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रज़ा पुस्तकालय, खास बाग की कोठिययों आदि से रामपुर का लगभग हर एक बाशिंदा वाकिफ होगा। किंतु यहां खूबसूरत वास्तुकला के कुछ और ऐतिहासिक नमुने हैं, जो रामपुर के लोगों द्वारा शायद भुला दिये गये हैं या इनके बारे में काफ़ी कम लोग जानते हैं। इन्हीं में जनरल अज़ीमुद्दीन का मकबरा और इनका मेमोरियल स्कूल (Memorial School (आखरी चित्र)) इत्यादि भी शामिल हैं।
1905 में लार्ड कर्ज़न के रामपुर भ्रमण के दौरान नवाब द्वारा इन्हें यहां की यात्रा को यादगार बनाने के लिए एक एल्बम उपहार स्वरूप भेंट की गयी थी। इसमें अज़ीमुद्दीन का मकबरा और इनके मेमोरियल स्कूल (Memorial School) के भवन की तस्वीरें भी शामिल थीं, जिन्हें एक अज्ञात फोटोग्राफर (Photographer) द्वारा लिया गया था तथा जिन्हें इस लेख में पेश किया गया है। इस मकबरे के गुम्बद, स्तंभ और मेहराबों पर की गयी खूबसूरत नक्काशी एक उत्कृष्ट वास्तुकला का प्रतीक है।
रामपुर के मोहब्बत मुहम्मद मुश्ताक अली खान के खराब स्वास्थ्य के चलते जनरल अज़ीमुद्दीन खान ने शहर की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी। जनरल साहिबज़ादा अज़ीमुद्दीन खान, का जन्म 1854 में नजीबाबाद में हुआ; इन्होंने रामपुर के सेनानायक के रूप में अपने चाचा नवाब अली असगर खान, खान बहादुर पर विजय प्राप्त की साथ ही यह ब्रिटिश सरकार के एक गोपनीय वकील भी रहे। इन्हें 1 जनवरी 1885 को खान बहादुर के खिताब से नवाजा गया।
1896 में रामपुर के नवाब, हामिद अली खान ने अपने शासन के दौरान रामपुर के अधिकांश किले और महलों को एक ब्रिटिश अभियंता डब्ल्यूसी राइट (W.C. Wright) से पुनः निर्मित करवाया। राइट ने यहां इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का उपयोग किया, जो कि इस्लामिक, हिन्दू और गौथिक वास्तुकला का मिश्रित स्वरूप थी तथा 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ तक भारत में यह वास्तुकला अत्यंत प्रचलित हो गयी थी।
संदर्भ:
1.https://bit.ly/2Sjt85v
2.https://bit.ly/2LxZLd2
3.http://members.iinet.net.au/~royalty/ips/n/najibabad.html