आज समाज का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो, जो आधुनिक तकनीक से अछूता रह गया हो। तकनीक का काफी ज्यादा प्रभाव हस्तकला पर भी पड़ा है। कढ़ाई भी ऐसी ही हस्तकलाओं में से एक है, जिसमें अब 3-डी तकनीक के प्रयोग के माध्यम से नित नये डिज़ाइन (Design) तैयार किये जा रहे हैं। क्या रामपुर, जहां लगभग आधी कामकाजी आबादी कढ़ाई पर निर्भर है, इस नए चलन का अनुसरण कर रही है या कर सकती है?
फोम (foam) के माध्यम से 3-डी प्रिंटिंग (3-D Printing) कढ़ाई करना विश्व भर में कढ़ाई के क्षेत्र में एक नवीनतम तकनीकी है। फोम कढ़ाई में शामिल तकनीक और ऐप्लीक (Appliqué) की तकनीक काफी हद तक एक समान हैं। बस इसमें केवल इतना ही अंतर है कि फोम कढ़ाई में, उच्च घनत्व वाली साटन सिलाई को शामिल करना अनिवार्य होता है। फोम की कढ़ाई करते समय इस बात को ध्यान में रखना अधिक महत्वपूर्ण है कि किस तरह के फोम का उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिलाई करने के बाद अतिरिक्त फोम को हटाना पड़ता है। यदि फोम कठोर हुआ तो उससे अतिरिक्त फोम को निकालना काफी मुश्किल हो सकता है। जहां तक फोम के रंग की बात की जाए तो ऐसे रंगों का चयन करना उचित होता है जो कढ़ाई के धागों के अनुकूल हों। हमेशा ध्यान रखें कि ऐसे फोम का उपयोग ना करें जो धागों के रंगों से मेल ना खाते हों। कढ़ाई डिजिटाइजिंग (Digitizing) के लिए फोम का चयन करते समय इस चीज का अवश्य ध्यान रखें कि फोम धुलाई योग्य है या नहीं। हालांकि फोम कढ़ाई को ज्यादातर टोपियों पर किया जाता है, जिन्हें अक्सर धोया नहीं जाता है। फोम कढ़ाई डिजाइनों को उभार देती है।
ऊपर दिया गया चित्र एक टोपी के ऊपर उकेरी गयी 3-डी कढ़ाई का है।मार्शमैलो (Marshmallow) प्रभाव फोम कढ़ाई का एक लोकप्रिय रूप है। इसका उपयोग आमतौर पर टोपियों में किया जाता है, क्योंकि फोम को ज्यादा धोने पर उसका आकर्षण कम हो जाता है। मार्शमैलो प्रभाव कढ़ाई के डिज़ाइन को उभरा हुआ रूप देता है।
कढ़ाई को डिजिटाइज़ करने के लिए निम्न कुछ तरीके हैं:
• सर्वप्रथम कारीगर ग्राहक द्वारा प्रदान किए गए डिज़ाइन को डिजिटाइज़ करते हैं।
• इसके बाद जहां फोम कढ़ाई करनी होगी वहां सिलाई की मदद से प्लेसमेंट गाइड (Placement guide) को आकृति के भीतर-भीतर उकेरा जाता है।
• इसके बाद, फोम को प्लेसमेंट गाइड पर रखा जाता है।
• इसमें फोम को स्थिर रखने के लिए टांके भी लगाए जाते हैं, वहीं साथ ही डिजाइनर फोम में कढ़ाई करता है।
• अब पतले-पतले डिज़ाइन वाले हिस्से को डिजिटाइज़ किया जाता है ताकि प्रक्रिया के अंत में अतिरिक्त फोम को आसानी से हटाया जा सके।
• फिर आगे एक ज़िगज़ैग (Zigzag) सिलाई की जाती है ताकि फोम पर हल्का-सा दबाव दिया जा सके।
• अंतिम चरण में साटन से की गई सिलाई को डिजिटाइज़ किया जाता है। इस चरण में, साधारण कढ़ाई की सिलाई की तुलना में घनत्व को 40 से 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जाता है।
3-डी प्रिंटिंग कढ़ाई के मूल्य का निर्धारण प्रति 1000 टांके के आधार पर किया जाता है जिसे सिलाई गणना मूल्य संरचना कहा जाता है। सरल अथवा जटिल, हर प्रकार की कलाकृति के लिए सिलाई की गणना पर आधारित मूल्य सबसे अच्छा होता है। वैसे तो रामपुर में अभी तक 3-डी प्रिंटिंग का विकल्प मौजूद नहीं है, लेकिन दिल्ली और नोएडा में कुछ जगहों में आभूषणों पर 3-डी प्रिंटिंग लगभग 300-500 रूपए प्रति ग्राम में करवाई जा सकती है।
रामपुर के अधिकांश कारिगरों को 3 डी प्रिंटिंग के बिना सामान्य फोम की कढ़ाई तो आती ही होगी, लेकिन अपनी इस कला में महारथ बढ़ाने के लिए आप सामान्य फोम कढ़ाई की तकनीक को इस लिंक पर जा कर सीख सकते हैं।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2UTAoWc
2. https://www.absolutedigitizing.com/embroidery-digitizing/
3. https://www.quora.com/What-is-the-cost-of-3D-printing-service-in-Delhi
4. https://www.emblibrary.com/EL/ELProjects/Projects.aspx?productid=PR1143
चित्र सन्दर्भ :-
1. https://wilcominternational.files.wordpress.com/2012/07/vanneste-tm4050-031.jpg
2. https://www.printful.com/design-your-own-hat
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