मकर संक्रांति के त्योहार को भारत में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। इस दिन जहां तिल, गुड़ के पकवानों का आनंद लिया जाता है वहीं स्नान का भी विशेष महत्व होता है, कहीं पतंग उड़ाई जाती हैं तो कहीं खिचड़ी बनाकर खाने का रिवाज़ है। इस पर्व को प्रत्येक वर्ष 14-15 जनवरी को समस्त भारत में मनाया जाता है।
इस पर्व में सूर्य देव को पूजा जाता है और सूर्य का महत्व वैदिक ग्रंथों, विशेष रूप से गायत्री मंत्र में पाया जाता है। इस दिन लोग सूर्य से प्रार्थना करते हैं और अपनी सफलताओं और समृद्धि के लिए धन्यवाद करते हैं। यह भारत का एक ऐसा त्योहार है जिसे चंद्र चक्र द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता, बल्कि सौर चक्र को देख कर निर्धारित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और सर्दियों की समाप्ति और बड़े दिनों की शुरुआत को दर्शाता है। मकर संक्रांति को आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और तदनुसार, लोग नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में पवित्र स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्नान करने से पिछले पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन तिल और गुड़ से मिठाई बनाई जाती है।
मकर संक्रांति को भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में कुछ क्षेत्रीय विविधताओं के साथ मनाया जाता है। इसे विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है और अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है:
मकर संक्रांति के भारत में विभिन्न क्षेत्रों में नाम :-
मकर संक्रांति: छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और जम्मू ।
मकर संक्रांथि: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल: तमिलनाडु
सुग्गी हब्बा, मकर संक्रमण, मकर संक्रांथि: कर्नाटक
उत्तरायण: गुजरात, उत्तराखण्ड
माघी: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
माघ बिहु या भोगाली बिहु: असम
शिशुर सेंक्रात: कश्मीर घाटी
खिचड़ी: उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति: पश्चिम बंगाल
तिला सक्रिट: मिथिला
यह पर्व सामाजिकता और परिवारों को एक-दूसरे की संगत का आनंद लेने, मवेशियों की देखभाल करने और अलाव के आसपास जश्न मनाने का संकेत देता है। कई स्थानों में इस दिन पतंग भी उड़ाई जाती है। लोग दिन भर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर इस उत्सव का मज़ा लेते हैं। अनेक स्थानों पर विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। परंपरागत रूप से, यह माना जाता है कि सर्दियों में बहुत अधिक कीटाणु आते हैं जो कई बीमारियों और संक्रामक ज़ुकाम का कारण बनते हैं। इस मौसम में त्वचा भी रूखी हो जाती है। तो मकर संक्रांति के दिन लोग पतंग उड़ाते समय अपने शरीर को सूर्य की किरणों के संपर्क में लाते हैं इस विचार से कि सूर्य की किरणें उनके शरीर के लिए औषधि का काम करेंगी, जिससे अनेक शारीरिक रोग स्वत: ही नष्ट हो जाएंगे। वहीं कई लोगों द्वारा पतंगों को आकाश में देवताओं का धन्यवाद करने के लिए उड़ाया जाता है।
वर्षों से पतंग उड़ाने की परंपरा को बहुत गंभीरता से लिया गया है। गुजरात जैसे स्थानों में, पतंग उड़ाने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत बड़ा त्योहार मनाया जाता है। न केवल देश, बल्कि दुनिया भर के करोड़ों लोग गुजरात के वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव (उत्तरायण) में भाग लेने के लिए आते हैं, जिसकी तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। साथ ही, जैसा की हम जानते हैं रामपुर में पतंग निर्माण के साथ-साथ मकर संक्रांति भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। इसके अलावा, रामपुर के कई पतंग विक्रेता हर साल जयपुर और गुजरात जैसे शहरों में पतंग का व्यापार करने के लिए जाते हैं, क्योंकि यहां व्यापार काफी बेहतर होता है।
मकर संक्रांति के साथ ही वसंत का आगमन भी हो जाता है। सूर्य उत्तरायण से अपनी यात्रा शुरू करता है और इस दिन के बाद दिन लंबे और गर्म होने लगते हैं। हालांकि, भारत में ठंड और शुष्क मौसम एक दम से कम नहीं होगा धीरे-धीरे तापमान में वृद्धि से तीन से चार सप्ताह में वसंत के मौसम का आगमन होने लग जाएगा।
संदर्भ :-
1.https://bit.ly/2HebkaG
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Makar_Sankranti
3.https://bit.ly/2RtNdJS
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