1894 में रामपुर के पशुधन क्षेत्र को जूझना पड़ा था महामारी से

स्तनधारी
22-03-2019 12:00 AM
1894 में रामपुर के पशुधन क्षेत्र को जूझना पड़ा था महामारी से

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और देश के सामाजिक आर्थिक विकास में पशुधन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं पशुधन और मुर्गीपालन से उत्पादन में हो रही वृद्धि में सबसे बड़ी बाधा पशुओं में होने वाली बीमारियां होती हैं, इन रोगों की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर भारी आर्थिक नुकसान होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि रामपुर की एक बड़ी आबादी पशुधन क्षेत्र में शामिल है, वहीं आजकल इन पशुओं में कुछ बीमारियाँ बहुत तेजी से फैलती हैं।

राज्य में पशुधन में होने वाले रोगों से रामपुर कितनी बार गुजरा इसकी प्रमाणिकता का पता लगाना संभव नहीं है, लेकिन 1894 में पहली बार पशुधन रोग के बारे में मिलाक और बिलासपुर तहसील से तथ्य प्राप्त हुए थे। 1897 में विशेषकर शाहाबाद, सुआर और मिलक तहसील में पशुधनों के बीच एक गंभीर मृत्यु दर को देखा गया था। पशुधन में होने वाली ज्यादातर मौतें एक संक्रामक रोग के कारण हुईं थी, इस रोग ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया था। कई लोगों द्वारा इसके पीछे के कारण और इसके वृद्धि की जांच करने का प्रयास किया गया, परंतु इस जांच से कुछ भी सिद्ध नहीं हुआ।

वहीं फिर 1898 में बिलासपुर और मिलक में पशुधन के बीच एक बहुत गंभीर मृत्यु दर सामने आई, जिसे स्थानीय रूप से पंख बंधन या खुरपका और मुंहपका रोग कहा गया था। विभिन्न उपचारों को करने के बाद भी कोई भी उपाय प्रभावी साबित नहीं हुआ, तब से पशुधन रोग का प्रभाव कम दिखाई दिया है, बस कम दर में बिलासपुर और सुआर तहसील के कुछ गांवों से ही पशुधन रोगों के फैलने की बाते सामने आई हैं।

पशुओं में होने वाले रोग निम्‍नलिखित हैं:

खुरपका और मुंहपका रोग – यह एक संक्रामक रोग है, जो अधिकांशतः खुर वाले पशुओं को प्रभावित करता है, इसमें घरेलू और जंगली दोनों बोविड शामिल हैं। साथ ही इसके होने पर दूध के उत्पादन में कमी हो जाती है, वहीं इसके लक्षणों में बुखार; मुंह के अंदर और पैरों में छाले होना, जो टूटने के बाद लंगड़ापन और अत्यधिक लार का कारण बन सकते हैं; नवजात शिशु मृत्यु दर में वृद्धि आदि।

पेस्ट डेस पेटि्टस रूमीनेट्स रोग - पेस्टडेस पेटिट्स रूमीनेंट्स अथवा भेड़/बकरी प्लेग एक वायरल रोग है, जिसमें तेज बुखार; जठरांत्र पथ में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

ब्रूसेलोसिस रोग – ब्रूसेलोसिस भारत के अधिकांश भाग में स्थानिक है, इस रोग के कारण पशुओं में जल्दी गर्भपात हो जाता है।

क्लासिकल स्वाइन ज्वर - क्लासिकल स्वाइन ज्वर अत्यधिक संक्रामक और संभावित रूप से घातक वायरल रोग है इस रोग से अधिकांशतः सुअर प्रभावित होते हैं। यह रोग देश के उत्तर पूर्वी भाग में सुअर पालन के विकास में एक प्रमुख बाधा है जहां सुअर पालन अधिकांश परिवारों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है।

संदर्भ :-

1. https://bit.ly/2W5RAsp
2. http://dahd.nic.in/about-us/divisions/livestock-health
3. https://bit.ly/2F6X7YKM