आधुनिक तौर पर एक चारदीवारी समुदाय (या दीवारों वाला समुदाय) आवासीय समुदाय या आवासीय संपत्ति का एक प्रकार है, जिसमें पैदल यात्री, साइकिल और मोटर गाडी के नियंत्रित प्रवेश द्वार लिए और अक्सर दीवारों की एक बंद परिधि होती है। इस तरह के चारदीवारी समुदाय , जिनमें आमतौर पर छोटी आवासीय सड़कें शामिल होती हैं और विभिन्न साझा सुविधाएं शामिल होती हैं तथा छोटे समुदायों के लिए, इन सुविधाओं में केवल एक पार्क या अन्य सामान्य क्षेत्र शामिल होते है। चौकीदार की सेवाओं के अलावा, कई चारदीवारी समुदाय अन्य सुविधाएं भी प्रदान करती है। ये भौगोलिक स्थिति, जनसांख्यिकीय संरचना, सामुदायिक संरचना और एकत्र की गई सामुदायिक फीस सहित कई कारक इसमे शामिल होते है।
भारत में, बड़े शहरों में कई चारदीवारी पड़ोस (नई दिल्ली में "कॉलोनी" भी कहा जाता है) होते है जहां ज्यादातर उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोग रहते हैं। नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलौर जैसे शहरों में चारदीवारी समुदाय है। कभी-कभी इन समुदायों को न केवल धन से, बल्कि जातीयता से भी अलग किया जाता है। एक विशेष जातीयता के सदस्य आम त्योहारों, भाषा और भोजन से संबंधित कारणों से अपने जाति के लोगों के बीच रहने में अधिक सहज महसूस करते हैं। इसके उदाहरण नई दिल्ली में आम हैं जहां एक मजबूत पंजाबी समुदाय है। इसी तरह, बंगाली, दक्षिण भारतीय, मुस्लिम और गुजराती इलाके भी मौजूद हैं। आजकल कई आधुनिक चारदीवारी समुदायों को विकसित किया जा रहा है जैसे महाराष्ट्र में आमबी वैली सिटी(Aamby valley city) और लवासा सिटी(Lavasa City) 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं। अब चारदीवारी समुदायों को चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर में बहुत सारे रियल एस्टेट डेवलपर्स(Real Estate Developers) द्वारा बनाया जा रहा है।
कई सामाजिक विकास के अंतर को महसूस करते हुए कई डिवेलपर्स(developers) आवासीय परियोजनाओं को बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो चार दीवारों के दायरे से परे हटकर तथा समुदाय के पुराने आकर्षण को फिर से जीवित कर रहा हैं। हम कह सकते हैं कि चारदीवारी सामुदायिक परियोजनाएं यहां लंबे समय तक रहने के लिए हैं। प्रौद्योगिकी रूप में देखे तो , गृह सुरक्षा, स्वचालन और ग्राहक सेवाओं के क्षेत्र में प्रतिदिन विकास देखने को मिलता है । पड़ोसी देशों की तरह इन हाउसिंग सोसाइटियों (Housing Societies) का लक्ष्य भी ऊपरी-मध्यम या उच्च वर्ग के नागरिकों की ओर झुकाव ज्यादा रहता है । रियल एस्टेट(Real Estate) उद्योग में जाति और धार्मिक भेदभाव प्रचलित है।
यदि हम रामपुर की बात करे तो यह भी अन्य पुराने शहरों की ही तरह एक चारदीवारी वाला शहर था जिसमे प्रवेश के लिए फाटक थे । लेकिन पुराने फाटकों को ध्वस्त कर दिया गया और नए (मानव रहित और बिना दीवारों के - केवल प्रतीकात्मक) दरवाज़ों का निर्माण उनकी जगह किया गया है। परन्तु हाल ही में उन्हें भी ध्वस्त किया गया है।
अंत में "अजीब" वास्तुकला को समाप्त करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं के साथ, चीन भी चारदीवारी समुदायों पर प्रतिबंध लगाने की उम्मीद कर रहा है। उसी निर्देश के अनुसार स्टेट काउंसिल ऑफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना(State Council of People's Republic of China) ने भी सिफारिश की है कि भविष्य में आवासीय एन्क्लेव को जनता के लिए खोला जाए। मौजूदा चारदीवारी समुदायों को भी धीरे-धीरे सार्वजनिक सड़क नेटवर्क में एकीकृत किया जाए। इससे न केवल यातायात में आसानी होगी, बल्कि इससे भूमि का बेहतर उपयोग होगा। कानूनी विशेषज्ञों और चारदीवारी समुदाय द्वारा इस योजना का विरोध किया गया है । दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चारदीवारी समुदायों के अंदर सड़के और अन्य साझा स्थान की लागत निवासियों द्वारा लगाई गयी कीमत पर निर्भर है । इसलिए उन्हें अनिवार्य रूप से निजी संपत्ति माना जाता है।
चारदीवारी समुदायों के निवासी स्वयं इस योजना के खिलाफ दृढ़ता से सामने आए हैं: समाचार पोर्टल Sina.com पर 20,000 लोगों के एक अवैज्ञानिक सर्वेक्षण में, लगभग तीन-चौथाई लोगों ने कहा कि वे चीन की नई योजना का समर्थन नहीं करते हैं। लगभग 65 प्रतिशत ने व्यक्तिगत सुरक्षा को अपनी मुख्य चिंता के रूप में उद्धृत किया । 65 प्रतिशत ने कहा कि यदि उनके द्वार जनता के लिए खोले जाते हैं, तो घर के मालिकों को कम से कम मुआवजा दिया जाना चाहिए।
आज, दुनिया भर के शहरों का मूल्यांकन उनके प्रदर्शन पर प्रेरणा, उत्पादकता में सुधार, भलाई के समर्थन और व्यक्तियों और संस्थानों को आकर्षित करने की उनकी क्षमता के रूप में किया जाता है। भारत तेजी से शहरीकरण के साथ, एकीकृत बस्ती(Township) और टिकाऊ आवास के मांग को पूरा कर सकता है, जबकि रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकता है और बड़े, अधिक भीड़ वाले शहरों को हटा सकता है।
संदर्भ:
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