एक वो दौर था जब भारत ने हॉकी के कारण खेल जगत में अपनी छाप बनाई, किंतु एक आज का दौर है जब हॉकी भारत में ही अपना स्थान खोती जा रही है। लाठी (स्टिक) और गेंद से खेली जाने वाली हॉकी, उन खेलों में से है जिनका उद्भव प्राचीन सभ्यताओं से हुआ था। आधुनिक हॉकी अट्ठाहरवीं सदी में अस्तित्व में आयी तथा उन्नीसवीं सदी में इसने अपना वर्तमान स्वरूप धारण किया तथा विश्व स्तर पर इस खेल को स्थान मिला, 1928 से 1956 के मध्य होने वाले ओलंपिक खेल में भारत ने हॉकी में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया तथा लगातार स्वर्ण पदक हासिल किये। जिस कारण हॉकी भारत के राष्ट्रीय खेल के नाम से जानी जाने लगी, इस दौर को भारत की हॉकी का स्वर्ण भी कहा जाता है। किंतु एक रोचक तथ्य यह भी है कि भारत ने कभी अधिकारिक रूप से हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित ही नहीं किया है।
पिछले वर्ष 2018 में उड़ीसा के मुख्य मंत्री ने प्रधान मंत्री से मैदानी हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने का अनुग्रह किया। जिसमें भारत की ओर से दो टीमें भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम और भारत की महिला राष्ट्रीय हॉकी टीम को सन्दर्भित करती है। मैदानी हॉकी का उद्भव मध्यकाल में स्कॉटलैण्ड, नीदरलैण्ड और इंग्लैण्ड में माना जाता है। जिसे घास के मैदान या कृत्रिम मैदान में खेला जा सकता है। प्रत्येक टीम में गोलकीपर सहित ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। खिलाड़ी लकड़ी अथवा फायबर (काँच) की बनी स्टिक के माध्यम से रबर की गेंद से खेलते हैं। स्टिक की लंबाई खिलाड़ी की व्यक्तिगत लम्बाई पर निर्भर करती है। मैदानी हॉकी में बायें हाथ की कोई स्टिक नहीं होती और स्टिक के एक ओर से ही प्रहार किया जा सकता है।
भारत में मैदानी हॉकी की स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से भारतीय ओलंपिक संघ ने एक नये पांच सदस्य राष्ट्रीय चयन समिति नियुक्त की है। यह पैनल भारत के लिए मैदानी हॉकी का प्रबंध करने वाली अंतर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के साथ संयोजन में कार्य करेगा। वर्ष 2018 का पुरुष हॉकी विश्वकप भारत (उड़ीसा) में आयोजित किया गया था, जिसमें बेल्जियम ने नीदरलैंड को हराकर विजय हासिल की। भारत ने आज तक कभी पुरुष हॉकी विश्वकप नहीं जीता है। भारतीय हॉकी टीम अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ का हिस्सा बनने वाली पहली गैर-यूरोपीय टीम थी। भारतीय टीम ने ओलंपिक में कुल आठ स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं। ओलंपिक में भी भारतीय पुरूष टीम ने 1980 के बाद कुछ खास स्थान हासिल नहीं किया है।
भारतीय हॉकी फेडरेशन 2005 से प्रीमियर हॉकी लीग (पीएचएल) और एक घरेलू मैदानी हॉकी टूर्नामेंट भी आयोजित करता आ रहा है, जिसका प्रसारण खेल समाचार चैनल ईएसपीएन इंडिया में किया जाता है। इस टूर्नामेंट की शुरूआत खेल को पुनर्जीवित करने और उसमें पुन: रुचि लाने के लिये की गयी। अब इसे विश्व सीरीज़ हॉकी द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है। भारत राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा मेजबानी करता है जिसके लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में हॉकी के मैदान बनाए गये हैं। जिनमें से सात स्टेडियम उत्तर प्रदेश में हैं:
उत्तर प्रदेश का सातवां स्टेडियम रामपूर में बना है, जिसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर रखा जाएगा, यह राज्य का नंबर वन स्टेडियम होगा। भारत में युवाओं के मध्य हॉकी के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है, किंतु फिर भी उत्तर भारत में इस खेल के प्रति उत्साह जीवित है जिस कारण यहां अनेक श्रेष्ठ खिलाड़ी उभरकर सामने आ रहे हैं। साथ ही देश में भी इसे जीवित रखने और खिलाडि़यों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष कदम उठाये जा रहे हैं।
संदर्भ :
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Field_hockey_in_India
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Field_hockey
3.https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_field_hockey_venues_in_India
4.https://www.quora.com/What-made-the-downfall-of-hockey-in-India
5.https://bit.ly/2mB45fc
6.https://bit.ly/2N1OrXg
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