11तेल, गैस, जलविद्युत और पवन ऊर्जा के बाद भारत में परमाणु ऊर्जा पांचवा सबसे बड़ा स्रोत है। मार्च 2018 तक, भारत में 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संचालन में 22 परमाणु रिएक्टर (Nuclear Reactor) थे, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 6,780 मेगावाट है। परमाणु ऊर्जा द्वारा कुल 35 TWh का उत्पादन किया गया और 2017 में 3.22% भारतीय बिजली की आपूर्ति की गयी। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में परमाणु बिजली केंद्र मौजूद हैं। आइए जानते हैं कैसे होता है परमाणु ऊर्जा का उत्पादन:
परमाणु अणुओं में छोटे कण होते हैं जो गैसों, तरल पदार्थों और ठोस पदार्थों को बनाते हैं। परमाणु तीन कणों से बने होते हैं: प्रोटॉन (Protons), न्यूट्रॉन (Neutrons) और इलेक्ट्रॉन (Electrons)। एक परमाणु में एक नाभिक/न्यूक्लियस (Core/Nucleus) होता है जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और ये इलेक्ट्रॉनों से घिरा होता है। प्रोटॉन एक धनात्मक विद्युत आवेश (Positive Electrical Charge) और इलेक्ट्रॉन एक ऋणात्मक विद्युत आवेश (Negative Electrical Charge) को ले जाते हैं, वहीं न्यूट्रॉन में विद्युत आवेश नहीं होता है। नाभिक को बाँध कर रखने में विशाल ऊर्जा मौजूद होती है। जब ये बाँध टूट जाते हैं तो इनसे परमाणु ऊर्जा मुक्त हो जाती है। नाभिकीय विखंडन के माध्यम से बांधों को तोड़ा जा सकता है, और इस ऊर्जा का उपयोग बिजली के उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
परमाणु ऊर्जा को परमाणु संलयन की मदद से भी निकाला जा सकता है, जहाँ परमाणुओं को संयोजित या एक साथ जोड़कर एक बड़े परमाणु का निर्माण किया जाता है। ऊष्मा और बिजली उत्पादन हेतु ऊर्जा के स्रोत के रूप में परमाणु संलयन के उपयोग के लिए और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अनुसंधान किए जा रहे हैं। लेकिन यह एक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य तकनीक होगी या नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि एक संलयन प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना काफी कठिन है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र कैसे कार्य करता है?
उसके लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि एक परमाणु कितनी ऊर्जा बना सकता है? अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार परमाणु ज्यादा मात्रा में ऊर्जा बना सकता है, जिसे उन्होंने एक प्रसिद्ध समीकरण द्वारा बताया: (E = mc2)। यदि E ऊर्जा है, तो m द्रव्यमान है और c प्रकाश की गति है, आइंस्टीन के समीकरण का कहना है कि आप एक छोटी मात्रा के द्रव्यमान को बड़ी मात्रा की ऊर्जा में बदल सकते हैं। c वास्तव में बहुत बड़ी संख्या (300,000,000) है इसलिए c2 उस से भी बड़ी संख्या (90,000,000,000,000,000) है। वहीं परमाणु ऊर्जा संयंत्र परमाणुओं को पूरी तरह से काटकर कार्य नहीं करती है, बल्कि वे बड़े परमाणुओं को छोटे, दृढ़ता से परिबंध और अधिक स्थिर परमाणुओं में विभाजित करते हैं। इस प्रक्रिया में नियंत्रित ऊर्जा मुक्त होती है।
एक के बाद एक परमाणु को अलग करने से भारी मात्रा में ऊर्जा को उत्पन्न किया जा सकता है। एक श्रृंखला अभिक्रिया/चेन रिएक्शन (Chain Reaction) में कुछ रेडियोधर्मी समस्थानिक (Radioactive Isotopes) अपने आपको स्वतः विभाजित करते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप बहुत अधिक ऊर्जा का निर्माण होता है। अब एक प्रश्न उठता है कि एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र और एक परमाणु बम में क्या अंतर होता है? उत्तर काफी सरल है, परमाणु बम में श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, इसी कारण परमाणु हथियार इतने विनाशकारी होते हैं। संपूर्ण श्रृंखला अभिक्रिया इतनी तेज होती है, कि इनके विभाजन के समय में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में, श्रृंखला अभिक्रिया को बहुत सावधानी से नियंत्रित किया जाता है, इसलिए वे अपेक्षाकृत धीमी गति से आगे बढ़ते हैं। परमाणु ऊर्जा संयंत्र में कोई तेज अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया नहीं होती है।
परमाणु बम और परमाणु संयंत्र में अंतर तो पता चल गया है, लेकिन क्या परमाणु संयंत्र परमाणु बम के समान घातक होता है। यह प्रक्रिया में तो एक हद तक समान होते हैं लेकिन परमाणु संयंत्र परमाणु बम के समान घातक नहीं होते हैं। परमाणु बम में अत्यंत शुद्ध यूरेनियम-235 (Uranium-235) की अवश्यकता होती है और परमाणु संयंत्र कम शुद्ध, बहुत अधिक साधारण यूरेनियम का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि कभी संयंत्र अनियंत्रित होता है, तो उस समय इतनी ऊर्जा निकलती है कि रिएक्टर अधिक गर्म हो जाता है और फट भी सकता है, लेकिन एक अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में ही। परमाणु ऊर्जा के फायदे और नुकसान निम्नलिखित है:
फायदे
नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के नरोरा में स्थित है। यह संयंत्र बुलंदशहर में जिला मुख्यालय से 68 किमी, मसूरी से 502 किमी, लखनऊ से 303 किमी और रामपुर से लगभग 125 किमी की दूरी पर स्थित है। इस संयंत्र में दो दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर हैं जो 220 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम हैं। NAPS-1 का वाणिज्यिक संचालन 1 जनवरी 1991 से शुरू हुआ था और NAPS-2 का 1 जुलाई 1992 को शुरू हुआ था।
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