होली रंगों का त्योहार है। यह त्योहार आते ही वातावरण में तरह-तरह के रंग खुशी और उल्लास का रंगीन माहौल बना देता हैं। इस दिन ये रंग हमारी दुनिया को सुंदरता से भर देते हैं। हमारे जीवन में इन सभी रंगों का बहुत महत्व है। रंगों की दुनिया बड़ी ही लुभावनी होती है। प्रत्येक रंग का अपना एक अर्थ होता है। वे हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम रंगों के माध्यम से ही अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं, इनका मनुष्य के शरीर से नहीं, उसकी मानसिक स्थिति और मूड से भी गहरा रिश्ता है।
भारत अपनी आध्यात्मिक चेतना के लिए जाना जाता है, यहां लगभग हर चीज का गहरा अर्थ होता है। इसी प्रकार विभिन्न रंग अलग-अलग भावनाओं का वर्णन करते हैं। एक पेंटिंग भी तभी बनती है जब कलाकार रंगों के वास्तविक उपयोग को जानता है। परंपरागत रूप से होली सूखे रंगों के साथ मनाई जाती थी जिसे 'गुलाल' के रूप में जाना जाता है, जो प्राकृतिक रूप से फूलों और हल्दी, चुकंदर, और जामुन जैसे प्राकृतिक अवयवों से बनाए जाते थे। हालांकि समय के साथ, इन प्राकृतिक रंगों की जगह कृत्रिम रंगों ने ले ली है। अलग-अलग रंगों के अलग-अलग मायने होते हैं। वे इस प्रकार हैं:
नीला रंग– भारत धार्मिक विश्वासों में डूबा देश है, जहां अधिकांश रंगों की उत्पत्ति देवताओं और पौराणिक जीवन से संबंधित है। जैसे कि नीला रंग, यह रंग भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है। साथ ही साथ यह रंग आकाश और महासागरों से भी संबंधित है। जल पृथ्वी पर जीवन का निर्वाह करता है इसलिए नीला रंग भी गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करता है।
हरा रंग– हरा रंग वसंत की शुरुआत, फसल और खुशी का प्रतीक है। यह रंग शांति का प्रतीक है और मन की चंचलता को दूर करता है। यह रंग प्रकृति का प्रतीक भी है।
गुलाबी रंग- यह रंग कोमलता, सज्जनता, स्नेह और करुणा का प्रतीक है।
पीला रंग– यह रंग आध्यात्मिकता का प्रतीक है। साथ ही साथ इस रंग में स्वास्थ्यप्रद शक्ति भी होती है। हल्दी, जो पीले रंग की होती है, एंटीसेप्टिक घटक के रूप में काम करती है और यही कारण है कि इसका उपयोग भारत के हर घर में होता है। भारत में पीला रंग पवित्रता, ज्ञान और सीखने, खुशी, ध्यान और शांति का प्रतीक है। यहां तक की देवी-देवताओं को भी अधिकतर पीला वस्त्र ही पहनाया जाता है।
बैंगनी रंग- इसका असर जादू-सा होता है। रहस्य को छिपाए हुए यह रंग बलिदान की प्रवृत्ति का प्रतीक है।
लाल रंग– नीला रंग आसमान का आईना होता है तो लाल रंग सुबह और शाम की लालिमा से हमें जोड़ता है। यह रंग प्रभुत्व, शक्ति और ऊर्जा का पर्याय है। पश्चिमी लोगों का मानना है कि लाल रंग जुनून और रोमांस का प्रतीक है। लेकिन भारत में, इसे देवी दुर्गा से जोड़ा जाता है। स्त्रियां मांग में लाल रंग का सिंदूर लगातीं हैं। लाल रंग मस्तिष्क की तरंगे उत्तेजित करता है। लाल रंग भक्ति और धार्मिक अनुराग का भी प्रतीक है।
सफ़ेद रंग– यह रंग शांति का प्रतीक है और मन को शांति पहुंचाता है। आमतौर पर सफेद रंग का उपयोग मृतक की आत्मा को शांतिपूर्ण विदाई देने के किया जाता है। लेकिन ये भौतिकवादी दुनिया के साथ पूर्ण वियोग का प्रतीक भी है।
रंग वे हैं जिनके जरिए हम अपने संदेशों और भावनाओं को बेहद बुनियादी और जैविक रूप में दूसरों तथा प्रकृति तक पहुंचाते हैं। होली हमें इन्ही रंगों के माध्यम से प्रकृति से जोड़ती है, जहां हम सहज और स्वाभाविक हो सकें और सारी दुनिया को रंगबिरंगा बना सकें।
यह ऐसा त्यौहार है जो सबको अपने रंग में रंग देता है, सदियों से मनाई जा रही इस त्यौहार के रंगों का तो महत्वा है ही परन्तु, क्या आप जानते है कि मुग़ल काल में अलग अलग नामों से भी जाना जाता था और वह भी इसे बड़े ही उत्साह से मनाते थें। जहांगीर के शासन काल में होली को ईद-ए-गुलाबी या अब-ए-पाशी कहते थें जिसे वह अपनी पत्नी के साथ भी खेला करते थें। मशहूर सूफी गायक और कवी अमीर ख़ुसरो नें भी पीर औल्या के लिए ‘आज रंग है’ गीत गाय था।
ऐसी ही त्यौहार है होली जिसके आते ही सभी बैर भूल इसके प्रेम के रंग में घुल जाते है। आशा करते है कि आपकी होली भी इन रंगों की तरह ही रंगीन हो।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2F3PXob© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.