अक्सर जब भी बच्चों को ज़ोरों की भूख लगी होती है तो वे घर में से या बाहर से कुछ भी खा या पी लेते हैं, उस समय तो उनको तृप्ति मिल जाती है, लेकिन अगर उनके द्वारा खाया गया खाना अधपका या पानी दूषित हो तो यह खतरनाक ई-कोलाई संक्रमण का कारण बन सकता है। ई-कोलाई बैक्टीरिया (bacteria) का संक्रमण गंभीर डायरिया (Diarrhea) का कारण बन सकता है। यहां तक कि कुछ गंभीर मामलों में तो यह गंभीर स्वास्थ जटिलताएं पैदा कर देता है। यदि आपके बच्चे के पेट में दर्द हो तो इसे नज़रअंदाज ना कर दें। बच्चों के पेट में होने वाला दर्द ई-कोलाई संक्रमण का संकेत भी हो सकती है। तो चलिये विस्तार से जानें ई-कोलाई बैक्टीरिया क्या है, इससे किस प्रकार का संक्रमण होता है, इसके लक्षण बचाव क्या है, और इसका उपचार कैसे करें।
एशेरिकिया कोलाई (Escherichia coli), जिसे ई० कोलाई (E.coli) भी कहते हैं, एक ग्राम-ऋणात्मक, विकल्पी अवायुजीवी, छड़ी-आकृति का बैक्टीरिया है। ई० कोलाई जीवाणु आमतौर पर स्वस्थ लोगों और जानवरों की आंतों में रहते हैं। ई० कोलाई की अधिकांश किस्में हानिरहित होती हैं इसकी अहानिकारक नस्लें मानवों के जठरांत्र क्षेत्र में रहती हैं और विटामिन K2 का निर्माण कर तथा हानिकारक बैक्टीरिया को स्थापित होने से रोक कर लाभ पहुँचाती हैं। लेकिन कभी-कभी इस जीवाणु प्रजातियों की कुछ नस्लें फूड पाइजनिंग (food poisoning), दस्त तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती हैं। यह जीवाणु व्यक्ति से व्यक्ति और प्रदूषित भोजन और पानी से संचरित किया जा सकता है।
कुछ विशेष रूप से हानिकारक ई० कोलाई, जैसे कि ई० कोलाई ओ157:एच7 (O157:H7), गंभीर पेट की ऐंठन, खूनी दस्त और उल्टी का कारण बन सकता है। ई० कोलाई इन्फेक्शन दूषित पानी या भोजन से हो सकता है। यह विशेष तौर पर कच्ची सब्जियां या कम पका मीट खाने से हो सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति ई० कोलाई O157:H7 के संक्रमण से हफ्ते भर में ठीक हो जाता है, परंतु छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जानलेवा किस्म की परेशानी "हेमोलीटिक यूरेमिक सिंड्रोम" (Hemolytic Uremic Syndrome) होने का जोखिम अधिक रहता है जिसमें अंततः किडनी काम करना बंद कर देती है। एक अनुमान के अनुसार ई० कोलाई संक्रमण वाले 10% रोगियों में हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम विकसित हो जाता है, जिसमें से 3 से 5% लोगों की मौत हो जाती है।
ई० कोलाई संक्रमण के क्या लक्षण हैं?
ई० कोलाई O157:H7 बैक्टीरिया से प्रभावित होने के 3-4 दिन बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। हालांकि, आप संक्रमण के पहले दिन से ही बीमार पड़ सकते हैं या फिर इसमें हफ्ते भर से ज्यादा समय भी लग सकता है। इसके संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:
1. डायरिया, यह सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकता है जिसमें मल के साथ खून भी आ सकता है,
2. पेट में दर्द, पेट में मरोड़ या मृदुता
3. कुछ लोगों को मिचली और उल्टी भी आ सकती है
यदि डायरिया ठीक नहीं हो रहा है या मल में खून आ रहा है तो अपने डॉक्टर को दिखाएं।
ई० कोलाई संक्रमण के कारण क्या होते है?
ई० कोलाई विभिन्न प्रकार के होते है परंतु उनमें से कुछ ही से डायरिया होता है। O157:H7 बैक्टीरिया वाला ई० कोलाई समूह एक शक्तिशाली विषाक्त पदार्थ पैदा करता है जिससे छोटी आंत की अंदरूनी परतें प्रभावित हो जाती हैं और इससे खूनी अतिसार हो सकता है। यह तब होता है जब O157:H7 बैक्टीरिया खाने के जरिये आपके पेट में चला जाये। इस बैक्टीरिया की थोड़ी सी मात्रा भी आपको बीमार करने के लिए काफी है। इसलिए, अधपका मीट खाने या दूषित पानी पी लेने से ई० कोलाई संक्रमण हो सकता है।
दूषित खाना से संक्रमण ई० कोलाई संक्रमण का सबसे आसान जरिया है दूषित खाना, जैसे: कच्चा दूध - गाय के थन या फिर दूध निकालने वाले बर्तन पर ई० कोलाई बैक्टीरिया हो सकता है। ताजी फल-सब्जी - मवेशी बाड़े से निकलने वाला पानी या अन्य पदार्थ फल-सब्जी के खेतों में पहुंचे तो कुछ सब्जियां विशेष तौर पर दूषित हो जाती है।
दूषित जल से संक्रमण
इंसानों और जानवरों के मल से भूमिगत तथा नदी, तालाब, झरने जैसे भूजल स्रोत और फसल की सिंचाई का पानी दूषित हो जाता है। जिनके पास निजी कुएं होते हैं उनके संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि वे जल को रोगाणु मुक्त करने के तरीकों का उपायोग नहीं करते है।
किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से संक्रमण
ई० कोलाई बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैल सकता है खास कर जब संक्रमित बच्चे-बड़े हाथ ठीक से न धोएं तो। ई० कोलाई से हर वह व्यक्ति प्रभावित हो सकता है जो इस बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। लेकिन कुछ लोगों को यह परेशानी अन्य के मुकाबले ज्यादा हो सकती है। इसके जोखिम कारक हैं: उम्र, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, अधपके खाद्य पदार्थ, पेट में एसिड की मात्रा कम होना आदि।
ई० कोलाई संक्रमण से कैसे बचें?
कोई टीका या दवाई, ई० कोलाई से होने वाली बीमारियों से आपको बचा नहीं सकती हालांकि इससे बचाव के लिए टीकों पर शोधकर्ता अभी भी कार्य कर रहे है। ई० कोलाई के संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये:
1. मीट को ठीक से पकाएं ताकि कहीं से भी गुलाबी न दिखे। हालांकि सिर्फ रंग देख कर भरोसा नहीं कर सकते की यह पक गया है।
2. पाश्चुरीकृत दूध, जूस या साइडर पिएं
3. कच्ची चीजों को खूब अच्छी तरह धोएं
4. एक से दूसरे को होने वाले संक्रमण से बचें
5. चाकू, बोर्ड, बर्तन आदि धोकर रखें जो कच्चे मांस के संपर्क में आये हो।
6. कच्चे मीट को फल-सब्जी को काटने के लिये अलग-अलग बोर्ड का इस्तेमाल करें।
7. अपने हाथ साफ रखें। टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद या अपने बच्चे के डायपर (Diaper) बदलने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं। ध्यान रखें कि जानवरों को हाथ लगाने के बाद भी अपने हाथ जरूर धोएं।
ई० कोलाई इन्फेक्शन सिर्फ ई० कोलाई ओ157:एच7 से ही नही होता है, कुछ विशेष रूप से हानिकारक ई० कोलाई विषाक्त पदार्थ बनाते हैं। इन विषाक्त पदार्थों को बनाने वाले बैक्टीरिया को "शिगा टॉक्सिन प्रोड्यूसिंग ई० कोलाई" (Shiga toxin-producing E. coli) या संक्षिप्त में एसटीईसी (STEC) कहा जाता है। इस समूह में एंटरोटॉक्सिजेनिक ई० कोलाई (Enterotoxigenic E.coli (ETEC)), एंटरोपैथोजेनिक ई० कोलाई (Enteropathogenic E.coli (EPEC)), एंटरोएग्रिगेटिव ई० कोलाई (Enteroaggregative E.coli (EAEC)), एंटरोइंवेसिव ई० कोलाई (Enteroinvasive E.coli (EIEC)) और डिफ्यूसेली एडहेरेंट ई० कोलाई (Diffusely Adherent E.coli (DAEC)) आदि विषाक्त पदार्थ का उत्पादन करने वाले बैक्टीरिया आते है।
ये एसटीईसी (STEC) बैक्टीरिया 7°C से 50°C तक के तापमान में बढ़ सकता है और 37°C इनके लिये इष्टतम तापमान है। कुछ एसटीईसी अम्लीय खाद्य पदार्थों में बढ़ सकते हैं जिनका pH स्तर 4.4 से कम होता है। परंतु ये सभी बैक्टीरिया खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से पकाने से नष्ट हो जाते है जब तक कि सभी हिस्सों में 70°C उससे अधिक के तापमान न हो।
संदर्भ:
1. https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/e-coli/symptoms-causes/syc-20372058© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.