हिंदू धर्म में हाथी को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है। यह भारत में ही नहीं अपितु थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और चीन में भी पवित्र माना जाता है। यहां तक कि जापानी हाथी को कांगितेन (सुख के देवता) के रूप में पूजते हैं। बौद्ध धर्म में, हाथी को स्वयं बुद्ध में सन्निहित गुणों की एक सांसारिक अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है, माना जाता है गौतम बुद्ध की माँ (माया) ने उनके जन्म से पहले एक विचित्र सपना देखा था जिसमें उन्हे एक सफ़ेद हाथी प्रमुखता से दिखाई दिया था। भारतीय पौराणिक कथाओं में हम ऐरावत हाथी के बारे में सुनते हैं, जो इंद्र देव का वाहन है और एक सफेद हाथी है। यहां तक की इस्लाम में भी हाथी की बड़ी महत्ता है।
इस्लामिक इतिहासकारों के अनुसार वर्ष 570 में पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ था, इसे “हाथी का वर्ष” के नाम से जाना जाता है। उस वर्ष में, यमन के शासक अब्राहा ने मक्का पर हमला किया था। हालांकि, उनकी योजना नाकाम हो गई जब महमूद नाम के उनके सफेद हाथी ने मक्का की सीमा पार करने से इनकार कर दिया, वह हाथी, जिसने अब्राहा के चालीस हजार सैनिकों का नेतृत्व किया। इस वजह से अब्राहा पीछे हट गया।
हाथी को भगवान श्रीगणेश का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। हिंदु धर्म के अनुसार गणेश जी प्रथम पूज्य देव हैं और इसी वजह से हर काम की शुरुआत भगवान गणपति की पूजा से की जाती है। इन्हें समृद्धि और शुभ शुरुआत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लोगों का विश्वास है कि गणेश जी के नाम स्मरण मात्र से उनके कार्य निर्विघ्न संपन्न हो जाते हैं, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी संबोधित किया जाता है। गणेश का आकर्षण संस्कृति, भाषा और धर्म की सीमाओं से परे है। ये भारत से लेकर तिब्बत, चीन, थाईलैंड और जापान तक में पूज्य है। इन्हे भाग्य के देवता के रूप में भी जाना जाता है। यहां तक कि लैटिन अमेरिका और यूरोप में भी गणेश को नई शुरुआत के प्रतीक जाना जाता है। 19वीं शताब्दी में, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी के संस्थापक, सर विलियम जोन्स ने गणेश जी और दो-सिर वाले रोमन देवता 'जेनस' (शुरुआत और परिवर्तन काल की अध्यक्षता करने वाले देवता) के बीच घनिष्ठ तुलना की। जोन्स ने गणेश को भारत के जेनस के रूप में संदर्भित किया।
पुराणों के अनुसार जिस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था उस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, हिंदी फिल्म जगत के सितारे भी इसमें बड़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस त्योहार में सभी वर्गों के लोग भाग लेते हैं। कई मुस्लिम कारीगर गणेश की मूर्तियों को बनाने में अपने हिंदू भाइयों की मदद भी करते हैं। यह त्योहार दो समुदायों को एकजुट करता है। धार्मिक मान्यतानुसार हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान पर रखते हैं। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। श्री गणेश जी विघ्न विनायक हैं। अब यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देव क्यों हैं और इन्हें शुभ शुरुआत के प्रतीक के रूप में क्यों जाना जाता है?
माना जाता है कि कार्तिकेय और भगवान गणेश के बीच सबसे श्रेष्ठ कौन है, ये जानने के लिये एक प्रतियोगिता आयोजित हुई थी जिसमें उन्हें ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा कर सबसे पहले आना था। कार्तिकेय अपने मयूर पर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने निकल पड़ते हैं परंतु गणेश जी अपने माता-पिता के चक्कर लगा कर कहते हैं कि उन्होंने ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा लिये हैं और कहा मेरे लिये मेरे माता-पिता ही समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च हैं। तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा। तब से आज तक प्रत्येक शुभ कार्य या उत्सव से पूर्व गणेश वन्दना को शुभ माना गया है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Cultural_depictions_of_elephants© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.