद्योगिक क्षमता के बावजूद भी उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विनिर्माण में कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं दे पा रहा है। इसकी सबसे बड़ी समस्या विषम औद्योगिकीकरण है। 1999-2000 के दौरान 87% विनिर्माण उत्पादन 23 जिलों से तथा 45 जिलों से मात्र 13% विनिर्माण उत्पादन हुआ। साथ ही राज्य के सबसे अधिक उत्पादक जिले राष्ट्रीय राजधानी के करीब राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित हैं।
उत्तर प्रदेश के उप-क्षेत्र में, प्रति श्रमिक निवेश और मेहनताना की मात्रा पश्चिमी क्षेत्र से उच्चतम है, जबकि प्रति इकाई निवेश में मूल्यवर्धन केंद्रीय और पूर्वी क्षेत्रों में अधिक है। मध्य, पूर्वी और बुंदेलखंड के क्षेत्रों में श्रमिक की लागत लगभग समान है। हालांकि, पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में श्रमिक नियोजन कम है। उत्तर प्रदेश के मुख्य उद्योगों में से एक खाद्य उद्योग है, जिनमें चीनी उद्योग सबसे ज्यादा व्यापक रूप से फैला है। उत्तर प्रदेश का देश के चीनी उत्पादक राज्यों में दूसरा स्थान है। इसके बावजूद भी चीनी उद्योग अलौह धातुओं की तुलना में देश के कुल सकल मूल्य वर्धित (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड/Gross Value Added) में कोई विशेष योगदान नहीं दे रहा है।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मौजूदा विनिर्माण गतिविधियां उच्च रोजगार उत्पन्न करने में सक्षम नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में पूंजी अन्य राज्यों की तुलना में इतनी उत्पादक नहीं है, इसलिए, मूल्य वृद्धि को बढ़ाने और अधिक रोजगार उत्पन्न करने के लिए कारखाने की संरचना को बदलने हेतु प्रचार रणनीतियों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सब्सिडी (Subsidy) वाली बिजली से लेकर फिल्म शहरों के निर्माण को राजकोषीय प्रोत्साहन देने तक की औद्योगिक नीति की घोषणा की है। उद्योगों के विकास के लिए, नीति ने एक रोडमैप तैयार किया, जिसमें भूमि बैंक बनाना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आई.) को आकर्षित करने के लिए देश-विशेष औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देना और लखनऊ-कानपुर, कानपुर-इलाहाबाद और वाराणसी के आसपास निजी औद्योगिक पार्क स्थापित करने में मदद करना शामिल है। सूचना प्रौद्योगिकी, आईटीईएस (ITES), इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) विनिर्माण, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी (Dairy), हरित ऊर्जा, हथकरघा, कपड़ा और पर्यटन क्षेत्र को भी ध्यान में रखा जाएगा। सरकार उत्तर प्रदेश को निवेश गंतव्य के रूप में पेश करने के लिए वैश्विक निवेशक सम्मलेन (Global Investors Summit) आयोजित करने की भी योजना बना रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ज़ोर दे रही है:
1. सुविधाजनक प्रशासनिक प्रणाली बनाना
2. उद्योगों की स्थापना में लगने वाले समय को कम किया जाए
4. अधिकारीयों के साथ आने वाले अवरोधों को दूर किया जाए
5. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बुनियादी ढांचा प्रदान किया जाए
6. व्यवसाय के संचालन में अनुपयोगी उद्योगों को हटाया जाए
निवेश के लिए प्रोत्साहन देने हेतु सरकार द्वारा निम्न कदम उठाए जा रहे हैं:
1. अधिकांश पिछड़े क्षेत्रों में नई इकाइयों के लिए निर्धारित पूंजी निवेश पर 20 प्रतिशत की सब्सिडी
2. कम पिछड़े क्षेत्रों में नई इकाइयों के लिए निर्धारित पूंजी निवेश पर 15 प्रतिशत की सब्सिडी
3. न्यूनतम पिछड़े क्षेत्रों में नई इकाइयों के लिए निर्धारित पूंजी निवेश पर 10 प्रतिशत की सब्सिडी
4. दबाव वाले क्षेत्रों में 5 वर्षों के लिए लक्जरी कर (Luxury Tax) पर छूट
5. संयंत्र, मशीनरी (Machinery) और निर्माण सामग्री जैसी नई इकाइयों के लिए स्थानीय कर पर 5 वर्षों के लिए छूट
6. बंद अवधि के दौरान निर्बल इकाइयों को न्यूनतम बिजली मांग शुल्क में छूट
7. तारांकित होटलों के लिए बाजार की कीमतों में 20 प्रतिशत पर भूमि
8. एन.आर.आई. उद्यमियों के लिए बिजली, इक्विटी (Equity) भागीदारी और अन्य सहायता सहित विशेष प्रोत्साहन
संदर्भ:
1. http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/upsdr/vol-1/chap%201.pdf
2. https://www.ibef.org/download/uttarpradesh.pdf
3. https://bit.ly/2LOacNb
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