क्रिसमस आया क्रिसमस आया,
बच्चों का है मन ललचाया।
सेंटाक्लॉस आएंगे,
नए खिलौने लाएंगे।
हो..हो..हो.. कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी सफेद दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर तोहफों से भरा बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सेंटा को तो आप जरूर जानते होंगे। क्या आपको पता है कि कई पश्चिमी संस्कृतियों में ऐसा माना जाता है कि सांता क्रिसमस की पूर्व संध्या, यानि 24 दिसम्बर की शाम या देर रात के समय के दौरान अच्छे बच्चों के घरों में आकर उन्हें उपहार देता है। लेकिन वास्तव में ये सेंटा हैं कौन और ये बच्चों को तोहफे क्यों देते है?
वैसे माना जाता है कि सेंटा का घर उत्तरी ध्रुव में है, जहाँ वे उड़ने वाले बारहसिंगा की गाड़ी पर सवार होकर जाते हैं। लेकिन वास्तव में 4 शताब्दी में एशिया माइनर (वर्तमान में तुर्की) में मायरा नामक एक जगह पर जा रहे एक बिशप (ईसाई पादरी के एक वरिष्ठ सदस्य) सेंट निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। वे एक रईस परिवार से संबंध रखते थे, वहीं उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। साथ ही वे बहुत ही दयालु और परोपकारी थे और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। वे ज़रूरतमंद लोगों को गोपनीय उपहार भी देते थे।
सेंट निकोलस के बारे में कई किंवदंताएं है, जैसे कि संत निकोलस की दरियादिली की एक बहुत ही मशहूर कहानी है कि उन्होंने एक गरीब की मदद की, जिसके पास अपनी तीन बेटियों की शादी में दिए जाने वाले दहेज के लिए पैसे नहीं थे, जिस कारण वह उनकी शादी नहीं करा पा रहा था। एक रात निकोलस ने चुपके से घर के छत पे लगी चिमनी के माध्यम से घर में एक सोने से भरा हुआ बैग गिरा दिया (जिसका मतलब इससे बड़ी बेटी की शादी हो सकती थी)। वो बैग सूखने के लिए लटकाए हुए मौजे में जा गिरा। यह वाक्य दूसरी बेटी के लिए भी दोहराया गया। आखिरकार बेटियों के पिता ने पैसे देने वाले को पकड़ने की ठानी और हर रात वो चिमनी के नीचे बैठने लगे, जब तक उन्होंने निकोलस को पैसे डालते हुए नहीं पकड़ लिया। निकोलस ने उस आदमी से आग्रह किया कि वह किसी को भी इस बारे में ना बताए, क्योंकि वह खुद को महान नहीं दिखाना चाहते हैं। लेकिन बात फैल गयी और जब भी किसी के यहाँ कोई भी उपहार रखा जाता, लोग मानते की यह निकोलस ने रखा होगा।
निकोलस की दयालुता के कारण उन्हें संत का दर्जा दे दिया गया था। सेंट निकोलस न केवल बच्चों के बल्कि नाविकों के संत भी थे। एक कहानी में बताया गया है कि एक तुर्की के तट पर कुछ नाविक तूफान में फंस गए थे, तभी उन्होंने सेंट निकोलस से उनकी मदद करने के लिए प्रार्थना की। अचानक निकोलस उनकी जहाज की छत पर आ खड़े हुए और समुद्र को शांत होने का आदेश दिया और तूफान थम गया।
सेंट निकोलस को मयरा से निर्वासित कर दिया गया था, बाद में सम्राट डायकोलेटियन द्वारा अत्याचार किए जाने के दौरान जेल में डाल दिया गया था। निकोलस की मृत्यु कब हुई इसकी सटीक तारीख कोई नहीं जानता, लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनकी मृत्यु 6 दिसंबर को या तो 345 बीसी या 352 बीसी में हुई थी। 1087 में, कुछ इतालवी व्यापारिक नाविकों द्वारा तुर्की से उनकी अस्तियों को चुरा लिया गया था। इन अस्तियों को इटली के बारी के बंदरगाह में निकोलस के नाम पर रखा गया एक चर्च में रखा गया।
समय बितने के साथ ही सेंट निकोलस को इंग्लैंड में फादर क्रिसमस और अमेरिका में सेंटाक्लॉस नाम दे दिया गया। वहीं विभिन्न देशों में इन्हें विभिन्न नाम से पुकारा जाता है। 6 दिसंबर को लोगों द्वारा फादर क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। कई देशों में फादर क्रिसमस 25 दिसंबर को क्रिसमस के साथ ही या 24 दिसंबर की शाम को या रात को मनाया जाता है। वहीं समय के साथ-साथ सेंटाक्लॉस का स्वरूप भी बदलता गया।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Santa_Claus
2.https://www.whychristmas.com/customs/fatherchristmas.shtml
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.